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वित्त मंत्री जेटली की अमृतसर से लिया अपने हार का बदला है, स्वर्ण मंदिर रसोई पर भी लगाया GST

नई दिल्ली। स्वर्ण मंदिर अमृतसर की रसोई को दुनिया की सबसे बड़ी सामुदायिक रसोईघर के रूप में जाना जाता है। यहाँ औसतन 50,000 से अधिक श्रद्धालुओं को सामान्य दिनों में तथा 1,00,000 से अधिक श्रद्धालुओं को सप्ताहांत और त्योहारों के अवसरों पर लंगर खिलाया जाता है।

हाल में लागू किए गए वस्तु एवं सेवा कर (GST) के कारण अमृतसर के स्वर्ण मंदिर परिसर और अन्य गुरुद्वारों में आयोजित की जानेवाली इस सामाजिक-धार्मिक गतिविधि पर 10 करोड़ रुपये से ज्यादा का बोझ बढ़ जाएगा है। यह जानकारी मंदिर के संंबंधित अधिकारियों ने दी है।

इतना ही नही आजकल सोशल मीडिया पर इसे लेकर सरकार द्वारा अल्प संख्यको को प्रताड़ित किये जाने का आरोप लगाया जा रहा है।

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो द्वारा यह प्रसारित किया जा रहा है कि हरमिंदर साहेब गुरुद्वारा अमृतसर मर जहां लाखो लोग निष्काम भाव से सेवा करते है, भक्तों को निःशुल्क भोजन कराया जाता है उसे GST के दायरे में लाया गया है और गस्त लागू कर दिया गया है।

अपने वीडियो में स्वर्ण बीर  सिंह ने सरकार से प्रश्न किया है कि अरुण जेटली या उनकी सरकार बार बार  अल्पसंख्यको को ही निशाना क्यो बना रही है ? उन्होंने तिरुपति बालाजी मंदिर का उदाहरण देते हुए कहा है कि वहाँ लड्डू का प्रसाद बनता है और उसे बेचा जाता है । लड्डू बचने से होने वाली आमदनी पर GST लागू नही किया गया है। परंतु दरबार साहिब जहाँ एक हफ्ते में पांच लाख लोग लंगर चखते है जिनसे उनकी जाति,धर्म या रंग में भेदभाव नही किया जाता वहां पर GST लागू कर दिया गया है। क्या यह अल्प संख्यक या दरबार साहिब पर छुपा हुआ वार नही है ?

तीन बड़े उद्योगपतियों का नाम लेकर अरुण जेटली पर यह भी आरोप लगाया है कि उन्होंने उन्ह पेट्रोल,बिजली और शराब पर GST नही लगाया। आगे इसका मुख्य कारण अमृतसर में अरुण जेटली को मिली हार का बदला बताया गया है। कोई अन्य कारण न मानते हुए इसे निन्दनीय करार किया गया है।उनका यह भी कहना है कि अमृतसर साहेब में न तो कोई चीज़ बेची साती है न कोई सर्विसेस दी जाती है, वहां सब निष्काम भाव से होता है।िसर मुगलों के काल का जज़िया (टैक्स) बताते हुए अल्पसंख्यकों को  देश मे सुरक्षित न होने की बात कही है।

ज्ञात हो कि इन सामुदायिक रसोई घरों के लिए खरीदी जानेवाली ज्यादातर वस्तुएं नए GST के विभिन्न करों की दरों के अंतर्गत आती हैं। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के कई गुरुद्वारों में सामुदायिक रसोईघर चलाती है, जिसमें अमृतसर का हरिमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) भी शामिल है। एसजीपीसी को अब इस मद में हर साल 10 करोड़ रुपये से अधिक का अतिरिक्त भार पड़ेगा। श्री हरिमंदिर साहिब के अलावा एसजीपीसी अन्य प्रमुख गुरुद्वारों में भी लंगर सेवा चलाती है, जिसमें आनंदपुर साहिब का तख्त केसगढ़ साहिब, बठिंडा के तलवंडी साबो का तख्त दमदमा साहिब समेत अन्य गुरुद्वारे शामिल हैं। जीएसटी की नई दरों के लागू होने के बाद एसजीपीसी को रसोईघर के सामान की खरीद के लिए अधिक वित्तीय बोझ उठाना होगा।

केंद्रीय खाद्यान्न प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने वित्तमंत्री अरुण जेटली को पत्र लिखकर मांग की है कि एसजीपीसी द्वारा ‘लंगर सेवा’ के लिए की जाने वाली सभी खरीद को GST अधिनियम से छूट दी जाए। बादल का कहना है, “पंजाब सरकार ने पहले एसजीपीसी की लंगर सेवा के लिए श्री दरबार साहिब, अमृतसर, श्री केसगढ़ साहिब, आनंदपुर और तलवंडी साबो भटिंडा द्वारा खरीदी जाने वाली सभी वस्तुओं को वैट से छूट दी थी। एसजीपीसी देशी घी, चीनी, दालों की खरीद पर हर साल 75 करोड़ रुपये खर्च करती है। लेकिन अब इन वस्तुओं के जीएसटी के अंतर्गत पांच से 18 फीसदी कर के दायरे में आने के कारण इनकी खरीद पर 10 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च करने होंगे। एसजीपीसी के अध्यक्ष किरपाल सिंह बडूंगर ने जीएसटी परिषद (जो जीएसटी की करों पर फैसला लेती है) को भेजे पत्र में सिख संगठन को जीएसटी दरों में छूट देने की मांग की है।

वित्त मंत्रालय का स्पष्टीकरण

धार्मिक संस्थाओं के ‘अन्न क्षेत्र’ में मुफ्त में वितरित किए जा रहे खाने पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) नहीं लगेगा। सरकार ने मंगलवार को साफ कहा कि मंदिर, गुरुद्वारा, मस्जिद, दरगाह और चर्च में लोगों को मुफ्त आवंटित किए जाने वाले प्रसाद इसके दायरे से बाहर हैं। वित्त मंत्रालय ने इस संबंध में स्पष्टीकरण जाते हुए उन खबरों को पूरी तरह असत्य बताया जिनमें कहा गया था कि धार्मिक संस्थाओं से मुफ्त वितरित होने वाले खाने पर भी जीएसटी लगेगा। हालांकि प्रसाद बनाने में इस्तेमाल होने वाले सामान और सेवाओं पर जीएसटी लगेगा। इनमें चीनी, खाद्य तेल, घी, मक्खन और इन चीजों की ढुलाई के लिए इस्तेमाल होने वाली ट्रांसपोर्ट सेवाएं शामिल हैं।

मंत्रालय ने कहा कि इन वस्तुओं का अलग-अलग इस्तेमाल होता है। इसलिए किसी खास उपयोग को ध्यान में रखते हुए इनके लिए टैक्स की दरें तय करना कठिन है। जीएसटी में एंडयूज यानी अंतिम उपभोग के आधार पर छूट की कोई व्यवस्था नहीं है। इसीलिए धार्मिक संस्थाओं में वितरित किए जाने वाले खाने के बनाने में इस्तेमाल होने वाले इनपुट को भी टैक्स फ्री करना मुश्किल होगा।

रेस्तरां, होटल और भोजनालयों को अपने मैन्यू कार्ड में खाने-पीने की चीजों के दाम घटाने चाहिए ताकि जीएसटी के तहत कच्चे माल पर दिए गए कर के एवज में इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ लिया जा सके। यह बात राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने कही है।