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संविधान संबंधी हेगड़े के बयान पर दोनों सदनों में हंगामा

नई दिल्ली। केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री अनंत कुमार हेगड़े के धर्मनिरपेक्षता और संविधान संबंधी बयान को लेकर लोकसभा और राज्यसभा में लगातार हंगामे की स्थिति बनी रही और कार्यवाही को दो बार के स्थगन के बाद दोपहर बाद सवा दो बजे आधे घंटे के लिए स्थगित कर दिया गया. वहीं हंगामे के कारण राज्यसभा में शून्यकाल और प्रश्नकाल दोनों नहीं हो पाए.

हालांकि राजग सरकार ने स्पष्टकीरण देते हुए कहा कि भारतीय संविधान में उसकी अटूट श्रद्धा है और वह कांग्रेस ही है जो छद्म धर्मनिरपेक्षता का सहारा लेती आई है. उधर, इस मामले को लेकर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के माफी मांगे जाने की मांग पर अड़ी रही .

केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार हेगड़े के बयान पर कांग्रेस द्वारा किए गए हंगामे के कारण दो बार के स्थगन के बाद दो बजे सदन की कार्यवाही शुरू होने पर भी हंगामा जारी रहा.

कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि केंद्रीय मंत्री ने कहा है कि धर्मनिरपेक्षता के समर्थकों को नहीं पता कि उनके बाप-दादा कौन थे और वे नाजायज़ औलाद हैं. खड़गे ने कहा कि वह ये बातें अपनी तरफ से नहीं कह रहे हैं बल्कि केंद्रीय मंत्री ने ठीक ऐसे ही शब्दों का इस्तेमाल किया है.

इस बीच कांग्रेस और कुछ वाम सदस्य आसन के समक्ष आकर नारेबाज़ी करने लगे. ये सदस्य ‘प्रधानमंत्री माफी मांगो’ और ‘प्रधानमंत्री हाय-हाय’ के नारे लगा रहे थे.

खड़गे ने कहा कि इतना ही नहीं केंद्रीय मंत्री ने संविधान को बदलने की बात कही है और साथ ही कहा है कि भाजपा संविधान बदलने के लिए ही सत्ता में आई है.

संसदीय मामलों के मंत्री अनंत कुमार ने इस मामले में सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि भाजपा और राजग की संविधान में अटूट श्रद्धा है और वह संविधान के सामने नतमस्तक है. उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री के बयानों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है.

अनंत कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी कई बार संविधान के प्रति अपनी आस्था व्यक्त कर चुके हैं और भाजपा तथा राजग के लिए यह एक राष्ट्रीय ग्रंथ है जिसमें उसकी अटूट निष्ठा है.

उन्होंने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस ने छद्म राष्ट्रवाद का इस्तेमाल किया है. यही वह पार्टी है जिसने बाबा साहब भीमराव आंबेडकर को कभी चुनाव नहीं लड़ने दिया और उन्हें पराजित करवा दिया था.

इसके विपरीत आरएसएस नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी उन्हें राज्यसभा में लेकर आए और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी जैसे भाजपा नेताओं के प्रयासों से उन्हें वीपी सिंह की सरकार के समय भारत रत्न सम्मान प्रदान किया गया. कांग्रेस सदस्य सरकार के जवाब से संतुष्ट नहीं हुए और आसन के समक्ष नारेबाज़ी करते रहे.

उपाध्यक्ष एम. थंबीदुरई ने हंगामे के बीच ही राष्ट्रीय राजधानी राज्य क्षेत्र दिल्ली विधियां (विशेष उपबंध) विधेयक पर चर्चा शुरू करवाई लेकिन हंगामा बढ़ता देख उन्होंने कार्यवाही सवा दो बजे आधे घंटे के लिए स्थगित कर दी.

इससे पूर्व बुधवार को इस मुद्दे को लेकर सदन की कार्यवाही बाधित हुई और बैठक दो बार स्थगित करनी पड़ी.

भाजपा नेता और केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री अनंत कुमार हेगड़े ने हाल ही में कर्नाटक के कोप्पल ज़िले में एक समारोह में कथित तौर पर कहा था कि जो लोग ख़ुद को धर्मनिरपेक्ष और सुधारवादी मानते हैं उनके माता पिता और खून की कोई पहचान नहीं होती और वे अपनी जड़ों से अनजान होते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा संविधान बदलने के लिए सत्ता में आई है. उनके इसी बयान को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया है.

