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मोदी-नीतीश ने थपथपाई एक- दूसरे की पीठ, अटकलें शुरू

पटना। एक दूसरे के कट्टर राजनीतिक विरोधी माने जाने वाले पीएम नरेंद्र मोदी और बिहार के सीएम नीतीश कुमार गुरुवार को बिलकुल बदले नजर आए। मौका था पटना में आयोजित गुरु गोविंद सिंह की 350 जयंती के मौके पर आयोजित प्रकाश उत्सव समागम का। कार्यक्रम में मोदी और नीतीश एक ही मंच पर मौजूद थे। नीतीश ने गुजरात में शराबबंदी लागू करने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की। उधर, आयोजन के इंतजाम से गदगद दिख रहे मोदी भी नीतीश की भूरि-भूरि प्रशंसा करने से नहीं चूके।

बता दें कि कुछ वक्त पहले तक दोनों एक दूसरे को फूटी आंख देखना पसंद नहीं करते थे। बिहार चुनाव के वक्त तो हालात और खराब थे। राजनीतिक रैलियों में दोनों ने एक दूसरे पर जमकर निशाना साधा था। मोदी ने तो यहां तक आरोप लगा दिया था कि नीतीश ने एक बार उनके सामने से खाने की थाली खींच ली थी। वहीं, नीतीश ने आरोप लगाया था कि मोदी ने उन पर राजनीतिक हमला करते हुए पूरे बिहार के निवासियों का डीएनए खराब बता डाला था। ऐसे में दोनों के बीच रिश्तों में आई गर्माहट को लेकर राजनीतिक अटकलें तेज हो गई हैं।

बता दें कि आरजेडी और जेडीयू में भले ही गठबंधन हो, लेकिन दागी आरजेडी विधायक राजबल्लभ से लेकर सांसद शहाबुद्दीन तक के मामलों पर दोनों का टकराव सामने आ चुका है। बाहुबली शहाबुद्दीन ने तो नीतीश को अपना नेता मानने से ही इनकार कर दिया था। आरजेडी नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने खुलेआम कई बार नीतीश पर निशाना साध चुके हैं। नोटबंदी पर विपक्ष के एकजुट होने के प्रस्ताव पर जेडीयू के अलग होने पर भी आरजेडी सुप्रीमो लालू ने नीतीश पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए इसे इगो की समस्या कहा था।

राजनीतिक जानकार मानते हैं कि नीतीश का ताजा रुख लालू पर राजनीतिक दबाव कायम रखने की कवायद हो सकती है। राजनीतिक तौर पर अति महत्वाकांक्षी लालू के सामने नीतीश शायद यही मेसेज देना चाहते हैं कि विकल्प उनके सामने भी खुले हुए हैं। वहीं, बीजेपी को लगता है कि उसे स्वाभाविक तौर पर एक अतिरिक्त सहयोगी मिलने से कोई हर्जा नहीं है। राज्यसभा में केंद्र के सत्ताधारी गठबंधन का कम संख्याबल भी बीजेपी को जेडीयू से नजदीकी बढ़ाने के लिए प्रेरित करता है। कई अहम बिल अभी वहां पास होने हैं। ऐसे में भविष्य में भी अगर मोदी और नीतीश एक दूसरे के प्रति नरमी दिखाते नजर आते हैं तो ज्यादा आश्चर्य नहीं किया जाना चाहिए।