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ये है अमेरिका और इजराइल का इस्लामिक देशो को बर्बाद करने का नया प्लान;इस्लामिक देशो में फैला खौफ

तुर्की ने अमेरिका और इजराइल पर जबरन पाकिस्तान,ईरान सहित मुस्लिम देशों के मामलों में दखल देने तथा प्राकृतिक संसाधनों पर कब्जा करने  का आरोप लगाया है – तुर्की के नेता एरदोगान ने इस्तांबुल में कहा कि हम अमेरिका और इजराइल के पाकिस्तान और ईरान से सम्बंधित आंतरिक मामलो पर हस्तक्षेप बिल्कुल भी बर्दाश्त नही करेंगे । पिछले मंगलवार को राष्ट्रपति ट्रम्प ने ट्वीट करते हुए भृष्ट व क्रूर ईरानी शासन के खिलाफ विरोध का सर्मथन किया था।

एर्दोगान ने अमेरिका के पाकिस्तानी मामलो में हस्तक्षेप का उल्लेख नही किया लेकिन उसकी ये टिप्पणी सम्भवतः अमेरिका के उस निर्णय को देखते की गई है जिसमे अमेरिका इन देशों की दिए जाने वाले 1 अरब डॉलर की सुरक्षा निधि पर पूर्णतः प्रतिबंध के विचार कर रहा है । वाशिंगटन ने इस्लामाबाद पर आतंकवादियो आश्रय व समर्थन देने तथा कोई भी निर्णायक कार्यवाही नही करने का आरोप लगाया है।

क्या है अमेरिकी-इसरायली हस्तक्षेप ?

कथित अमेरिकी इज़राइली हस्तक्षेप मुख्यतः इन देशों के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर धनार्जन करने का माध्यम बनाना है..ये दोनों देश के साथ पश्चिमी देश एक रणनीति पर काम कर रहे है जिनके निशाने पर खासकर मुस्लिम देश आ गए है.. सबसे पहले इन देशों ने गुप्त प्रोग्रामो के जरिये लोगो मे वैमनस्य पैदा कर दिया है अर्थात लोगो को आपस मे लड़ा रहे है .. इस प्रकार के दखल के विनाशकारी परिणाम सीरिया,इराक,फिलिस्तीन,मिस्त्र आदि देशो में देखने को मिलते है।

लीबिया,ट्यूनीशिया,सूडान और चाड़ आदि में जहाँ भी अशांति फैली उन मुस्लिम देशों अमेरिका और इजराइल ने जबरन अपना कब्जा जमा लिया और उनके प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करना शुरू कर दिया। एर्दोगन के अनुसार पूरे संसार को ये कृत्य देखने चाहिए और इस प्रकार के दृष्टिकोण को बदलना चाहिए।

एर्दोगन के बयान से हम तेहरान की आधिकारिक स्थिति को भी समझ सकते है जिसने अमेरिका,इज़राइल और सऊदी अरब पर देश मे उपद्रव और विरोध प्रदर्शनों को भड़काने के आरोप लगाए थे। ईरान के सार्वजनिक अभियोजक मोहम्मद जाफर मोंटेज़री कहते है कि उन्होंने  अमेरिका की इस प्रकार की साजिश को सक्रिय करने के लिए 4 साल पहले एक अमेरिकी और पूर्व CIA कार्यकर्ता  माइकल एंड्रिया और मोसाद के अज्ञात एजेंट को पकड़ा था और उनपर की गई कार्यवाई खर्च वहन भी किया था।

इस सप्ताह संयुक्त राष्ट्र में ईरान के राजदूत घोलमालि खोशरो ने अमेरिकी प्रशासन के इस प्रकार के ईरान में हस्तक्षेप की कड़ी निंदा की। इस मुद्दो को देखते हुए अमेरिकी राजदूत ने तत्काल संयुक्त राष्ट्र परिषद में ईरान की स्थिति से सम्बंधित एक बैठक आमन्त्रित की है जो शुक्रवार को होनी है।

रूस ने भी  ईरान के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप की निंदा करते हुए कहा कि संयुक्त राज्य द्वारा अन्य देशो के आंतरिक मामलों में दखल देने की अपनी पालिसी पर खेल रहा है और उसकी गुप्त रूप से दखल देते हुए मानव अधिकार और लोकतंत्र का हवाला देते हुए अमेरिका उस देश की सम्प्रभुता पर हमला कर देता है.. रूसी विदेश मंत्रालय ने ईरान के किसी भी आंतरिक मामले में हस्तशेप न करने की चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि ईरान के मामलों में दखल को बिल्कुल भी बर्दाश्त न किया  जाए क्योंकि इससे स्थिति और भी बिगड़ जाएगी जो कि किसी भी देश के लिए हितकर नही होगी।