नई दिल्ली : आधुनिक जीवनशैली के बीच मिट्टी के बर्तन धीरे-धीरे चलन से बाहर हो गए। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से मिट्टी का तवा मेट्रो सिटीज के साथ ही छोटे शहरी घरों में भी देखने को मिल रहा है। पुराने लोग आज भी कहते हैं कि मिट्टी के बर्तन में बना खाना खाने से कई तरह के फायदे मिलते हैं। आयुर्वेद में बोला गया है कि खाने को आग के ऊपर धीरे-धीरे पकना चाहिए। लेकिन स्टील वएल्युमिनियम के बर्तन में यह संभव नहीं हो पाता। इनमें खाना तेजी से पकता है। जबकि मिट्टी के बर्तन में खाना हल्की आंच पर बनाया जाता है। इससे खाना स्वादिष्ट व पौष्टिक बनता है।
गैस से राहत
मिट्टी के तवे पर बनी रोटी खाने से गैस की समस्या छूमंतर हो जाती है। यदि आपको भी दिनभर कार्यालय में बैठने के कारण गैस की कठिनाई है तो मिट्टी के तवे बनी रोटी आप भी आजमा सकते हैं।
स्वादिष्ट व पौष्टिक
मिट्टी के तवे पर बनी रोटी स्वादिष्ट व पौष्टिक होती है। आटा मिट्टी के तत्वों को अवशोषित कर लेता है, जिससे इसकी पौष्टिकता बढ़ जाती है। साथ ही इसमें मौजूद सभी तरह के प्रोटीन बॉडी की खतरनाक बीमारियों से रक्षा करता है।
कब्ज से राहत
आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी व बदलती जीवनशैली के बीच कब्ज की समस्या आम हो गई है।जिस आदमी को कब्ज की कठिनाई हो उसे तवा पर बनी रोटी खाने से आराम मिलता है। कुछ समय तक लगातार ऐसा करने से कब्ज में राहत मिलती है।
मिट्टी का तवा क्यों
माना जाता है कि मिट्टी के तवे में रोटी बनाने से आपके एक भी पोषत तत्व नष्ट नहीं होते। वहीं दूसरे तत्व से बने तवा कि बात करें तो एल्यूमीनियम के बर्तन में बने खाने में 87 फीसदी पोषक तत्व समाप्त हो जाते हैं। पीतल के बर्तन में खाना बनाने से इसमें से 7 फीसदी पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं।साथ ही कांसे के बर्तन में बने खाने में से 3 फीसदी पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। केवल मिट्टी के बर्तन में बने खाने में 100 फीसदी पोषक तत्व होते हैं।
इस बात का ख्याल रखें
मिट्टी के तवे को तेज आंच पर रखने से यह चटक जाता है। इसके अतिरिक्त मिट्टी के तवे का प्रयोगकरते वक्त यह भी ध्यान रखें कि इसे पानी के संपर्क में नहीं लाना चाहिए। रोटी बनाने के बाद मिट्टी के तवे को कपड़े से साफ करें। इस पर साबुन का प्रयोग नहीं करना चाहिए। मिट्टी का तवा साबुन अवशोषित कर लेता है।