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रैनसमवेयर बनाने वाले साइबर क्रिमिनल्स को अब तक हुई इतनी कमाई !

नई दिल्ली। जिस रैनसमवेयर नाम के मालवेर ने पूरे विश्व में पैसे कमाने के लिए साइबर अटैक किया है उस रैनसमवेयर करनेवाले साइबर क्रिमिनल्स को उम्मीद से बहुत कम पैसे मिलने का प्रमाण सामने आया है जिससे साइबर अटैक करनेवाला ये ग्रुप जाहिर तौर पर सोच में पड़ गया होगा. साइबर एक्सपर्ट्स ने रिसर्च करके पता किया है जिन 3 बिटकॉइन एड्रेस पर पैसे मंगाए जा रहे है उनमें पिछले 3 दिनों में विश्व भर से केवल 240 ट्रांजैक्शन हो पाए हैं. इसमें से केवल 62000 यूएस डॉलर यानि करीब 43 लाख रुपये इन साइबर क्रिमिनल्स को मिल पाए जो उनकी उम्मीद से बेहद कम है.

इस रैनसमवेयर की शुरुआत कहां से हुई, किसने की और कैसे की, इस विषय पर रिसर्च कर रही एक टीम से बात करके एबीपी न्यूज़ ने इन सब सवालों के जवाब हासिल किए हैं.

रैनसमवेयर एक ऐसा साइबर अटैक जिसने दुनिया के करीब 99 देशों के साइबर स्पेस में हाहाकार मचा दिया है. कम्प्यूटर की भाषा में बात करें तो एक मालवेयर और एक फिशिंग इमेल के जरिए आपके कंप्यूटर को लॉक करके, डेटा डिलीट करने की धमकी देकर आप से पैसे वसूल ने के लिए बनाया गया ये रैनसमवेयर आज सबकी चिंता का सबब बन गया. इस साइबर अटैक के पीछे के लोगों को भरोसा था ऐसा करने से उन्हें करोड़ों, अरबों रुपयों की कमाई होगी. लेकिन वास्तव में ऐसा अब तक नहीं हो पाया. साइबर रिसर्च करनेवाली टीम सिंकलेचर ने रिसर्च कर पाता किया है कि पिछले तीन दिनों में इन लोगों को सिर्फ़ 36 बिटकॉइन मिल सके हैं जिनकी कीमत करीब 43 लाख रुपये ही बैठती है.

दुनिया के साइबर स्पेस पर हुआ अबतक का सबसे बडा मालवेर अटैक
उन एक्सपर्ट्स की मानें तो ये अबतक का सबसे बडा दुनिया के साइबर स्पेस पर हुआ मालवेर अटैक है. बताया जा रहा है कि इस साइबर अटैक की शुरुआत मार्च 2017 को हुई जब डार्क नेट पर मौजूद ‘SHADOW BROKER’ नाम के एक ग्रुप ने अमेरिका की नेशनल सिक्योरेटी एजेंसी के टूल साइबर स्पेस में लीक कर दिए. इसी लीक का इस्तमाल करके एक दूसरे क्रिमिनलस ग्रुप ने रैनसमवेयर तैयार किया और 13 मई को दुनिया में इसे फैला दिया.

डार्क नेट और साइबर क्रिमिनल्स ये कैसे करते है ये जानिए

साइबर एक्सपर्ट अक्षय ने डार्क नेट और रैनसमवेयर के बारे में बताया कि इन साइबर क्रिमिनल्स ने लॉक खोलने के लिए 300-600 यूएस डॉलर की मांग की और ये पैसे 19 मई तक देने कि लिए कहा और ऐसा नहीं करने पर डेटा डीलीट करने की धमकी दी. दुनिया भर के साइबर एक्सपर्ट इस पर उपाय खोजने में जुटे है और पैसे नहीं देनी की अपील कर रहे है. वहीं इस अटैक ने बड़ी बड़ी कंपनियों के साथ साथ सरकार दफ़्तरों को भी निशाना बनाया है हालांकि भारत में इसका असर फिलहाल ज़्यादा नहीं देखने को मिला है.

रैनसमवेयर बनाने वालों को अब तक निराशा तो हाथ लगी ही होगी. लेकिन साइबर एक्सपर्ट मानते है कि अगर अगले 2-3 दिनों में कोई उपाय नहीं मिला तो संभव है कि लोग 18 मई से पैसे भरना शुरु कर देंगे.