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यूरोप में बिकवाली से लुढ़के घरेलू मार्केट, सेंसेक्स 286 और निफ्टी 100 अंक गिरा

sareनई दिल्ली। मंगलवार को कारोबारी सत्र के दूसरे हाफ में यूरोपीय मार्केट में हुई तेज बिकवाली के चलते सेंसेक्स और निफ्टी दिन के निचले स्तर पर बंद हुए है। बीएसई का 30 शेयरों वाला प्रमुख इंडेक्स सेंसेक्स 286 अंक गिरकर 24,539 पर बंद हुआ है। वहीं, एनएसई के 50 शेयरों वाला प्रमुख इंडेक्स निफ्टी 100 अंक गिरकर 7455 के स्तर पर क्लोज हुआ है। एनएसई पर सभी सेक्टर इंडेक्स आधा से पांच फीसदी तक लुढ़के है।
एनर्जी और मेटल इंडेक्स में सबसे ज्यादा गिरावट
एनएसई पर एनर्जी, मेटल, कमोडिटी इंडेक्स में सबसे ज्यादा गिरावट देखने को मिली है। मेटल इंडेक्स 5 फीसदी गिरकर 1,579 पर और एनर्जी इंडेक्स 3 फीसदी गिरकर 8206 पर क्लोज हुआ है। इसके अलावा बैंक निफ्टी दो फीसदी और ऑटो इंडेक्स डेढ़ फीसदी लुढ़क गए।
निफ्टी-50 के 43 स्टॉक्स में रही गिरावट
एनएसई के बेंचमार्क इंडेक्स निफ्टी में शामिल 50 में से 43 स्टॉक्स में गिरावट रही है। वेदांता 8.45 फीसदी, टाटा स्टील 7.66 फीसदी, केयर्न इंडिया 5.26 फीसदी, एनटीपीसी 5 फीसदी और टेक महिंद्रा 4.75 फीसदी की गिरावट के साथ बंद हुए है। जबकि भारती एयरटेल, बजाज ऑटो, ल्यूपिन और डॉ रेड्डीज में आधा से एक फीसदी तक की तेजी देखने को मिली है।
सत्र के आखिरी घंटे में लुढ़के मार्केट
अमेरिकी और एशियाई मार्केट से मिले कमजोर संकेतों के बावजूद घरेलू मार्केट की शुरुआत हल्ती के तेजी के साथ हुई थी। 11 बजे आरबीआई की पॉलिसी में कोई बड़ा बदलाव नहीं होने के बाद मार्केट कुछ रिकवरी देखने को मिली है, लेकिन अमेरिकी बेंचमार्क इंडेक्स डाओ जोंस फ्यूचर्स और यूरोपीय मार्केट में हुई तेज बिकवाली के चलते आखिरी घंटे में सेंसेक्स और निफ्टी दिन के निचले स्तर पर बंद हुए है।
मार्केट में क्यों आई गिरावट
क्रूड कीमतों में आई फिर से तेज गिरावट का असर यूरोपीय मार्केट की चाल पर पड़ा है। यूके का बेंचमार्क इंडेक्स एफटीएसई 1.5 फीसदी, फ्रांस और जर्मनी के बेंचमार्क इंडेक्स दो फीसदी तक लुढ़क गए है। इसका असर घरेलू मार्केट पर भी पड़ा है। जिसके चलते सत्र के आखिरी में सेंसेक्स और निफ्टी दिन के निचले स्तर पर बंद हुए है।
एक्सपर्ट की राय
बोनांज पोर्टफोलियो के एवीपी पुनीत किनरा का कहना है कि मार्केट के बहुत ज्यादा नीचे जाने की संभावना नहीं दिखती है। मार्केट को अर्निंग की चिंता लगातार सता रही है। आरबीआई की दरें घटने का सवाल तो नहीं था और इस समय लिक्विडिटी की स्थिति काफी कड़ी है। आरबीआई ज्यादा डेट नहीं बढ़ाना चाहता है लेकिन इस समय वित्तीय घाटे की चिंता करने की बजाए देश की इकोनॉमी को सुधारने के लिए खर्चे बढ़ाने के लिए कुछ कदम उठाए जाने चाहिए।