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‘वोट लुटेरों’ को EVM रास नहीं आ रहा, क्योंकि इससे वोटों की लूट या बूथ लूट बंद हो गई है

प्रवीण बागी

वोटों के लुटेरे एकबार फिर गोलबंद होने का प्रयास कर रहे हैं। इसमें भारत विरोधी विदेशी ताकतें भी उनका सहयोग कर रही हैं। इस साजिश में अनेक राजनेता भी शामिल हैं। EVM को हैक करने का हल्ला, वोट लुटेरों की ही चाल है। लंदन में स्काइप के जरिये प्रेस कांफ्रेंस करने वाला सैयद सूजा भी इसी गिरोह का मोहरा है। भारत में मुंह की खाने के बाद ये वोट लुटेरे अब विदेशों में EVM विरोधी अभियान चला रहे हैं। यह भारत और भारतीय लोकतंत्र के खिलाफ एक बड़ी साजिश है।

अपने 33 वर्षों के पत्रकारिता जीवन में मैंने प्रधानमंत्री से लेकर नक्सलियों तक की प्रेस कांफ्रेंस कवर की है। इसमें एक भी प्रेस कांफ्रेंस ऐसा नहीं था जिसे किसी नकाबपोश ने संबोधित किया हो। अलबत्ता पुलिसवाले जरूर अपराधियों को नकाब पहनाकर प्रेस के सामने पेश करते हैं। नकाबपोश की कोई विश्वसनीयता नहीं होती। पता नहीं सैयद सूजा को नकाब पहनने के लिए किसने विवश किया ?
यूपी विधानसभा चुनाव हारने के बाद सबसे पहले मायावती ने EVM में गड़बड़ी का आरोप लगाया था, लेकिन कोई प्रमाण नहीं दिया था। फिर नरेंद्र मोदी के हाथों पिटे कांग्रेस समेत अन्य दलों ने मायावती के सुर में सुर मिलाकर EVM हैकिंग का शोर मचाया।

लेकिन जब चुनाव आयोग ने EVM हैक करके दिखाने के लिए उन्हें आमंत्रित किया तो सभी बयानबाज भाग खड़े हुए। तब के मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने 3 जून 2017 को 10 बजे से 2 बजे के बीच सभी दलों को चुनाव आयोग के दफ्तर में आकर EVM हैक करने का खुला आमंत्रण दिया था। तब सिर्फ CPM और NCP के नेता ही पहुंचे। लेकिन उन्होंने कहा कि वे मशीन हैक करने नहीं बल्कि EVM की प्रक्रिया समझने आये हैं। तब सूजा भी किसी बिल में छुपे हुए थे। चुनाव आयोग के सामने जब कोई EVM को हैक करने नहीं आया, तब ही आरोप का मिथ्यापन उजागर हो गया था। तब कुछ समय के लिए यह अभियान ठंढा पड़ गया था। अब चुनाव निकट देखकर एकबार फिर EVM को संदिग्ध बताने का हल्ला किया जा रहा है।
वोट लुटेरों को EVM रास नहीं आ रहा । क्योंकि इससे वोटों की लूट या बूथ लूट बंद हो गई है। उनका रोजगार छीन गया है। वे फिर से बैलेट पेपर से वोटिंग चाहते हैं।

जरा उस दौर को याद कीजिये जब मतपत्रों से वोटिंग होती थी। कैसे बूथ के बूथ कब्जा किये जाते थे और मतपत्रों की लूट होती थी। रिजल्ट आने में 4-4 दिन लगते थे। वोट लुटेरे बूथों का ठेका लेते थे। बम-गोली चलाकर वोट लूटे जाते थे। वोट लुटेरे सरकार तक बनवाते थे। बिहार, यूपी, बंगाल में हिंसा का नंगा नाच होता था। सहमे लोग घरों में बंद रहने में ही भलाई समझते थे। भला हो टीएन शेषन, केजे राव, EVM और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का जिसके चलते वोट लुटेरों का राज खत्म हुआ और देश में सच्चा लोकतंत्र स्थापित हुआ। वोट प्रतिशत बढ़ा। मतदाता वोट देने के लिए कतारबद्ध होने लगा।
वोट लुटेरों के माध्यम से सत्ता हासिल करनेवालों को यह स्थिति सहन नहीं हो रही। सत्ता जाने की बेचैनी उन्हें परेशान किये है। तो दूसरी तरफ वोट लुटेरों की कमाई बंद हो गई। अब दोनों मिलकर फिर से पुरानी व्यवस्था लागू कराने के लिए षडयंत्र रचे हुए हैं। EVM पर हल्ला उसी षड़यंत्र का हिस्सा है। मतदाताओं को इससे सतर्क रहने की जरूरत है।

(वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी के फेसबुक वॉल से )