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मुंबई में लग सकती है नए वाहनों के पंजीकरण पर लगाम

mumbauiiमुंबई। मुंबई में वाहनों की बढ़ती संख्या पर लगाम कसने की तैयारी शुरू हो गई है। बीएमसी ने इसके लिए कॉम्प्रिहेन्सिव मोबिलिटी प्लान (CMP) तैयार किया है। अगर यह प्लान लागू हो जाता है तो मुंबई में नए वाहनों का रजिस्ट्रेशन सीमित हो सकता है। फिलहाल मुंबई में रोजाना तीन हजार नए वाहनों का रजिस्ट्रेशन किया जाता है।
बीएमसी ने जो सीएमपी बनाया है, उसके उसके लिए एमएमआरडीए, ट्रैफिक पुलिस से भी सुझाव मंगाए गए हैं। इन सुझावों के आधार पर अंतिम फैसला लिया जाएगा और फिर राज्य सरकार इस बारे में अधिकृत रूप से घोषणा करेगी।

क्या हो सकते हैं कदम
– ट्रैफिक पर लगाम लगाने के लिए नई गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन को कंट्रोल करने, हर साल निश्चित संख्या में ही नई गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन करने, पार्किंग की व्यवस्था होने के बाद ही रजिस्ट्रेशन की अनुमति देने जैसी योजनाएं सुझाई गई हैं।

– कुछ भीड़-भाड़ वाले इलाकों में गाड़ियों की एंट्री कुछ समय के लिए बंद करने, ‘कंजेशन टैक्स’ जैसे सुझाव भी इसमें दिए गए हैं।

– पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देने के लिए बसों के लिए अलग लेन, सारे ट्रांसपोर्ट सिस्टम के लिए टिकटिंग सिस्टम सिंगल प्रणाली पर लागू करने का भी सुझाव है।

– विभिन्न सिग्नलों पर जरूरत के हिसाब से यू-टर्न, राइट टर्न बंद करने या शुरू रखने, सिग्नल टाइमिंग को बदलने या केवल पैदल यात्रियों के लिए सिग्नलिंग सिस्टम देने जैसे सुझाव भी हैं।

रिपोर्ट का क्या है आधार
6 महीने तक सर्वे और 18 महीने तक स्टडी करने के बाद तैयार इस रिपोर्ट में ट्रांसपोर्ट व्यवस्था को बेहतर बनाने के सुझाव दिए गए हैं। इसमें घरों-ऑफिस की स्थिति, ट्रैफिक की टाइमिंग, मुंबई के बाहर से आने वाले लोड समेत विभिन्न फैक्टर्स को ध्यान में रखा गया है। इसे बनाने में टेक्नॉलजी की मदद भी ली गई है।

संबंधित अधिकारी ने कहा कि रिपोर्ट में मुंबई के विभिन्न रोड की जरूरतों को ध्यान में रखकर सलाह दी गई है। कहां छोटे से बदलाव से काम हो सकता है, कहां किस तरह के बदलाव जरूरत है इत्यादि।

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ट्रांसपोर्ट सिस्टम में सुधार के लिए विशेष तौर पर दिलचस्पी रख रहे हैं, उन्होंने ‘मेक इन इंडिया’ सप्ताह के दौरान भी एमएमआरडीए को ऐसे प्लान बनाने के निर्देश दिए थे, जिससे एमएमआर रीजन में कहीं भी 1 घंटे के अंदर पहुंचा जा सके।

आंकड़ों पर एक नज़र-

कितनी हैं गाड़ियां
2010 तक- 15 लाख
2015 तक- 22 लाख
5 साल में बढ़ीं- 7 लाख गाड़ियां