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विश्वकप पर निर्भर करेगा शास्त्री का भविष्य: राजपूत

ravi sनई दिल्ली। वर्ष 2007 में पहले टी-20 विश्वकप का खिताब जीतने वाली भारतीय टीम के कोच रहे लालचंद राजपूत का मानना है कि मौजूदा टीम निदेशक और कोच का पद संभाल रहे रवि शास्त्री का भविष्य विश्वकप के प्रदर्शन पर निर्भर करेगा। राजपूत ने कहा, शास्त्री पिछले एक साल से लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। उनके मार्गदर्शन में टीम ने एशिया कप अपराजेय रहते हुए जीत लिया लेकिन भविष्य में उनके कोच बने रहने या न रहने का फैसला भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को करना है। कोच के मुद्दे पर इस समय मेरा कुछ कहना ठीक नहीं होगा।
उन्होंने कहा, भारतीय टीम का विश्वकप में प्रदर्शन कैसा रहता है, इस बात पर शास्त्री का भविष्य निर्भर करेगा। यदि भारत विश्वकप जीतता है तो यह देखना दिलचस्प होगा कि शास्त्री आगे कोच बने रहना चाहेंगे या नहीं। उल्लेखनीय है कि गत वर्ष एकदिवसीय विश्वकप के बाद डंकन फ्लेचर हट गए थे और तब से शास्त्री टीम निदेशक के रूप में कोच पद भी देख रहे हैं। उनका यह कार्यभार मौजूदा टी-20 विश्वकप तक के लिए है। पूर्व कोच ने भारतीय कप्तान धोनी की सराहना करते हुए कहा, मैंने 2007 में ही महसूस किया था कि धोनी हमेशा दो कदम आगे की सोचते हैं। उनकी सोच हमेशा आगे की रहती है। यदि आपका कप्तान इतना शांत हो तो खिलाडिय़ों पर से दबाव अपने आप ही हट जाता है। वह हमेशा अपने खिलाडिय़ों का पूरा समर्थन करते हैं।
युवा तेज गेंदबाजों हार्दिक पांड्या और जसप्रीत बुमराह की तारीफ करते हुए राजपूत ने कहा, पांड्या ने टीम में ऑलराउंडर की कमी पूरी की है जबकि बुमराह डेथ ओवरों में अच्छी यॉर्कर डालते हैं। पांड्या की एक और खासियत उनका शानदार क्षेत्ररक्षण है। आशीष नेहरा की वापसी भी टीम इंडिया के लिए सुखद है। वह लगातार अपने ओपनिंग स्पेल में विकेट निकालते हैं जिससे विपक्षी टीम पर दबाव बनता है। राजपूत ने 2007 की कामयाबी को याद करते हुए कहा, 2007 में हम सभी एंजॉय कर रहे थे। सब प्रेरित थे और कोई दबाव नहीं था। कोई अपेक्षा नहीं थी। यही सोचा था कि जी जान से खेलेंगे।
टीम बैठक भी लंबी नहीं करते थे। बस यही होता था कि अच्छा खेलना है और अपनी ताकत से खेलना है। इसी बात का नतीजा था कि हम लोगों ने कप जीता। पूर्व कोच ने कहा, पाकिस्तान के साथ फाइनल का मुकाबला बहुत अलग था। थोड़ा सा दबाव था, आखिरी दो ओवरों में जिस तरह मिस्बाह ने बल्लेबाजी की, उससे ङ्क्षचता बढ़ी लेकिन हम लोग अपनी ताकत पर खेल रहे थे और जीत भी हमारी ही हुई।