नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में अपने उम्मीदवारों के टिकट फाइनल करने में जुटी बीजेपी के लिए उसके ही छोटे सहयोगी दल परेशानी का सबब बने हुए हैं। कुछ जातियों के समर्थन वाले इन छोटे राजनीतिक दलों का असर भले प्रदेश के कुछ ही इलाकों में हो, पर ये इतना ज्यादा मोलभाव कर रहे हैं कि पार्टी अपनी दूसरी लिस्ट जारी नहीं कर पा रही है। अनुप्रिया पटेल के अपना दल और ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से टिकटों पर बातचीत फाइनल न हो पाने के चलते बीजेपी को अपनी दूसरी लिस्ट को पोस्टपोन करना पड़ा है, जबकि पहले चरण के चुनाव की अधिसूचना जारी हो चुकी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति ने गुरुवार रात को 150 उम्मीदवारों की लिस्ट फाइनल कर ली थी और शुक्रवार को उसे जारी किया जाना था, लेकिन पार्टी इन दो सहयोगी दलों की हार्ड बार्गेनिंग की वजह से अपने प्रत्याशियों की घोषणा नहीं कर पाई। ये दोनों छोटी पार्टियां ज्यादा सीटें लेने पर अड़ी हुई हैं। अभी तक बीजेपी ने सिर्फ 149 उम्मीदवारों का ही ऐलान किया है।
इन दो सहयोगी दलों के नेता अनुप्रिया पटेल और ओम प्रकाश राजभर इन दिनों दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं और बीजेपी के सीनियर नेताओं से बातचीत कर रहे हैं। शुक्रवार को अनुप्रिया पटेल ने बीजेपी उपाध्यक्ष और प्रदेश प्रभारी ओम प्रकाश माथुर के साथ हुई एक बैठक में पूर्वी यूपी में अपनी पसंद की सीटों की मांग रखी। सूत्रों ने बताया कि पटेल और राजभर ने पार्टी के कोर वोट बैंक वाली जातियों की जनसंख्या के हिसाब से अपने लिए करीब 30-30 सीटें मांगी हैं। बता दें कि अनुप्रिया पटेल के अपना दल से जुड़े कुर्मी वोट बैंक का असर वाराणसी-प्रतापगढ़ रीजन के 5-6 जिलों में समझा जाता है, जबकि राजभर समुदाय का पूर्वी यूपी के 7-8 जिलों में काफी असर है।
अनुप्रिया पटेल केंद्रीय मंत्री हैं और उनकी पार्टी के दो उम्मीदवार लोकसभा चुनाव में जीते थे, जबकि राजभर ने हाल ही में बीजेपी से हाथ मिलाया है। पूर्वी यूपी में बीजेपी नेताओं की रैलियों को सफल बनाने में राजभर की पार्टी की खासी भूमिका रही है। मऊ में कुछ महीने पहले हुई रैली में राजभर ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के साथ मंच साझा किया था।
बीजेपी राजभर को दो-तीन सीटों से ज्यादा देने के मूड में नहीं है। ऐसे में बताया जा रहा है कि राजभर ने समाजवादी पार्टी और बीएसपी के साथ भी बातचीत शुरू कर दी है। सूत्रों ने बताया कि बीएसपी सुप्रीमो मायावती के लिए राजभर के प्रत्याशियों को जगह देना संभव नहीं होगा क्योंकि वह 403 सीटों के लिए उम्मीदवार पहले ही फाइनल कर चुकी हैं। एसपी जरूर राजभर से बातचीत करने पर विचार कर सकती है।
हालांकि, इसे राजभर की बीजेपी पर दबाव बनाने की रणनीति भी माना जा रहा है। बीजेपी सूत्रों ने बताया कि बिहार में भी बीजेपी ने राम विलास पासवान, जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा जैसे स्थानीय सहयोगी दलों के लिए काफी सीटें छोड़ी थीं, पर उसका कोई फायदा नहीं हुआ। आरजेडी-जेडीयू और कांग्रेस के हाथों बीजेपी को करारी शिकस्त झेलनी पड़ी।