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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नहीं लड़ेंगे विधान सभा चुनाव!

लखनऊ। यूपी की राजनीति इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है. समाजवादी पार्टी और बीएसपी के नेता पार्टी को छोड़कर बीजेपी का दामन थाम रहे हैं. इसी बीच एक यह भी चर्चा में है कि क्या यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ अब विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे?

सीएम योगी और डिप्टी सीएम मौर्य को 19 सितंबर तक MLA या MLC बनना होगा 

ताजा हालात तो ऐसे ही बन गए हैं. समाजवादी पार्टी की एमएलसी सरोजनी अग्रवाल का इस्तीफा शायद इसी की ओर इशारा कर रहा है. इसके बाद से यह भी चर्चा में है कि यूपी के दोनों उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा भी चुनाव नहीं लडेंगे. लेकिन लोकसभा चुनाव जीत चुके योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्य को हर हाल में 19 सितंबर तक एमएलए या एमएलसी बन जाना होगा.

चर्चा का बाजार गर्म है. कहा जा रहा है कि योगी आदित्यनाथ अयोध्या से चुनाव लड़ सकते हैं तो यह बात भी सामने आ रही है कि वो गोरखपुर से विधान सभा चुनाव लड़ सकते हैं. सूत्रों की मानें तो अब योगी आदित्यनाथ एमएलसी का चुनाव लड़ेंगे.

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश और मायावती भी रहे हैं एमएलसी 

अगर ऐसा हुआ तो पिछले दरवाजे से किसी सदन का सदस्य बनने वाले योगी आदित्यनाथ पहले सीएम नहीं होंगे. जब अखिलेश यादव 2012 में मुख्य मंत्री बने तब वे कन्नौज से सांसद थे और विधानसभा चुनाव लड़ने के बदले वो एमएलसी बन गए. 2007 में सीएम रहते हुए मायावती ने भी यही किया था.

योगी आदित्यनाथ ने 19 मार्च को यूपी के सीएम पद की शपथ ली थी. अब उन्हें छह महीने में  एमएलए या एमएलसी बनना पड़ेगा . 19 सितम्बर को ये डेडलाईन खत्म हो जाएगी. अब तक उन्होंने लोक सभा से इस्तीफा नहीं दिया है. चुनाव के लिए कम से कम तीन हफ्ते पहले अधिसूचना जारी होती है.

स्वतंत्रदेव सिंह और मोहसिन रजा को भी बनना है MLA या MLC

योगी के अलावा दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या और दिनेश शर्मा को भी यूपी के किसी सदन का सदस्य बनना पडेगा. केशव इलाहाबाद के पास फूलपुर से लोक सभा सांसद हैं. इसके अलावा परिवहन मंत्री स्वतंत्र देव सिंह और अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री मोहसिन रजा भी अभी ना तो एमएलए हैं और ना ही एमएलसी.

अब तक समाजवादी पार्टी के तीन और बीएसपी के एक एमएलसी इस्तीफा दे चुके है. जबकि बीजेपी को पांच की जरुरत है. समाजवादी पार्टी के एक और एमएलसी जो अखिलेश यादव से नाराज बताए जाते हैं, वे कभी भी इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो सकते है. अगर ऐसा हुआ तो अमित शाह का मिशन पूरा हो जाएगा.