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मोदी ने बड़ी चालाकी से पुतिन के सामने नाराजगी जाहिर की

india-russia-annualबेनौलिम (गोवा)। भारत ने रूस के साथ लगभग 60,000 करोड रुपए की लागत के तीन बड़े रक्षा सौदों पर शनिवार को दस्तखत किए। इसमें सर्वाधिक उन्नत वायु रक्षा प्रणाली की खरीद भी शामिल है। साथ ही दोनों पारंपरिक सहयोगी देशों ने आतंकवादियों और उनके समर्थकों से निपटने के मामले में ‘तनिक भी बर्दाश्त नहीं’ करने की जोरदार हिमायत की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच ‘सार्थक एवं ठोस’ व्यापक वार्ता होने के बाद जिन 16 समझौतों पर दस्तखत किए गए उनमें ये सौदे भी शामिल हैं। वार्ता में समूचे द्विपक्षीय संबंधों को शामिल किया गया। दोनों देशों ने व्यापार और निवेश, हाइड्रोकार्बन, अंतरिक्ष के साथ स्मार्ट सिटी जैसे क्षेत्रों में सबंधों को मजबूत करने के लिए तीन घोषणाएं भी कीं। मोदी ने जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपनी बात शुरू करते हुए एक रूसी मुहावरे का इस्तेमाल किया कि ‘एक पुराना दोस्त दो नए दोस्तों से बेहतर होता है।’

इसके जरिए उन्होंने पाकिस्तान के साथ रूस के हालिया संयुक्त सैन्य अभ्यास से भारत की नाराजगी को जाहिर करना चाहा। पांच अरब अमेरिकी डॉलर (33,350 करोड रुपए) से अधिक कीमत पर एस 400 ‘ट्रायम्फ’ लंबी दूरी की वायु रक्षा प्रणाली की खरीद के अलावा अन्य दो सौदों में चार एडमिरल ग्रिगोरोविच श्रेणी (प्रॉजेक्ट 11356) निर्देशित मिसाइल ‘स्टेल्थ फिग्रेट’ और ‘कामोव’ हेलिकॉप्टरों के संयुक्त उत्पादन प्रतिष्ठान की स्थापना करना शामिल है।
हेलिकॉप्टरों और फ्रिगेट से जुडे सौदे करीब एक अरब अमेरिकी डॉलर (6,672 करोड रुपए) और तीन अरब अमेरिकी डॉलर कीमत के हैं। इन सौदों पर दस्तखत करना अहमियत रखता है क्योंकि हाल के समय यह माना गया कि भारत अपने पारंपरिक रक्षा सहयोगी रूस से दूरी बना रहा है। दरअसल, भारत ने अमेरिका के साथ साजो-सामान आदान प्रदान समझौता पत्र (लेमोआ) पर हस्ताक्षर किए हैं जो अमेरिका को भारतीय सैन्य ठिकानों तक पहुंच मुहैया कराएगा।

मोदी ने पिछले महीने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकी ठिकानों पर किए गए भारत के लक्षित हमलों के अप्रत्यक्ष संदर्भ में सीमा पार से होने वाले आतंकवाद का मुकाबला करने में भारत की कार्रवाई को समझने और उसका समर्थन करने को लेकर रूस की सराहना की।

मोदी ने कहा, ‘हम हमारे समूचे क्षेत्र के लिए खतरा पेश करने वाले सीमा पार से आतंकवाद के खिलाफ हमारी कार्रवाइयों के प्रति रूस की समझ और समर्थन की सराहना करते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘आतंकवादियों और उनके समर्थकों, दोनों से निपटने में हम तनिक भी बर्दाश्त नहीं करने की जरूरत दोहराते हैं।’ दोनों नेताओं ने पाक स्थित आतंकवादियों द्वारा उड़ी हमला किए जाने के बारे में अपनी सीमित वार्ता के दौरान चर्चा की। इस हमले के बाद भारत ने सैन्य ठिकाने पर हुए हमले की रूस द्वारा निंदा किए जाने की सराहना की थी।