हेगड़े की टिप्पणी पर राज्यसभा में विपक्ष का हंगामा

केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार हेगड़े के बयान पर कड़ा विरोध जताते हुए विपक्ष ने बुधवार को राज्यसभा में भारी हंगामा किया जिसके चलते भोजनावकाश से पहले सदन की कार्यवाही बाधित रही. सरकार ने हालांकि इस मुद्दे से दूरी बनाए रखी.

हंगामे के कारण बुधवार को राज्यसभा में शून्यकाल और प्रश्नकाल दोनों नहीं हो पाए. विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच संसदीय कार्य राज्य मंत्री विजय गोयल ने कहा सदस्यों ने जिस मुद्दे पर चिंता जताई है उस बारे में हम बताना चाहेंगे कि सरकार संविधान के लिए प्रतिबद्ध है. मंत्री ने बयान दिया है लेकिन हम उनके विचारों को लेकर सहमति नहीं जताते.

बहरहाल, विपक्षी सदस्य इससे संतुष्ट नहीं हुए. भाकपा के डी. राजा ने कहा कि उप राष्ट्रपति होने के नाते वेंकैया नायडू संविधान के संरक्षक भी हैं जो संविधान देश को बीआर आंबेडकर ने दिया है उस पर हेगड़े ने अत्यंत आपत्तिजनक टिप्पणी की है.

राजा ने कहा यहां तक कि आंबेडकर ने तो भारत के हिंदू राष्ट्र होने के विचार का भी विरोध किया था. इसी दौरान कुछ सदस्य आसन के समक्ष आ कर हेगड़े को बर्ख़ास्त करने की मांग करते हुए नारे लगाने लगे.

हंगामे की वजह से सभापति एम. वेंकैया नायडू ने बैठक को दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया.

इससे पहले सुबह बैठक शुरू होने पर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस तथा सपा सहित विपक्षी सदस्यों ने हेगड़े के बयान का मुद्दा उठाया. इन सदस्यों ने कहा कि अगर मंत्री को संविधान में विश्वास नहीं है तो उन्हें मंत्री पद से हटा दिया जाना चाहिए.

कुछ विपक्षी सदस्य आसन के समक्ष आ कर अपनी मांग के पक्ष में नारे लगाने लगे.

सदन में विपक्ष के नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि मंत्री को स्पष्टीकरण देना चाहिए. आजाद ने कहा कि जो मंत्री भारत के संविधान पर विश्वास नहीं करता, उसे मंत्री पद पर बने रहने का कोई हक नहीं है.

उच्च सदन में आज़ाद ने कहा कि हेगड़े ने अपने बयान में दो बातें कहीं, पहली भाजपा का सत्ता में आने का मक़सद देश का संविधान बदलना है, और दूसरा धर्मनिरपेक्षता में यकीन करने वालों के ख़ुद बाप-दादाओं का पता ही नहीं है. उन्होंने भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार हेगड़े से संसद और देश की जनता से माफी मांगने को कहा है.

तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर राय और सपा के नरेश अग्रवाल ने भी व्यवस्था के प्रश्न के तहत यह मुद्दा उठाया.

राय ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना की भावना का उल्लंघन कतई नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि वह इस बारे में आसन से स्पष्ट व्यवस्था चाहते हैं कि क्या ऐसे व्यक्ति को मंत्री पद पर बने रहने का हक़ है जो संविधान का पालन नहीं करता.

उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्षता का ज़िक्र संविधान की प्रस्तावना में है. क्या एक मंत्री को संविधान की प्रस्तावना का उल्लंघन करने का हक़ है.

सपा के नरेश अग्रवाल ने कहा कि संविधान लोकतंत्र की रामायण एवं गीता है. जो भी मंत्री इसका और बाबा साहेब आंबेडकर का अपमान करता है उसे तत्काल पद से हटा दिया जाना चाहिए.

इसी दौरान सपा के कई सदस्य अग्रवाल की बात का समर्थन करते हुए आसन के समक्ष आ गए. कांग्रेस और तृणमूल सदस्य भी आसन के समक्ष आ गए और सरकार के ख़िलाफ़ नारे लगाने लगे.

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने अंबेडकर का स्मारक बना कर उनकी स्मृति का सम्मान करने के लिए प्रधानमंत्री की सराहना करते हुए कहा कि बाबा साहेब का अपमान तो कांग्रेस ने किया है.

भाजपा के सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि आंबेडकर ने संविधान में धर्मनिरपेक्षता शब्द शामिल नहीं किया. नायडू ने हंगामा कर रहे विपक्षी सदस्यों से अपने स्थान पर लौट जाने की अपील की. लेकिन सदन में व्यवस्था बनते नहीं देख उन्होंने करीब साढ़े ग्यारह बजे बैठक को दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया.