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विकास ने बसपा सरकार में बनवाए थे सबसे ज्यादा शस्त्र लाइसेंस, जांच में सामने आया सच…

कानपुर। मुठभेड़ में मारे गए कानपुर के दुर्दांत अपराधी विकास दुबे पर बसपा सरकार सर्वाधिक मेहरबान रही थी। 50 से अधिक मुकदमे होकर भी उसका बाल-बांका न हुआ। वह वर्ष 2007 से 2012 तक न सिर्फ पाक-साफ बनकर घूमा, बल्कि सियासी पकड़ के बूते अपने गुर्गों के शस्त्र लाइसेंस भी बनवा लिए। एसएसपी दिनेश कुमार पी का कहना है कि विकास के करीबी लोगों के दो दर्जन शस्त्र लाइसेंस निरस्त किए जा रहे हैं।

छात्र जीवन से ही रंगबाजी दिखाने का आदी रहा विकास दुबे खतरनाक अपराधी बनकर भी जिंदा बचा रहा था तो सिर्फ सियासी आकाओं की वजह से। राज्यमंत्री संतोष शुक्ला की हत्या के बाद एनकाउंटर से बचाने के लिए एक नेताजी ही थाने के बाहर धरने पर बैठ गए थे। तभी उठे थे, जब सुरक्षित सरेंडर की डील हो गई थी। धीरे-धीरे वह सियासी आकाओं की ही मजबूरी बन गया। उसने दो विधायकों के नाम भी मीडिया को बताए थे। इनके जैसे दूसरे कुछ और नेताओं के बलबूते वह गुंडई करके बचता रहा। दो जुलाई को भी पुलिस को फोन करके धमकी दी थी कि गांव आए तो लाशें बिछा देंगे।

बसपा शासन में कोई मुकदमा नहीं : 13 मई 2007 से 15 मार्च 2012 तक बसपा सरकार में विकास ने खूब दबंगई की, लेकिन मुकदमा एक न लिखा गया। वर्ष 2012 में बसपा से विधानसभा चुनाव भी लडऩा चाहा, पर हसरत पूरी न हुई। बसपा की सत्ता गई तो तीन साल सपा के करीब रहा। वर्ष 2015 में पत्नी रिचा को सपा के समर्थन से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ाने के लिए अर्जी भी दी, पर एंट्री न मिली। इस बीच, बसपा में रहे उसके आका भाजपा में आ पहुंचे तो यहां भी तगड़ी पैठ बना ली थी।

इन गुर्गों के बनवाए थे लाइसेंस

  • मार्च 2009 : दयाशंकर अग्निहोत्री उर्फ कल्लू की बंदूक का लाइसेंस (मुठभेड़ में गिरफ्तार)
  • अप्रैल 2010 : प्रवीण उर्फ बऊवा दुबे की बंदूक का लाइसेंस (एनकाउंटर हो चुका है)
  • मई 2011 : हीरू दुबे की रायफल का लाइसेंस (मुठभेड़ में नामजद)
  • सितंबर 2011 : गोपाल सैनी की बंदूक का लाइसेंस (मुठभेड़ में नामजद)
  • जनवरी 2012 : शिव तिवारी के रिवॉल्वर का लाइसेंस (मुठभेड़ में नामजद)
  • फरवरी 2012 : विष्णुपाल सिंह उर्फ जिलेदार के रिवॉल्वर का लाइसेंस (मुठभेड़ में नामजद)