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सपा में चल रहे विवाद के कारण कुछ नेता छोड़ सकते है अखिलेश-मुलायम का साथ!

लखनऊ। आगामी विधानसभा चुनाव के लिए जहां सभी राजनीतिक दल तैयारियों में जुटे हुए हैं वही समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी सपा में जारी दंगल से असमजंस में फंसे हुए हैं।समाजवादी पार्टी और मुलायम सिंह यादव के परिवार में चल रही कलह थमने का नाम नहीं ले रही। ये साबित हो गया है कि पार्टी के दो फाड़ हो चुके है।पिता बेटे की इस लड़ाई ने अब नया मोड़ ले लिया है। एेसा देखा जा रहा है कि सपा में मुलायम और अखिलेश खेमे अब अलग-अलग चुनाव लड़ने की तैयारी में दिख रहे हैं।

आपसी खींचतान के कारण समर्थकों में असमंजस का माहौल है। वे यह नहीं समझ पा रहे कि आगे क्या नया मोड़ आयेगा। वहीं पार्टी के कुछ नेता अन्य दलों में जाने की सोच रहे हैं। सूत्रोंके मुताबिक पता चला है कि पार्टी में चल रही उझल कूद के चलते कई सपा नेता और विधायक भाजपा में भाजपा ज्वाइन करने का मूड बना सकते हैं। इसके अलावा कई सपा नेताओं को भाजपा के बड़े नेताओं के संपर्क में देखा गया था।
इन सपा नेताअों का साथ उत्तर प्रदेश के बीजेपी अध्यक्ष केशव मौर्य के साथ देखा गया गया है। जिससे ये आंदाजा लगाया जा रहा है कि केशव मौर्य सपा नेताओं को भाजपा की सदस्यता दिलाएंगे।
सपा प्रमुख के साथ प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव और अमर सिंह भी दिल्ली जा सकते हैं। जहां वो मुख्य निर्वाचन अधिकारी से मुलाकात कर सकते हैं। सूत्रों की माने तो मुलायम चुनाव आयोग में आज हलफनामा पेश करेंगे। इस हलफनामे के जरिये सपा प्रमुख समाजवादी पार्टी पर अपना दावा पेश करेंगे।
बेटे अखिलेश से तकरार के बीच मुलायम सिंह ने चुनाव आयोग से साइकिल चुनाव चिन्ह उन्हें सौंपने की अर्जी दी है। मुलायम ने तो अब चुनाव आयोग को चिट्ठी भेजकर साइकिल चुनाव चिन्ह पर अपना दावा ठोक दिया है। चिट्ठी में कहा है कि रामगोपाल द्वारा बुलाया गया अधिवेशन असंवैधानिक था क्योंकि उस समय वह पार्टी के महासचिव नहीं थे और राष्ट्रीय अधिवेशन सिर्फ राष्ट्रीय अध्यक्ष ही बुला सकता है। उधर अखिलेश की हिमायत कर रहे उनके चाचा रामगोपाल यादव ने दावा किया है कि एसपी के कुल 229 में से 212 विधायकों ने मुख्यमंत्री के पक्ष में शपथपत्रों पर हस्ताक्षर किये हैं जबकि 68 विधान परिषद सदस्यों में से 56 ने और 24 संसद सदस्यों में से 15 अखिलेश के हक में हलफनामों पर दस्तखत किये हैं।