इस हमले में 19 सैनिक शहीद हो गए थे। पुतिन ने कहा कि दोनों देश आतंकवाद का मुकाबला करने में करीबी सहयोग कर रहे हैं। भारत ने पाकिस्तान के साथ रूस के संयुक्त सैन्य अभ्यास करने पर अपने विरोध से मॉस्को को अवगत कर दिया है। दरअसल, पाकिस्तान एक ऐसा देश है जो राज्य की नीति के तौर पर आतंकवाद को प्रायोजित एवं इस्तेमाल करता है। भारत ने यह भी कहा कि वह नई दिल्ली के हितों के बारे में रूस की समझ से संतुष्ट है।

हालिया पाक-रूस सैन्य अभ्यास को लेकर भारत की चिंताओं पर रूसी प्रतिक्रिया के बारे में पूछे जाने पर विदेश सचिव एस जयशंकर ने कहा, ‘हम इस बात संतुष्ट हैं कि रूस भारत के हितों को समझता है और वे भारत के हितों के प्रतिकूल कभी कुछ नहीं करेंगे और मुझे लगता है कि इस विषय पर हमारी सोच बहुत ज्यादा मिलती जुलती है।

मोदी ने कहा कि बैठक के अत्यधिक सार्थक नतीजे दोनों देशों के बीच विशेष रणनीतिक साझेदारी को स्पष्ट रूप से स्थापित करते हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने आने वाले सालों में रक्षा और आर्थिक संबंध मजबूत करने के लिए भी आधारशिला रखी। कामोव 226 टी हेलिकॉप्टरों के विनिर्माण, जंगी जहाजों के निर्माण और अन्य डिफेंस प्लेटफॉर्मों के निर्माण पर समझौते भारत की टेक्नॉलजी एवं सुरक्षा प्राथमिकताओं के अनुरूप हैं।

संयुक्त बयान में कहा गया है कि रूस ने वेसनार व्यवस्था में पूर्ण सदस्यता की भारत की रूचि का भी समर्थन किया। यह एक प्रमुख बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्था है। बयान में कहा गया कि दोनों देशों ने ऊर्जा क्षमता और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत का विकास करने को लेकर साथ काम करने की अपनी प्रतिबद्धता जारी रखने की बात भी दोहराई।

व्यापारिक संबंधों पर मोदी ने कहा कि दोनों देश आर्थिक संबंध को विस्तारित, विविध और मजबूत करना जारी रखे हुए हैं। उन्होंने कहा, ‘हमारे दोनों देशों के बीच कारोबार और उद्योग आज कहीं बेहतर तरीके से जुड़ा हुआ है। व्यापार एवं निवेश संबंध आगे बढ़ रहे हैं।’ मोदी ने कहा कि राष्ट्रपति पुतिन के समर्थन से हमें आशा है कि यूरेशियाई आर्थिक संघ मुक्त व्यापार समझौते में तेजी आएगी।

उन्होंने कहा कि नैशनल इन्वेस्टमेंट ऐंड इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड (एनआईआईएफ) और रूस डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड (आरडीआईएफ) के बीच एक अरब डॉलर के निवेश कोष की शीघ्र स्थापना की दोनों देशों की कोशिशों से बुनियादी ढांचा साझेदारी आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि सम्मेलन की सफलता भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी की स्थायी मजबूती को प्रदर्शित करेगी।

उन्होंने कहा कि इसने अंतरराष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय मुद्दों पर जोर देने पर विचारों और रुख में हमारे मजबूत सामंजस्य को रेखांकित किया है। मोदी ने कहा कि पुतिन ने अफगानिस्तान और पश्चिम एशिया में उथल पुथल पर विचारों की समानता का जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘हम वैश्विक आर्थिक एवं वित्तीय बाजारों के अस्थिर स्वभाव से उपजी चुनौतियों की प्रतिक्रिया देने पर करीबी तौर पर काम करने को भी राजी हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र, ब्रिक्स, पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन, जी 20 और शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) ने हमारी साझेदारी का दायरा एवं कवरेज, दोनों को ही सही रूप में वैश्विक बनाया है।