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रथयात्रा के दौरान दिए गए बयान पर मुसलमान अखिलेश यादव से नाराज

samajwadi-rath-yatraलखनऊ/अलीगढ़। फोरम फॉर मुस्लिम स्टडीज एण्ड एनालिसिस (एफएमएसए) ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा अपनी विकास रथयात्रा के दौरान दिए गए बयान पर तीखी प्रतिक्रिया प्रकट की है। निदेशक डॉ. जसीम मोहम्मद ने कहा कि जब अखिलेश का कार्यकाल खत्म होने को आया तब उन्हें मुस्लमानों की याद आई है। अखिलेश अब मुसलमानों को बंधुआ वोटबैंक मानना बंद करें।

बदा दें कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने विकास रथयात्रा की शुरुआत के मौके पर अपने भाषण में मुसलमानों से समाजवादी पार्टी को आगामी विधानसभा चुनावों में वोट देने के लिए अपील करते हुए बीएसपी सुप्रीमो मायावती पर कटाछ किया था। अखिलेश ने मुसलमानों के साथ रहने पर भी विश्वास जताया था। इस बयान के बाद डॉ जसीम मोहम्मद ने कहा कि अखिलेश इस भ्रम में न रहें कि मुसलमान उनके साथ है। यह बतें फोरम फॉर मुस्लिम स्टडीज एण्ड एनालिसिस (एफएमएसए) द्वारा मीडिया सेन्टर अलीगढ़ पर अल्पसंख्यक हित एवं राजनीति विषय पर आयोजित एक चिन्तन बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहीं। उन्होंने कहा कि सीएम अखिलेश ने अपने कार्यकाल में एक भी सकारात्मक काम अल्पसंख्यक अथवा मुसलमानों के लिए नहीं किया है।

डॉ० जसीम मोहम्मद ने कहा कि अखिलेश यादव ने बसपा सुप्रीमो मायावती पर तो कटाक्ष किया है परन्तु स्वयं अपनी समाजवादी पार्टी को नहीं देखते। उन्होंने कहा उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की हुकूमत आते ही साम्प्रदायिक दंगे आरम्भ हो गए जिनमें मुजफ्फरनगर का दंगा भी शामिल है। जहां अभी तक विस्थापित मुसलमान अपने घरों को नहीं लौट सके। डॉ जसीम मोहम्मद ने कहा कि अखिलेश सरकार किसी भी दंगाई को सजा दिलाने में सफल नहीं हुई। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी मुसलमानों को अपना बधुंआ वोटबैंक समझना बंद करे।

प्रोफेसर हुमायूं मुराद ने कहा कि समाजवादी पार्टी के शासनकाल में सामान्य कानून व्यवस्था भी चरमरा गई। जिसका प्रभाव राज्य के सभी निवासियों पर पड़ा अब अखिलेश यादव राज्य के विभिन्न धार्मिक वर्गों का वोट हासिल करने के लिए रथयात्रा निकाल रहे हैं। जिससे कोई भी प्रभाव नहीं होना है। एन जमाल अंसारी ने कहा कि अखिलेश यादव ने केवल बसपा ही नहीं भाजपा पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि भाजपा का डर दिखा कर ही समाजवादी पार्टी और अन्य दलों ने हमेशा मुसलमानों के वोट हासिल किए हैं। डॉ मोहम्मद फारूक ने कहा कि समाजवादी पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में मुसलमानों को अठारह प्रतिश्त आरक्षण देने का वादा किया था जो वह भूल चुकी है। कैसे मुसलमान उन पर विश्वास करें? दीबा अबरार ने कहा कि जो दल अथवा लोग धर्म-निरपेक्षता का दावा करते हैं उन्हींने मुसलमानों को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाया।

बैठक के अन्त में मुस्लिम फोरम ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित करके अखिलेश यादव के बयान को मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ बताते हुए भर्त्सना की और कहा कि अखिलेश यादव राज्य में धार्मिक ध्रुवीकरण करके राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश न करें। बैठक में बड़ी संख्या में बुद्धिजीवियों, शिक्षकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के अलावा प्रमुख रूप से रेहान रहीम, फुरकान अहमद, दिलशाद कुरैशी, अम्मार खान एवं महमूद अंसारी उपस्थित थे।