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राहुल गांधी के नाम पर विपक्ष में ‘रार’, नहीं बना सकते PM उम्‍मीदवार

नई दिल्ली। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी प्रधानमंत्री पद के उम्‍मीदवार होंगे। कांग्रेस पार्टी ने अभी से राहुल गांधी को पीएम पद के उम्‍मीदवार के तौर पर प्रमोट करना शुरु कर दिया है। लेकिन, विपक्ष राहुल के नाम पर एकमत नहीं है। वहीं सोशल मीडिया पर भी लोगों ने राहुल गांधी को इस पद के लिए अभी से नकाराना शुरु कर दिया है। सोशल मीडिया यूजर्स ने अपने चिरपरिचित अंदाज में राहुल गांधी को ‘पप्‍पू’ शब्‍द से संबोधित करते हुए लिखा है कि विपक्ष पप्‍पू को नहीं बना सकता पीएम पद का उम्‍मीदवार। दरअसल, अभी रविवार को ही कांग्रेस के मुख्‍य प्रवक्‍ता और मीडिया प्रमुख रणदीप सुरजेवाला ने एक न्‍यूज एजेंसी को इंटरव्‍यू दिया था। जिसमें उन्‍होंने कहा था कि 2019 के लोकसभा चुनाव में सिर्फ राहुल गांधी ही नरेंद्र मोदी का विकल्‍प हो सकते हैं। इतना ही नहीं रणदीप सुरजेवाला ने ये भी कहा था कि देश राहुल गांधी को प्रधानमंत्री के तौर पर देखना चाहता है।

लेकिन, कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला के इस बयान पर पूरा का पूरा विपक्ष एकमत नहीं है। अभी से ही राहुल गांधी के नाम पर रार शुरु हो गई है। जिसका मतलब साफ कम से कम राहुल गांधी की प्रधानमंत्री पद की दावेदारी पर विपक्ष एकजुट नहीं होगा। हालांकि ऐसे दलों की भी कोई कमी नहीं है जो इस बात से सहमत हैं कि 2019 में राहुल ही नरेंद्र मोदी का विकल्‍प बन सकते हैं। रणदीप सुरजेवाला के बयान का एनसीपी ने समर्थन किया है। जबकि समाजवादी पार्टी इसके खिलाफ है। इस मसले पर विपक्ष की राय अलग-अलग है। समाजवादी पार्टी का मानना है कि अखिलेश यादव मोदी का विकल्‍प बन सकते हैं। यानी अगर समाजवादी पार्टी के इस बयान पर गौर फरमाया जाए तो आने वाले दिनों में सपा भी अपनी ओर से अखिलेश यादव को पीएम पद का उम्‍मीदवार घोषित कर सकती है। हालांकि इससे पहले सपा में हमेशा इस पद के लिए चर्चा मुलायम सिंह यादव की होती रही है।

समाजवादी पार्टी की तरह आरजेडी भी इस बात को लेकर सहमत नहीं है कि सिर्फ राहुल गांधी ही मोदी का विकल्‍प हो सकते हैं। आरजेडी के नेता मनोज झा का कहना है कि लोकतंत्र में इस तरह के फैसले सामूहिक तौर पर लिए जाने चाहिए। कांग्रेस के साथ हमारी सोच सकारात्‍मक है। लेकिन, इसका मतलब ये नहीं है कि वो जो कहें हम उसे मान ही लें। मनोज झा का कहना है कि अगर कांग्रेस पार्टी पीएम पद के उम्‍मीदवार के तौर पर राहुल गांधी का नाम आगे बढ़ाती है तो इस पर विचार किया जाएगा। हालांकि आरजेडी का मानना है कि राहुल विध्‍वंस की राजनीति नहीं करते हैं। सभी समाज को एक साथ लेकर चलते हैं। उन्‍हें विकल्‍प के तौर पर रखा जा सकता है। लेकिन, फैसला सामूहिक हो। यानी आरजेडी उनकी दावेदारी को ना तो स्‍वीकार रही है और ना ही सिरे से नकार रही है। हालांकि लालू यादव के जेल जाने के बाद आरजेडी के पास इस वक्‍त ऐसा कोई नाम नहीं है इस पद के काबिल हो।
वहीं दूसरी ओर लेफ्ट पार्टियों ने इस मसले पर अभी तक अपने पत्‍ते भी नहीं खोले हैं। जबकि मायावती के बारे में हर कोई जानता है कि वो कभी भी राहुल गांधी की उम्‍मीदवारी पर अपनी मुहर नहीं लगा सकती। क्‍योंकि वो खुद को दलितों का बड़ा नेता मानती हैं। ऐसे में कांग्रेस पार्टी को उनका समर्थन मिलना काफी मुश्किल है। तृणमूल कांग्रेस की अध्‍यक्ष ममता बनर्जी के हालात भी मायावती जैसे ही हैं। हालांकि वो मोदी के खिलाफ यूपीए में शामिल होंगी या नहीं इस पर भी सवाल बरकरार है। शिवसेना अगर विपक्ष के पाले में खड़ी होती है तो हो सकता है कि वो राहुल के नाम का समर्थन कर दे। क्‍योंकि उनके पास भी ऐसा कोई नाम नहीं है जिसे वो विपक्षी खेमे में उठा सकें। उद्धव ठाकरे और उनके बेटे की महात्‍वाकांक्षाएं तो बड़ी हो सकती हैं कि लेकिन, मोदी को टक्‍कर देने वाला कद इनके पास नहीं है। शरद यादव के पास भी राहुल गांधी के समर्थन के अलावा कोई दूसरा विकल्‍प नहीं है। तो देखिए और इंतजार कीजिए कि प्रधानमंत्री पद की दावेदारी को लेकर राहुल को किन-किन का समर्थन मिलता है और किन-किन से चुनौती।