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विकास दुबे के साथियों को बिजली का बिल जमा नहीं करने पर मिला अल्टीमेटम, पैसे नहीं दिए तो कटेगा कनेक्शन

कानपुर। हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के करीबी जयकांत बाजपेई व भाई रजयकांत पर कृपा बरसाने वाले बिजली विभाग के अफसरों ने किरकिरी होने के बाद अब अल्टीमेटम नोटिस भेजा है। बकाया 4.78 लाख रुपए 31 जुलाई तक जमा न करने पर छह कनेक्शन काटे जाएंगे।

जय बाजपेई, पत्नी श्वेता और भाई रजय के आठ कनेक्शनों पर करीब सवा सात लाख रुपए बाकी था। मामला सामने आने पर आनन-फानन में चार कनेक्शन के करीब 1.92 लाख रुपए जमा करा दिए गए। फिर भी बकाए को लेकर केस्को पर सवाल उठते रहे। अब सहायक अभियंता जवाहर नगर की ओर से जयकांत और रजयकांत को नोटिस भेजा गया है कि अगर 31 जुलाई तक बकाया नहीं जमा होगा तो छह कनेक्शन काट दिए जाएंगे। इसकी जिम्मेदारी आपकी होगी। जरीब चौकी के अधिशासी अभियंता श्याम नारायण ने इसकी पुष्टि की। कहा कि बाकी कनेक्शन ओटीएस में चल रहे हैं।

ओटीएस स्कीम का भी मजाक उड़ा रहा जय
जयकांत बाजपेई ने बिजली विभाग की कृपा का फायदा उठाकर ओटीएस स्कीम का जमकर मजाक उड़ाया है। आरसी जारी वाले कनेक्शन का ओटीएस में पंजीकरण कराने के बावजूद जयकांत की बकाएदारी एक लाख की है।  उस पर वह किस्त भी नहीं जमा कर रहा है। फिर भी उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। ऐसे में केस्को ने ओटीएस स्कीम वाले कनेक्शनों पर भी अल्टीमेटम दिया है। इसी तरह से रजयकांत बाजपेई का एक कनेक्शन ओटीएस स्कीम में पंजीकृत होने के बावजूद सिर्फ दो हजार रुपए जमा हुए है। ऐसे में ओटीएस के दो कनेक्शनों पर भी नोटिस दिया गया है।

कटने के बाद जोड़ी बिजली, नहीं की कार्रवाई
जय बाजपेई का 1.43 लाख रुपए की बकाएदारी पर एक कनेक्शन जनवरी 2020 में और दूसरा कनेक्शन 1.17 लाख की बकाएदारी पर अगस्त 2019 और फिर जनवरी 2020 में भी केस्को की ओर से काटा गया। जवाहर नगर सब स्टेशन के मुताबिक कटने के बावजूद दोनों भाई कनेक्शन जोड़कर बिजली चला रहे थे। फिर भी केस्को ने कार्रवाई नहीं की।

साल भर में एक रुपया नहीं दिया था
मेहरबानी का सिलसिला इस तरह भी चला कि जिस परिसर में आवासीय कनेक्शन पर बकाया था, उसी में कॉमर्शियल कनेक्शन भी दे दिया गया। श्वेता बाजपेई के तीन किलोवॉट के कॉमर्शियल कनेक्शन पर कभी बिजली का बिल जमा ही नहीं हुआ। 23 जून 2019 को केस्को अफसरों ने 111/481 हर्षनगर के पते पर कॉमर्शियल कनेक्शन दिया। अब बकाएदारी का 32501 रुपए एक साथ गुरुवार को जमा कराए गए हैं।

दिखाने को नोटिस, कुर्की कार्रवाई भी अधूरी
केस्को अफसरों ने बड़ी-बड़ी बकाएदारी के बावजूद सिर्फ दिखाने के लिए चार कनेक्शन पर नोटिस और एक कुर्की की कार्रवाई दिसंबर 2019 में की थी। 72 हजार की बकाएदारी पर तहसील कार्रवाई करती उससे पहले ही उसका ओटीएस में रजिस्ट्रेशन कराकर 12 हजार जमा करा लिए गए। अभी तक कुर्की चल रही है। तहसीलदार अतुल कुमार के मुताबिक केस्को ने ओटीएस की कोई जानकारी नहीं दी है। एमडी को पत्र भेजकर कुर्की वापस कराऊंगा नहीं तो जमा 12 हजार के अलावा और पैसा वसूला जाएगा। भाई रजय के कनेक्शन पर दो लाख बकाया होने के बावजूद आरसी तक जारी नहीं की गई। सिर्फ नोटिस देकर छोड़ दिया गया।

केस्को ने बताया दबंग, कभी नहीं की कार्रवाई
केस्को के जरीबचौकी डिवीजन के अधिशासी अभियंता की ओर से एमडी को भेजी गई रिपोर्ट में बताया गया है कि जय व रजय दबंग व उपद्रवी हैं। बकाया वसूली व कनेक्शन काटने का जब भी अवर अभियंता, सहायक अभियंता व कर्मचारियों ने प्रयास किया तो गाली-गलौज व मारपीट की नौबत आ गई। हमेशा अपनी सुविधा मुताबिक बिल जमा किया। इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई।

विकास के खजांची की जरीब चौकी डिवीजन में थी सेटिंग
विकास दुबे के फंड मैनेजर जय की केस्को के डिवीजन जरीब चौकी में तैनात अफसरों से लेकर लाइनमैन तक सेटिंग थी। लाइनमैन त्योहारी सीजन में जयकांत बाजपेयी के यहां आकर दस्तक देते थे। अपने रसूख के बूते ही जय वाजपेयी अपने बकाया बिजली को कभी भी समय पर जमा किया ही नहीं। ये दीगर बात है कि मामला तूल पकड़ने पर चौबीस घंटे पहले 1.92 लाख रुपए जमा करा दिए हैं। केस्को के विभागीय अफसरों की संलिप्तता पर जांच शुरू हो गई है।

केस्को के अधिकारी जय वाजपेयी के साथ विभागीय कृपा पर कुछ भी बोलने से बच से रहे हैं। हर कोई जय से विभागीय अफसरों के मेलमिलाप की बात तो स्वीकारता है पर जैसे ही उनसे इस बावत चर्चा करो तो वे लोग यह कहकर बात को टाल देते हैं कि ये तो मामला जवाहरनगर सबस्टेशन का है। जय के खिलाफ विभागीय अफसरों की संलिप्तता व जांच के बावत केस्को के मीडिया प्रभारी सीएस अंबेडकर ने बताया कि संलिप्तता से लेकर अवैध तरीके से लाइन जोड़ बिजली चोरी  की जांच कराई जा रही है।

लोड तो कभी चेक हुआ ही नहीं
जवाहरनगर सबस्टेशन के कर्मचारी ने बताया कि जय की दबंगई का अंदाजा इसी से लगता है कि इतने बड़े घरों में कितने एसी हैं और कितने अन्य बिजली उपकरण। इसकी तो कभी चेकिंग तक नहीं कराई गई है। कोई चेकिंग को कहता भी था तो यह कहकर उसे शांत कर दिया जाता था कि जांच का मतलब बखेड़ा। इस बात का उल्लेख भी पिछले दिनों एमडी को भेजे गए पत्र में किया गया है।