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मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश से कहा था कि उनके खिलाफ भी हो सकती है बगावत………

लखनऊ। अखिलेश यादव के सामने अभी दो चुनौतियां हैं। उत्तर प्रदेश का चुनाव जीतना और अपने पिता मुलायम सिंह यादव को संभालना। अगर वह दूसरे मोर्चे पर विफल रहे तो पहला काम और भी कठिन हो जाएगा। लिहाजा यूपी के युवा सीएम अपने पिता का मूड ठीक रखने पर पूरा ध्यान दे रहे हैं।

रविवार को जब समाजवादी पार्टी ने अपना घोषणापत्र जारी किया तो मुलायम की गैरमौजूदगी चर्चा का विषय बन गई। हालांकि अखिलेश ने कहा, ‘नेताजी का आशीर्वाद हमारे साथ है।’ सीनियर नेता और मुलायम के करीबी आजम खान रविवार को मुलायम के घर पहुंचे थे ताकि घोषणापत्र को समर्थन देने के लिए उन्हें राजी किया जा सके। हालांकि वहां मौजूद रहे लोगों से मुलायम ने कहा था कि उनका अपमान हुआ है। भावुक होकर तब मुलायम ने आजम से कहा था, ‘किरणमय नंदा, नरेश अग्रवाल, उदय प्रताप सिंह जैसे लोगों ने मेरा अपमान किया है। जमीन से आसमान में उनको बैठाया मैंने, लेकिन देखिए उन्होंने मेरे साथ क्या किया?’

घोषणापत्र पर मुलायम की मंजूरी की अहमियत पर जोर देते हुए आजम ने उनसे कहा था, ‘यह चमन तो सारा आप ही का बनाया हुआ है।’ आजम के बहुत समझाने पर मुलायम अपना समर्थन देने को राजी हुए थे। अखिलेश और उनकी पत्नी डिंपल ने फिर मुलायम और आजम के साथ मिलकर मैनिफेस्टो वाली तस्वीर खिंचवाई थी। बातचीत की जानकारी रखने वाले एक एसपी लीडर ने बताया, ‘पिता-पुत्र में एक घंटे से ज्यादा समय तक बातचीत हुई। काफी मतभेद दूर हो गए थे।’ मुलायम फिर प्रचार करने और रैलियों को संबोधित करने पर भी राजी हुए थे। आजम ने इस बात का जिम्मा लिया है कि रैलियों में मुलायम की मौजूदगी दर्ज हो।

16 जनवरी को चुनाव आयोग ने साइकिल चुनाव चिह्न पर अखिलेश खेमे के दावे को वैध बताया था। यह ऐलान होते ही अखिलेश अपने पिता के आवास पर पहुंच गए थे। तब उन्होंने मुलायम से कहा था, ‘सब कुछ ले लेना तीन महीने बाद। यह पार्टी आपकी ही है। मैं भी आपका ही रहूंगा।’ हालांकि तब मुलायम नहीं पिघले थे। वह अपमान से नाराज थे, लेकिन चुनौती देने के मूड में नहीं थे। उन्होंने अखिलेश से केवल इतना कहा कि पार्टी में एक गलत रिवाज डाल दिया गया। मुलायम ने कहा था, ‘अब हमारी पार्टी में बगावत शुरू हो चुकी है।’

मुलायम के करीबी एक नेता ने बताया, ‘नेताजी ने अपने बेटे से कहा कि पार्टी में कभी बगावत नहीं हुई थी और अब जो हुआ है, वह अच्छा संकेत नहीं है। नेताजी का रुख शुरू से ही साफ था कि वह पार्टी नहीं टूटने देंगे। वह उस बात पर टिके रहे। यही उन्होंने अखिलेश से कहा था कि उनके खिलाफ भी बगावत हो सकती है।’ उस दिन पिता से मिलने के तुरंत बाद अखिलेश ने विज्ञापन जारी किए, जिनमें कहा गया था कि मुलायम के नाम पर ही पार्टी चुनाव लड़ेगी

