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लखनऊ एनकाउंटर: आतंकियों के आने की पूरी कहानी

लखनऊ। हाजी कॉलोनी में 12 घंटे से अधिक समय तक ऑपरेशन चलता रहा और फायरिंग होती रही। इन सबके बीच मौके पर हजारों लोग जुटे रहे। सबके बीच यही चर्चा थी कि आखिर आतंकी कैसे दिखते हैं। यही जानने और देखने की उत्सुकता में लोग रात तक डटे रहे। कुछ लोग तो कई किलोमीटर दूर से कॉलोनी का पता पूछते-पूछते पहुंचे। भीड़ के बीच से रह-रहकर आवाजें भी उठती रहीं कि पुलिस इतना टाइम क्यों लगा रही है। बम से उड़ा क्यों नहीं देती।

मारे जाने की चर्चा पर मकान की ओर दौड़े
शाम करीब छह बजे 10 राउंड फायर के बाद चर्चा चली कि संदिग्ध आतंकी मारे गए। ऐम्बुलेंस भी पहुंच चुकी थी। पुलिस ने घटनास्थल से ऐम्बुलेंस तक का रास्ता खाली करवाना शुरू कर दिया था। आईजी एटीएस असीम अरुण, आईजी ए सतीश गणेश, डीआईजी प्रवीण कुमार व अन्य पुलिसकर्मियों को मकान से बाहर आते ही लोगों ने समझा कि संदिग्ध मारे गए। यही सोचकर भीड़ मकान की ओर बढ़ने लगी। अफरा-तफरी का माहौल देख पुलिस ने तुरंत ही बताया कि आतंकी अभी नहीं मरे हैं। इसके बाद रात 9:35 बजे ऐसी चर्चा फिर चली। कोई कह रहा था कि संदिग्ध ने आत्महत्या कर ली तो कोई कहने लगा एनकाउंटर हो गया।

भीड़ से जूझती रही पुलिस
मुठभेड़ के दौरान पुलिस बार-बार भीड़ को हटाने की कोशिश करती रही। आखिरकार एसएसपी मंजिल सैनी ने लाउडस्पीकर से बोलना शुरू किया कि लोग घर चले जाएं। आतंकी बाहर हमला भी कर सकते हैं। लोग नहीं माने तो कहा कि जो नहीं माना तो हिरासत में लेकर थाने में ले जाएंगे। इसके बाद लोग हटे।

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: Photo of ISIS Khorasan module terrorist gunned down in Thakurganj

 चिली पाउडर और टीअर गैस से हुई दिक्कत

एटीएस ने मकान में छिपे संदिग्धों पर काबू पाने के लिए कमरे के अंदर चिली पाउडर और टीअर गैस डाली। आंतकियों की हालत देखने के लिए कटर व ड्रिल से छत में छेद भी किया। इससे चिली पाउडर और टियर गैस बाहर फैलने लगी और बाहर खड़े लोगों व पुलिसकर्मियों को खांसी आने लगी।

बच्चों ने संदिग्धों को भागते हुए देखा
घटनास्थल से करीब 300 मीटर की दूर कुछ बच्चे क्रिकेट खेल रहे थे। उन्होंने पुलिस को बताया कि दो संदिग्धों को उन्होंने भागते हुए देखा है। इसके बाद चार टीमों को आसपास सर्च करने के लिए कहा गया। शाम 3:30 बजे से देर शाम तक पुलिस ने सर्च किया, लेकिन कोई खास जानकारी नहीं मिली।

छात्र बनकर आए थे
संदिग्ध जिस घर में रह रहे थे वह मलिहाबाद निवासी बादशाह खान का है। वह सऊदी में जरदोजी का काम करता है। उसने घर को किराए पर उठाने की जिम्मेदारी पड़ोस में रहने वाले कलीम और कय्यूम को सौंप रखी थी। जानकारी के मुताबिक, करीब ढाई माह पहले कलीम ने सैफुल्लाह और उसके तीन साथियों को यह घर किराए पर दिया था। इन लोगों ने खुद को स्टूडेंट और कानपुर का रहने वाला बताया था।