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शिवपाल की कैबिनेट में वापसी मुमकिन, रामगोपाल-उदयवीर पर नरमी नहीं

shivpal-akhilesh25लखनऊ। समाजवादी पार्टी में काफी वक्त से जारी घमासान के बीच एक बार फिर सुलह की उम्मीद जगी है। कई मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया है कि रविवार को कैबिनेट से बर्खास्त किए गए यूपी एसपी प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव और अन्य तीन मंत्रियों को वापस मंत्रिमंडल में लिए जाने की तैयारी है। मंगलवार को शिवपाल सिंह यादव समेत बर्खास्त मंत्रियों ने मुलायम के साथ बैठक की। बैठक के बाद शिवपाल ने कहा कि नेताजी के आदेश का पालन होगा। बता दें कि शिवपाल के अलावा नारद राय, ओम प्रकाश सिंह और शादाब फातिमा को अमर सिंह का करीबी बताते हुए उन्हें बर्खास्त कर दिया गया था।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुलायम सिंह रामगोपाल यादव और उदयवीर सिंह पर नरमी बरतने के मूड में नहीं हैं। ऐसे में दोनों की वापसी मुमकिन नहीं दिख रही। समाजवादी पार्टी का झगड़ा उस वक्त चरम पर पहुंच गया था, जब पार्टी के महासचिव रामगोपाल यादव और अखिलेश खेमे के एमएलसी उदयवीर सिंह को छह साल के लिए पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। रामगोपाल यादव ने पार्टी से निकाले जाने से पहले कार्यकर्ताओं को चिट्ठी लिखकर अखिलेश का समर्थन किया, बल्कि सीएम के विरोधियों पर निशाना साधा। वहीं, उदयवीर ने सपा सुप्रीमो मुलायम को चिट्ठी लिखकर अखिलेश की सौतली मां पर साजिश रचने का आरोप लगाया था।

तीन नवंबर को अखिलेश यादव रथयात्रा लेकर निकलने वाले हैं। इसके बाद, पांच नवंबर को पार्टी का रजत जयंती समारोह है। सूत्रों के मुताबिक, मुलायम नहीं चाहते कि विवाद का असर इन दोनों ही कार्यक्रमों पर हो। ऐसे में उन्होंने रास्ता निकालने की यह कोशिश की है। मुलायम ने सोमवार रात अखिलेश और शिवपाल, दोनों को ही अपने घर पर बातचीत के लिए बुलाया था। सूत्रों के मुताबिक, लंबी बातचीत के बाद बर्खास्त मंत्रियों को वापस लेने पर अखिलेश ने रजामंदी दे दी।

हालांकि, मामला पूरी तरह भी नहीं सुलझा है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अखिलेश दोबारा से चाचा शिवपाल को मंत्री बनाने के तो इच्छुक हैं, लेकिन कुछ अहम विभाग उनको नहीं सौंपना चाहते। इसके अलावा, वे यह भी नहीं चाहते कि टिकट बांटने का अधिकार शिवपाल के पास हो। अखिलेश का कहना है कि चूंकि चुनाव उनके चेहरे को आगे करके लड़ा जाना है, इसलिए टिकट बांटने का हक भी उनके पास ही होना चाहिए। अखिलेश चाहते हैं कि शिवपाल पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी न रहें। ऐसे में शिवपाल को राष्ट्रीय महासचिव बनाने पर भी विचार हो सकता है।