मुलायम ने एसपी के टिकट के लिए 30 नामों का सुझाव दिया था और अखिलेश ने ज्यादातर सुझाव माने। खासतौर से मुलायम के छोटे बेटे की पत्नी अपर्णा यादव को टिकट दिया गया। एसपी नेताओं का कहना है कि अपर्णा ने 2012 में अखिलेश को सीएम कैंडिडेट बनाए जाने का विरोध किया था। एक सीनियर एसपी लीडर के मुताबिक अपर्णा ने कहा था, ‘नेताजी तो अभी हैं। उनको बनाना याहिए। भैया तो कभी भी बन सकते हैं।’ कुछ लोगों का कहना है कि पिता-पुत्र के बीच विवाद के दौरान अपर्णा ने कई हवन कराए थे। हालांकि अखिलेश ने अपर्णा को टिकट दिया और संवाददाताओं से उन्होंने कहा था, ‘राजनीति में दिल बड़ा होना चाहिए।’ यह सब मुलायम का मूड संभालने की कोशिश का हिस्सा था।

पार्टी सिंबल पर चुनाव आयोग का फैसला आने के कुछ दिनों पहले आजम खान के लखनऊ वाले आवास पर तड़के ही एक शख्स पहुंचे। वह मुलायम सिंह यादव थे। मुलायम ने तब आजम से कहा था, ‘कोई सम्मानजनक फैसला हो जाए।’ एक सीनियर एसपी लीडर ने कहा, ‘आजम खान के सिवा कोई भी दूसरा नेता पिता-पुत्र के बीच खाई पाटने और यह पक्का करने में कारगर नहीं हुआ कि मुलायम सार्वजनिक बातचीत में सावधानी बरतते रहें।’

पार्टी के लोगों का कहना है कि मुलायम को संभालने में आजम खान ने कई बार उपयोगिता साबित की है। एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘वरिष्ठ नेताओं के सामने उनकी तारीफ और सम्मान में कहे गए शब्दों से बड़ा फर्क पड़ जाता है।’ पिता-पुत्र के बीच विवाद तेज होने के दौरान भी आजम दोनों के पास आते-जाते रहे। एक एसपी लीडर ने बताया कि आजम ने मुलायम से कहा था, ‘जरूरी बात यह है कि अखिलेश जीतने के लिए प्रचार करें।’ आजम ने अखिलेश से कहा था, ‘अगर आप बीजेपी को हराना चाहते हैं तो दोनों लोग मिलकर रहें।’ एक अन्य एसपी लीडर ने बताया, ‘मुलायम उनकी बात सुनते हैं। आजम खान को वह काफी सम्मान देते हैं। इस पूरे घटनाक्रम में आजम उन नेताओं में रहे हैं, जिन्होंने किसी एक का पक्ष नहीं लिया।’

एसपी नेताओं का कहना है कि अखिलेश ने चतुराई दिखाई और कुछ तबकों से मिले समर्थन पर इतराए नहीं ताकि मुलायम की नाराजगी न बढ़े। एसपी नेताओं का कहना है कि मुलायम के करीबी रहे नरेश अग्रवाल, किरणमय नंदा, उदय प्रताप सिंह ने अखिलेश का समर्थन किया था और इससे मुलायम बहुत नाराज हुए थे। उनका कहना है कि मुलायम कह रहे थे कि इन नेताओं का कद उनकी वजह से बढ़ा और उनके कंधों पर मुलायम का हाथ पड़ने से पहले उनका कद बहुत छोटा था। नेताओं ने बताया कि अखिलेश ने निर्देश दिए हैं कि उनके खेमे के लोग मुलायम के बारे में अगर कड़ी टिप्पणी करेंगे तो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अखिलेश खेमे के रामगोपाल यादव के दिल्ली वाले घर में हुई एक बैठक में मुलायम का मजाक उड़ा रहे सीनियर नेताओं को याद दिलाया गया था कि मुलायम ने अगर सार्वजनिक रूप से अपने अपमान का दर्द सामने रख दिया तो उनके पक्ष में समर्थन चला जाएगा।