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राज्यसभा चुनाव: सिब्बल को नहीं रोक पाई BJP, जानें नतीजे

01UP-Rajya-Sabhawww.puriduniya.com लखनऊ /नई दिल्ली। राज्यसभा की 27 सीटों के लिए सात राज्यों में शनिवार को वोटिंग हुई। उत्तर प्रदेश में कुल 11 सीटों पर हुए चुनाव में समाजवादी पार्टी के सभी सात प्रत्याशियों ने जीत हासिल की। यहां से कांग्रेस के सीनियर नेता कपिल सिब्बल भी बीएसपी के समर्थन से जीतने में कामयाब रहे। इसके साथ ही बीएसपी के दो उम्मीदवारों और बीजेपी एक प्रत्याशी को जीत मिली। हरियाणा से बीजेपी समर्थित निदर्लीय उम्मीदवार सुभाष चंद्रा को भी जीत मिली है। इन्होंने कांग्रेस और आईएनएलडी समर्थित उम्मीदवार आरके आनंद को हराया।

कांग्रेस की निगाह उत्तर प्रदेश पर टिकी हुई थी। यहां से कांग्रेस के सीनियर नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल मायावती के समर्थन से राज्यसभा के लिए चुनावी मैदान में थे। बीजेपी समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी प्रीति महापात्रा के मैदान में आने के बाद कपिल सिब्बल की लड़ाई मुश्किल हो गई थी। हालांकि कपिल सिब्बल ने इस मुश्किल लड़ाई में बाजी मार ली। उन्होंने प्रीति महापात्रा को हरा दिया।

उत्तर प्रदेश में 11 सीटों के लिए 12 उम्मीदवार मैदान में थे। वोटिंग के दौरान बीजेपी विधायकों ने समाजवादी पार्टी के विधायकों पर वोटिंग कम्पार्टमेंट ब्लॉक करने का आरोप लगाया था। इन्हीं आरोपों को लेकर समाजवादी पार्टी के हाजी जमीरुल्लाह खान और बीजेपी के रघुनंदन सिंह भदौरिया के बीच बहस भी हुई। समाजवादी पार्टी के सभी सात उम्मीदवार उत्तर प्रदेश से राज्यसभा चुनाव जीतने में कामयाब रहे।
बहुजन समाज पार्टी के तीन विधायकों ने कपिल सिब्बल के खिलाफ वोट किया था। इन्होंने बीजेपी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार प्रीति महापात्रा को वोट किया था। उत्तर प्रदेश में बीजेपी विधायकों ने भी पार्टी के खिलाफ वोटिंग की। गोरखपुर से बीजेपी विधायक विजय बहादुर यादव ने समाजवादी पार्टी के पक्ष में मतदान किया। उन्होंने कहा, ‘हमारे इलाके में अखिलेश यादव ने विकास के काम किए हैं। मैं मुख्यमंत्री के सम्मान में यह वोट कर रहा हूं। यह वोट विकास के पक्ष में है।’ समाजवादी पार्टी के दो विधायक भगवान शर्मा और मुकेश शर्मा ने बीजेपी का साथ दिया।

आठ अन्य राज्यों में 30 कैंडिडेट निर्विरोध ऊपरी सदन राज्यसभा के लिए चुने जा चुके हैं। बीजेपी राज्यसभा में अल्पमत में है। मोदी सरकार राज्यसभा में अपनी सीट बढ़ाने की कोशिश कर रही है। बीजेपी को कुछ निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन मिला है। बीजेपी कोशिश कर रही है राज्यसभा में कांग्रेस की सीटें कम हों ताकि वह अपनी नीतियों को आसानी से आगे बढ़ा सके। बीजेपी ने कुछ राज्यों में वैसे प्रत्याशियों को भी उतारा है जिन्हें पार्टी की लाइन से अलग हटकर वोट मिल सके।

बीजेपी के छह मंत्रियों को इस चुनाव में राज्यसभा में वापसी करनी थी। 57 सीटों के लिए हुई वोटिंग के बाद बीजेपी राज्यसभा में अपनी ताकत बढ़ाने में कामयाब रही। बीजेपी राज्यसभा में सबसे बड़ी पार्टी नहीं है लेकिन कांग्रेस से बहुत पीछे भी नहीं है।

कर्नाटक में पांच उम्मीदवार मैदान में थे। यहां केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ कांग्रेस नेता जयराम रमेश, ऑस्कर फर्नांडिस और केसी राममूर्ति को जीत मिली है। दो कांग्रेस कैंडिडेट और एक बीजेपी प्रत्याशी को जीत के लिए बहुत कोशिश नहीं करनी पड़ी। यहां मुकाबला कांग्रेस के तीसरे उम्मीदवार और जनता दल सेक्युलर के के. सी. राममूर्ति के बीच था। हालांकि यहां भी कांग्रेस सफल रही।

राजस्थान में चार बीजेपी कैंडिडेट और कांग्रेस समर्थित एक निर्दलीय उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे। यहां पांच सीटों के लिए चुनाव हुआ था। राजस्थान से बीजेपी के चारों कैंडिडेट केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू, ओम प्रकाश माथुर, हर्षवर्धन सिंह और रामकुमार वर्मा को जीत मिली।

हरियाणा में बीजेपी के पास दो प्रत्याशियों को राज्यसभा पहुंचाने के लिए पर्याप्त संख्या बल नहीं था। केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह राज्यसभा में आसानी से पहुंच गए लेकिन बीजेपी समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी सुभाष चंद्रा की लड़ाई कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार सीनियर वकील आरके आनंद से थी। आनंद को इंडियन नैशनल लोकदल से भी समर्थन मिला था लेकिन फिर भी वह हार गए। सुभाष चंद्रा भी राज्यसभा पहुंचने में कामयाब रहे।

मध्य प्रदेश में तीन सीटों के लिए चुनाव हुआ है। यहां बीजेपी ने दो सीटों पर आसानी से हासिल कर ली। यहां बीजेपी के एमजे अकबर और अनिल माधव दवे को जीत मिली। तीसरी सीट पर कांग्रेस समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार ने चुनौती दी थी जिन्हें एक वोट कम पड़ रहा था। कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार विवेक तनखा भी इस सीट को हासिल करने में कामयाब रहे।

बीजेपी ने झारखंड की भी दोनों सीटें जीत लीं। बीजेपी के दूसरे उम्मीदवार महेश पोद्दार ने जेएमएम के बसंत सोरेन को हरा दिया। बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी को भी उतारा था। नकवी को इस चुनाव में आसानी से जीत मिली। झारखंड मुक्ति मोर्चा ने बसंत सोरेन को उतारा था। बसंत सोरेन को कांग्रेस का समर्थन हासिल था। कांग्रेस ने राज्य की बीजेपी सरकार पर पैसे और बहुबल का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है। उत्तराखंड में कांग्रेस के प्रदीप टमटा को दो निर्दलीय उम्मीदवारों से चुनौती मिली थी लेकिन टमटा को जीत आसानी से मिल गई।