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यूपी के सीएम के दावेदारों में पांच नाम, पीएम मोदी की तरह चाय बेच चुके केशव प्रसाद के अलावा ये भी हैं रेस में…

नई दिल्‍ली। उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में तीन चौथाई बहुमत से जीत हासिल करने के बाद बीजेपी के सामने फिलहाल सबसे बड़ी चुनौती मुख्‍यमंत्री के रूप में सर्वसम्‍मत नेता का चयन करने की है. विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी ने मुख्‍यमंत्री के रूप में कोई चेहरा पेश नहीं करते हुए करिश्‍माई व्‍यक्तित्‍व वाले मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में ही मतदाताओं के समक्ष जाने का फैसला किया था. पार्टी सूत्रों की मानें तो नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री मनोज सिन्‍हा, यूपी बीजेपी अध्‍यक्ष केशव प्रसाद मौर्य, दिनेश शर्मा और सुरेश खन्‍ना सीएम बनने की दौड़ में आगे माने जा रहे हैं. इसके अलावा बीजेपी प्रमुख अमित शाह की टीम में शामिल श्रीकांत शर्मा भी इस दौड़ में बताए जा रहे हैं. आइए जानते हैं सीएम बनने की रेस में शामिल इन दावेदारों के मजबूत और कमजोर पक्ष…

मनोज सिन्‍हा : मोदी सरकार के कैबिनेट मंत्री
– लंबे समय से बीजेपी से जुड़े रहे हैं. 1996, 1999 और 2014 में लोकसभा सांसद के रूप में चुनाव जीत चुके हैं. इस समय पूर्वी यूपी की गाजीपुर संसदीय सीट से सांसद हैं. उनकी संसदीय सीट से विधानसभा चुनाव में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों में शानदार प्रदर्शन किया है.
– आईआईटी बीएचयू से सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक और एमटेक की डिग्री हासिल की है. मोदी कैबिनेट में रेल राज्‍य मंत्री के तौर पर काम कर रहे हैं. पीएम मोदी के बेहद करीबी हैं.
– प्रबंधन में माहिर माने जाते हैं. भूमिहार वर्ग से आते हैं जिनकी संख्‍या पूर्वी यूपी के कुछ जिलों तक ही सीमित है.

केशव प्रसाद मौर्य : मोदी की तरह चाय बेचते थे
– यूपी में बीजेपी अध्‍यक्ष के रूप में पार्टी की सफलता में योगदान दिया. इस समय राज्‍य की फूलपुर सीट से सांसद हैं.
– आरएसएस, विहिप, बजरंग दल और बीजेपी में कई जिम्‍मेदारियां संभाल चुके हैं. बेहद साधारण किसान परिवार में जन्‍म हुआ. जीवनयापन के लिए चाय और अखबार बेचने का काम भी कर चुके हैं.
– राम जन्मभूमि और गोरक्षा व हिन्दू हित के लिए कई आंदोलनों का नेतृत्‍व कर जेल भी जा चुके हैं. कोइरी समाज से आते हैं, इस वर्ग के लोगों को बीजेपी से जोड़ने में प्रमुख भूमिका निभाई. सांगठनिक मामलों में कुशल.

डॉ. दिनेश शर्मा : पीएम और अमित शाह के करीबी
– फिलहाल लखनऊ के मेयर के अलावा बीजेपी के राष्‍ट्रीय उपाध्‍यक्ष का पद भी संभाल रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्‍यक्ष अमित शाह का भरोसा हासिल है.
– ब्राह्मण समाज से आते हैं. चूंकि केंद्र में प्रधानमंत्री के रूप में ओबीसी वर्ग के नरेंद्र मोदी मुखिया हैं, ऐसे में अंदरखाने इस बात की चर्चा है कि सवर्ण वर्ग से किसी को यूपी का सीएम बनाया जा सकता है. डॉ. दिनेश शर्मा इस लिहाज से फिट बैठते हैं. सरल स्‍वभाव के कारण हर किसी के लिए स्‍वीकार्य हो सकते हैं.

सुरेश खन्‍ना : आठवीं बार विधायक चुने गए हैं
– यूपी की शाहजहांपुर सीट से आठ बार विधानसभा चुनाव जीते हैं. इस बार भी सपा प्रत्‍याशी को हराकर विधायक बने हैं.
– छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय रहे हैं. कल्‍याण सिंह के नेतृत्‍व में यूपी में बनी बीजेपी सरकार में मंत्री रह चुके हैं.
– जमीनी नेता की छवि है. यही कारण है कि करीब तीन दशक से मुस्लिम बहुत सीट से विधायक चुने जाते रहे हैं.

श्रीकांत शर्मा: पहली बार चुनाव लड़कर हासिल की ‘बड़ी’ जीत
– बीजेपी के राष्‍ट्रीय सचिव और प्रवक्‍ता श्रीकांत शर्मा ने पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा और मथुरा से एक लाख से अधिक वोटों से जीत हासिल की.
– राज्‍य में बीजेपी का प्रमुख आधार माने जाने वाले ब्राह्मण समाज से हैं. कॉलेज में पढ़ाई करते हुए बीजेपी की छात्र विंग एबीवीपी से जुड़े.
– बीजेपी प्रमुख अमित शाह के करीबियों में शुमार किए जाते हैं. साफ सुथरी छवि रखने वाले नेताओं में गिने जाते हैं.