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राज्यपाल पर टिप्पणी: बढ़ सकती हैं आजम खान की मुश्किलें

azam6लखनऊ। संसदीय कार्यमंत्री आजम खां की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। विधान सभा में राज्यपाल पर की गई टिप्पणी की सीडी विधान सभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय ने राज्यपाल को भेज दी है। विधान सभा अध्यक्ष ने संपादित और असंपादित सीडी के साथ विधान सभा की कार्यवाही का लिखित ब्योरा भी राज्यपाल को भेजा है। राज्यपाल अब परीक्षण के बाद इस पर निर्णय लेंगे। इसके लिए वह विधि विशेषज्ञों से राय ले रहे हैं।

राज्यपाल राम नाईक ने आठ मार्च को विधानसभा सत्र के दौरान आजम खां की कथित आपत्तिजनक टिप्पणी को गंभीरता से लेते हुए विधानसभा अध्यक्ष से लिखित कार्यवाही और असंपादित सीडी मुहैया करवाने को कहा था। विधानसभा अध्यक्ष को लिखे पत्र में राज्यपाल ने कहा था कि उत्तर प्रदेश नगर निगम संशोधित विधेयक 2015 को लेकर आजम खां और अन्य ने सदन में जो टिप्पणियां की हैं वे उसे देखना और पढ़ना चाहते हैं।

ये कहा था आजम ने
सदन में 8 मार्च को आजम खां ने कहा था कि उत्तर प्रदेश नगर निगम संशोधित विधेयक 2015 विधासभा में पास हो चुका है। फिर भी राज्यपाल उस संशोधन विधेयक को मंजूरी नहीं दे रहे हैं। इस विधेयक में प्रदेश के मेयरों को भी वित्तीय और अन्य गलतियों पर दंडित किए जाने का प्रावधान है, जो अभी तक नहीं था।

संसदीय कार्यमंत्री ने कहा था कि राज्यपाल पता नहीं क्यों इस विधेयक को स्वीकृति नहीं दे रहे हैं। प्रदेश में अधिकांश मेयर बीजेपी के हैं, लगता है कि बीजेपी के मेयरों को बचाने के लिए विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं किए जा रहे हैं। ये बेहद दुख की बात है। आजम ने यह भी आरोप लगाया था कि ऐसा प्रतीत होता है कि राज्यपाल किसी दल विशेष के प्रभाव में काम कर रहे हैं।

पहले भी पंगा लेते रहे हैं आजम
आजम खां पहले भी राज्यपालों पर तीखी टिप्पणियां करके उनसे मोर्चा लेते रहे हैं। मुलायम सिंह यादव सरकार में उन्होंने तत्कालीन राज्यपाल टीवी राजेश्वर के खिलाफ मोर्चा खोला था। उन्होंने जौहर विश्वविद्यालय के मुद्दे पर राज्यपाल पर तीखी टिप्पणियां की थीं। उसके बाद इसी मुद्दे पर राज्यपाल बीएल जोशी पर भी टिप्पणियां की थीं।

कार्रवाई के लिए कह सकते हैं नाईक
विधि विशेषज्ञ सीबी पांडेय कहते हैं कि राज्यपाल भी विधायिका के ही अंग हैं। विधान सभा की कार्यवाही के दौरान कोई भी बात कही गई है तो राज्यपाल को अधिकार है वह पूछताछ करें। वह किसी भी सदस्य पर कार्रवाई के लिए सदन को निर्देशित कर सकते हैं। विधान सभा कार्रवाई भले न करे लेकिन चर्चा करानी पड़ेगी। इसके जरिए वह मेसेज तो दे ही सकते हैं।