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महाराष्ट्र निकाय चुनाव: सभी बड़े शहरों में कांग्रेस का सूपड़ा साफ

मुंबई। महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनाव में जहां बीजेपी सबसे बड़े खिलाड़ी के तौर पर उभरी है, वहीं कांग्रेस के लिए नतीजे सबसे ज्यादा निराश करने वाले रहे। 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद महाराष्ट्र में कांग्रेस को लगातार तीसरे चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा है। बीएमसी में कांग्रेस 31 सीटों पर सिमट कर रह गई, जिसकी जिम्मेदारी लेते हुए मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष संजय निरुपम इस्तीफा दे चुके हैं। निरुपम ने भले ही हार की नैतिक जिम्मेदारी खुद ली हो लेकिन ठीकरा भितरघात पर फोड़ते दिखे।

नगर निगम चुनावों में कांग्रेस के कमजोर प्रदर्शन का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिंपरी चिंचवाड़ में पार्टी इस बार खाता तक नहीं खोल पाई, जबकि पिछली बार 14 सीटों पर उसका कब्जा था। उल्हासनगर में कांग्रेस मुश्किल से खाता खोलने में सफल रही और एक सीट पर जीत हासिल कर पाई, जबकि 2012 में यहां कांग्रेस को 8 सीटें मिलीं थीं। 2012 में बीएमसी में कांग्रेस के 52 पार्षद जीते थे जो इस बार घटकर 31 हो गए।

ठाणे में पिछली बार 11 सीटें जीतने वाली कांग्रेस इस बार सिर्फ 3 सीटों पर सिमटकर रह गई। बात अगर पुणे की करें तो पिछली बार यहां से कांग्रेस के 28 पार्षद चुने गए थे, जबकि इस बार यह आंकड़ा घटकर 11 हो गया है। इसी तरह सोलापुर में कांग्रेस के सिर्फ 14 पार्षद चुने गए हैं जबकि पिछली बार कांग्रेस की झोली में 43 सीटें आईं थीं। इसी तरह नासिक में पिछली बार कांग्रेस ने 15 सीटों पर कब्जा किया था जबकि इस बार पार्टी को सिर्फ 6 सीटों पर ही जीत नसीब हुई। नागपुर में कांग्रेस दूसरे नंबर पर जरूर रही लेकिन पिछली बार के 41 सीटों के आंकड़े से घटकर 29 पर आ गई।

नैशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी कांग्रेस के खराब प्रदर्शन पर निराशा जाहिर की है। उन्होंने कांग्रेस को नए सिरे से अपनी रणनीतियों पर विचार करने की सलाह भी दी है। वैसे भी जिस तरह कांग्रेस को चुनाव दर चुनाव हार का सामना करना पड़ रहा है, इसके मद्देनजर उसके सामने अपने ‘राष्ट्रीय चरित्र’ को बरकरार रखने की कड़ी चुनौती है। हालांकि कांग्रेस हार पर मंथन के बजाय बहानेबाजियों पर जोर देती दिख रही है। संजय निरुपम जहां बीएमसी पर हार के लिए भितरघात पर ठीकरा फोड़ रहे हैं वहीं मिलिंद देवड़ा हार की भड़ास वोटरों पर ही निकालते दिखे। देवड़ा ने कहा कि बीएमसी चुनाव के नतीजों से लगता है कि जैसे मुंबईवाले गड्ढे वाली सड़कों, मलेरिया और वॉटर टैंकर के साथ ही जीना चाहते हैं।