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विकास दुबे के साथ सात कंपनियों ने खूब किया ‘विकास’, सभी के रिश्ते जांच के दायरे में

लखनऊ। हिस्ट्रीशीटर को ‘कानपुर वाला विकास दुबे’ बनाने के सफर में सात कंपनियां जांच एजेंसियों के रडार पर आ गई हैं। मंधना से शिवराजपुर के बीच स्थित इन कंपनियों को विकास का साथ खूब रास आया और विकास ने भी अपना जमकर ‘विकास’ किया। अब उनके और दबंग के बीच के रिश्तों को जांच के दायरे में लिया गया है।

मंधना-चौबेपुर इंडस्ट्रियल एरिया का विकास करीब 25 साल पहले हुआ था। 2002 तक दादानगर और पनकी की इकाइयों ने यहां अपना विस्तार किया। इसके बाद इस बेल्ट ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और देखते ही देखते कानपुर के एक बड़े औद्योगिक क्षेत्र के रूप में स्थापित हो गया। तभी से यहां जमीनों के रेट आसमान छूने लगे और शुरू हुआ विकास और औद्योगिक गलियारों का गठजोड़।

विकास की कमाई की जड़ों तक पहुंचने की कवायद कर रही जांच एजेंसियों को अभी तक सात बड़ी कंपनियों से गठजोड़ के लिंक मिले हैं। ये सभी कंपनियां मंधना-शिवराजपुर औद्योगिक गलियारे में स्थित हैं। इस बेल्ट में इन कंपनियों का अस्तित्व सीमित था लेकिन 16 साल में इतनी तेज रफ्तार पकड़ी कि इस इलाके की पहचान इन कंपनियों से होने लगी।  जांच एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक जिस क्षेत्र में इन कंपनियों का जन्म हुआ था, वहां भी ये उतनी तेजी से नहीं पनपीं, जितना जीटी रोड की इस बेल्ट में उन्होंने तरक्की की। सूत्र ने बताया कि तीन कंपनियों का साइज तो महज 12 साल में तीन गुना हो गया। वो भी यहां आने के बाद। पनकी, दादानगर और फजलगंज में जितनी जमीन नहीं थी, उससे 200 गुना बड़ी जमीन पर यहां फैक्ट्रियां लगाईं। वो भी तब जब इलाके में जमीन सोना है। इन कंपनियों ने जमीनों के दम पर अपनी हैसियत अरबों में कर ली। बैंकों ने मोटी पार्टी देखकर जमकर फाइनेंस किया और तरक्की का सफर शुरू हो गया।