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मोदी सरकार को तीन सफलता मिल जाए तो दाल 20 रु. और आम 10 रु./किलो: एक्सपर्ट्स

Ministers2नई दिल्ली। अगर कोई कहे कि आनेवाले दिनों में दाल 20 रुपये और आम 10 रुपये प्रति किलो मिल सकते हैं तो आप शायद विश्वास कर सकें। लेकिन, एक्सपर्ट्स की मानें तो ऐसा संभव हो सकता है, अगर मोदी सरकार के विभिन्न मंत्रालयों के कुछ पहल जमीन पर उतर जाएं।
इन तीन पहलों में खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरण कौर बादल की 270 फूड प्रोसेसिंग पार्क्स की लॉन्चिंग, कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह की वर्चुअल ट्रेडिंग के लिए मंडियों को इलेक्ट्रॉनिकली कनेक्ट करने की योजना और वित्त मंत्री अरुण जेटली संसद से जीएसटी पास करवाने की भरपूर कोशिशों को कामयाबी मिलना जरूरी है। सरकार की ये तीन पहलें भारतीयों के जीवन में बड़े बदलाव ला सकते हैं।

कॉल्डेक्स लॉजिस्टिक्स प्राइवेट लि. के एमडी गौरव जैन के मुताबिक, ‘भारत में जब कभी भी जीएसटी लागू होगी, तब वेयरहाउसिंग कपैसिटी में 25 प्रतिशत की वृद्धि अपनेआप हो जाएगी।’ जहां तक बात जीएसटी की है, इसके लागू होते ही ऑक्ट्रॉइ, एजुकेशन, सेस, आउटपुट वैट, सेंट्रल सेल्स टैक्स, सर्विस टैक्स आदि जैसे सभी टैक्सेज खत्म कर दिए जाएंगे और केंद्र सरकार सिर्फ एक बार टैक्स वसूलेगी। इसका फायदा यह होगा कि विभिन्न राज्यों की सीमाओं पर लगे चेकपॉइंट्स हट जाएंगे। इससे चेकपॉइंट्स पर लंबी कतार में खड़े होकर घंटों वक्त बर्बाद करना और अनाप-शनाप पैसे खर्च करना बीते दिनों की बातें हो जाएंगी। इसका सीधा असर, हम तक पहुंचने वाले सामानों पर होगा। दूध, फल, सब्जियां आदि बाजारों तक जल्दी पहुंच जाएंगे और ये हमें ना केवल ताजे हालत में बल्कि सस्ते भी मिलेंगे।

इन्फर्मेशन टेक्नॉलजी और टेक्सेशन नेटवर्क्स के ऑटोमेशन की मदद से केंद्र सरकार के लिए जीएसटी वसूलना तभी संभव हो जाएगा जब सामान फैक्ट्री से निकले। इससे अलग-अलग तरह के टैक्सेज से छुटकारा मिलेगा और सामान के दाम यूं ही कम हो जाएंगे। मसलन, फॉर्ड कारें और मॉनजिनिस केक चेन्नै में बनती हैं। इन पर चेन्नै में अपनी-अपनी फैक्ट्रियों से निकलते ही टैक्स लगेंगे। दोनों को ले जा रहे ट्रक बेरोक-टोक केक को बंगाल के बाजारों में और कारों को दिल्ली तथा पंजाब के बाजारों में ले जा सकेंगे।

सीनेट होस्ट (इंडिया) के सीईओ अरुण पांचाल के मुताबिक, जीएसटी लागू होने पर व्यापारियों को स्टेट वैट से छुटकारा पाने और सिर्फ सेंट्रल टैक्स देने के लिए उन्हें मैन्युफैक्चरर्स से सामान रिसीव करते वक्त फॉर्म 32 भरना होगा। अरुण पांचाल जैसे कई एक्सपर्ट्स को लगता है कि सब कुछ सरकार की योजना के मुताबिक हुआ तो दाल 20 रुपये प्रति किलो जबकि आम 5 से 10 रुपये प्रति किलो की दर से मिलने लगेंगे।

अभी उत्तर प्रदेश के मलिहाबाद में वर्ल्ड फेमस लंगड़ा आम कच्ची अवस्था में ही आते हैं और नमी बरकरार रखने के लिए लकड़ी की पेटी में पुआल बिछाकर उन्हें ढोया जाता है। हालांकि, रास्ते में सेहत के लिए खतरनाक कार्बाइड गैस उसका ऊपरी हिस्सा ऐसा कर देता है कि वह पका हुआ महसूस हो। ऐसा इसलिए नहीं किया जाता कि किसान और खुदरा दुकानदार आपकी सेहत को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं बल्कि ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि पूरी तरह पके आम को ट्रकों में ढोना असंभव है। पके आम डेस्टिनेशन तक पहुंचते-पहुंचते बिल्कुल बर्बाद हो जाएंगे।

हालांकि, कई बार गैस दिए हुए कच्चे आम भी रास्ते में पककर डेस्टिनेशन तक पहुंचते-पहुंचते काफी मात्रा में खराब हो जाते हैं। इसका नुकसान ग्राहकों को उठाना पड़ता है। रिटेलर खराब आमों की कीमत भी बिकने योग्य आमों पर ही लाद देते हैं। ऐसे हालात से बचने के लिए भारत सरकार पूरे देश में कम से कम एक करोड़ रीफर्स डिप्लॉइ करने के का मन बना रही है। इनके अलावा, कोल्ड बॉक्सेज के साथ-साथ पूरे साल -25 से +5 डिग्री सेल्सियस तक तापमान नियंत्रित करने की क्षमता वाले कम से कम 10 लाख नए-पुराने कोल्ड स्टोरेज होने चाहिए। इसके लिए फूड प्रोसेसिंग मिनिस्ट्री की योजना को जमीन पर उतरना जरूरी है।

अब बात कृषि मंत्रालय के मंडियों को आपस में इलेक्ट्रॉनिकली कनेक्ट करने की। इससे बाजारों में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और सामानों के दामों पर रिटेर्ल्स की पकड़ ढीली हो जाएगी। इस प्रकार, अगर कृषि मंत्रालय के साथ-साथ खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय और वित्त मंत्रालय के प्रयासों को सफलता मिलती है तो सामान के दामों में हैरतअंगेज तरीके से कमी आ सकती है।