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महबूबा बोलीं, कश्मीर में अमन चाहिए तो PoK वाले रास्ते खोल दो

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने रियासत में अमन के लिए पीओके जाने वाले रास्तों को खोल देने की पैरवी की है. शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में चर्चा के दौरान महबूबा ने कहा कि अगर राज्य में अमन और शांति कायम करनी है तो पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद साहब का विजन अपनाना पड़ेगा.

मुफ्ती साहब के विजन में सॉल्यूशन

विधानसभा में महबूबा ने कहा कि जेएंडके का मेरे मुताबिक अगर कोई सॉल्यूशन है तो वो मुफ्ती मोहम्मद सईद साहब का विजन है. उनका मानना था कि यहां के तमाम रास्तों को खोल दिया जाए, लोगों को आने-जाने दिया जाए, क्योंकि हम कहते हैं कि वो कश्मीर (PoK) भी हमारी रियासत का हिस्सा है.

राब्ता होता तो भूकंप में बच जाती हजारों की जान

मुख्यमंत्री ने कहा कि इसमें क्या मुश्किल है. इस कश्मीर और उस कश्मीर के लोग आपस में मिलें, बात करें. कोई टूरिज्म की बात हो. डिजास्टर मैनेजमेंट की बात हो. जब भूकंप आया था, अगर उस समय हमारा राब्ता होता तो शायद हम बहुत लोगों की जान बचा सकते थे. गौरतलब है कि 8 अक्टूबर 2005 को भयानक भूकंप आया था. उसमें दोनों तरफ के हजारों लोगों की मौत हुई थी.

उमर ने तीन नागरिकों की मौत का मुद्दा उठाया

इससे पहले विधानसभा में विपक्ष के नेता उमर अब्दुल्ला ने शोपियां जिले में सुरक्षा बलों की गोलीबारी में तीन लोगों के मारे जाने की घटना की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय एसआईटी गठित करने की मांग की. उमर ने कहा कि पुलिस द्वारा दर्ज की गई दो एफआईआर को लेकर अब एक तकरार शुरू हो गई है इसलिए थाना प्रभारी द्वारा इसकी जांच करना मुश्किल होगा.

सेना ने बताई फायरिंग की वजह

वहीं अधिकारियों ने आज बताया कि थल सेना ने 27 जनवरी की इस घटना के बारे में जम्मू-कश्मीर पुलिस को अपना बयान दे दिया है. उन्होंने पथराव कर रही भीड़ पर गोलीबारी करने की अपनी वजह भी बताई है. गौरतलब है कि यह घटना उस वक्त हुई थी जब थल सेना के काफिले पर शोपियां जिले में हमला हुआ था. थल सेना द्वारा कल सौंपे गए पक्ष के मुताबिक सुरक्षा बल के काफिले पर पत्थरबाजों के एक समूह ने हमला किया जिसके जवाब मंक इसके जवानों ने खुद की जान बचाने के लिए गोलीबारी की.

पत्थरबाज को मुआवजा देने की वकालत की

उमर ने कहा कि राज्य में सुरक्षा हालात बदतर हो रहे हैं. उन्होंने फारूक अहमद डार को मुआवजा देने की पुरजोर हिमायत की, जिन्हें थल सेना की एक जिप्सी के बोनट से बांध दिया गया था. उमर ने हैरानगी जताई कि उन्हें (डार को) बांधने वाली थल सेना को पुरस्कार मिला, लेकिन चुनाव में मतदान करने वाला यह युवक क्या मुआवजा पाने का हकदार नहीं है. पूर्व मुख्यमंत्री ने महबूबा से कहा कि वह नयी दिल्ली में बैठे अपने समकक्षों को सलाह दें कि वे वहां से राज्य के लिए फैसले ना लें और राज्य नेतृत्व से मशविरा करें.