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राजस्थान उपचुनाव में कांग्रेस की जीत, इसी के साथ EVM सारे आरोपों से बरी

जयपुर। नेता ये बात नहीं बोल रहे हैं, यकीन नहीं हो रहा है, मन आह्लादित है, ऐसा लग रहा है कि जैसे भारतीय लोकतंत्र में सभी का विश्वास फिर से स्थापित हो गया है। इतनी खामोशी और इतना सन्नाटा स्थापित हो गया है, वो EVM जिस पर सवाल खड़े हो रहे थे, वो ईवीएम जो अपनी इज्जत को हाथों में थामे सभी से अपील कर रही थी कि वो बेगुनाह है, लेकिन किसी ने नहीं माना, अब जब बीजेपी को राजस्थान उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा है तो अचानक से ईवीएम पवित्र हो गई, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, सपा, बसपा, वामदल, सभी को ये यकीन हो गया कि लोकतंत्र खतरे के निशान से बाहर है। पंचायत से लेकर निगम तक किसी भी चुनाव में बीजेपी को जीत मिलने पर चिल्लाने वाले लोगों को सुकून है।

ये वो नैरेटिव है जिसके कारण भारतीय राजनीति में मोदी का कद इतना बड़ा हो गया है, जिसके कारण बीजेपी उस जगह पहुंच गई है जहां वो शायद अपनी मेहनत से नहीं पहुंच पाती, सेलेक्टिव मुद्दों पर अपने फायदे के लिए चिल्नाना और बाद में खामोश हो जाना विपक्षी नेताओं की वो गलती है जिस ने भाजपा को आज अपराजेय बना दिया है। खास बात ये है कि राजस्थान उपचुनाव में बीजेपी की हार को भी ईवीएम से जोड़कर देखा जा रहा है, लेकिन एंगल दूसरा है, सेलेक्टिव जर्नलिज्म करने वाले कुछ लोग कह रहे हैं कि बीजेपी ने जानबूझकर राजस्थान उपचुनाव में EVM में गड़बड़ी नहीं की, जिस से ये बताया जा सके कि ईवीएम में छेड़छाड़ नहीं हो सकती है।

मतलब हद है, किसी भी संवैधानिक संस्था पर भरोसा ना करके विपक्ष अपना ही नुकसान कर रहा है, आम जनता जो बाहर से ये सारा नजारा देख रही है, उसे बताने की जरूरत नही है, वो ये समझ रही है कि विपक्ष के नेता किस कदर अपने फायदे के लिए आरोप लगाते हैं, अपनी सुविधा के हिसाब से शांत रह जाते हैं। बीजेपी की जीत को ईवीएम की जीत बताने वाले ये क्यों नहीं कह रहे हैं कि राजस्थान में कांग्रेस की जीत नहीं बल्कि ईवीएम की जीत है, सचिन पायलट को क्यों खामखां श्रेय दिया जा रहा है, ये क्यों नहीं कहा जा रहा है कि कांग्रेस ने किसी तरीके से ईवीएम में छेड़छाड़ करने की ट्रिक खोज ली है। ये कहना इनके लिए सुविधाजनक नहीं होगा, इसलिए सन्नाटा है।

ये सन्नाटा भारतीय राजनीति का वो ब्लैकहोल है जिस में विपक्षी दल घुसते ही जा रहे हैं, मोदी के खिलाफ इस तरह के आरोप लगा कर वो मोदी का कद बड़ा कर रहे हैं। बात केवल EVM की नहीं है, ये तो केवल एक मुद्दा है, इस तरह के न जाने कितने मुद्दे हैं, जिनमें सेलेक्टिव खामोशी लोगों को परेशान करती है। जनता अगर ये सवाल करती है कि क्या देश में केवल मोदी के राज में सारी समस्याएं आई हैं तो ये मोदी की जीत है, इसके पीछे विपक्ष के वो नेता हैं जो मोदी सरकार के खिलाफ आरोपों की झड़ी तो लगाते हैं लेकिन बिना तथ्यों के साथ, जब जनता इस तरह के सवाल करने लगे तो समझ जाना चाहिए कि विपक्षी दलों की राजनीति कुंद हो गई है, बीजेपी को विपक्ष के आरोपों का जवाब देने की जरूरत ही नहीं है, जनता खुद जवाब दे रही है। वो जनता जो मोदी सरकार से पूरी तरह से खुश नहीं है लेकिन विपक्ष के रवैये के कारण मोदी के साथ खड़ी हुई है।