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मजबूत उम्मीदवार के लिए दर दर भटक रहा कांग्रेस

raga2एजेंसी, लखनऊ। यूपी में कांग्रेस मुख्यालय पर आयोजित दलित कान्क्लेव के दौरान जब राहुल ने कार्यकर्ताओं से कहा कि पर्ची पर लिख लो यूपी में अगली सरकार कांग्रेस की बनेगी, तो एक बार लगा कि उनके पास जरूर कोई ऐसी खूफिया रिपोर्ट है, जिसमें पार्टी की यूपी में वापसी की मजबूत संभावना जताई गई है। वहीं पार्टी की जो खबरें बाहर आ रही हैं उससे तो कांग्रेस की स्थिति और खराब होती दिख रही है। यूपी में कांग्रेस को विधानसभा चुनाव के लिए मजबूत उम्मीदवार नहीं मिल पा रहे।

सवाल ये उठता है कि क्या कांग्रेस को इस बात की जानकारी नहीं है कि उसका आंतरिक ढांचा लगातार कमजोर और बेकार होता चला जा रहा है। यह बात इसलिए भी उठ रही है क्योकि उत्तर प्रदेश में पार्टी को ऐसे 403 मजबूत उम्मीदवार नहीं मिल रहे हैं, जिनके सहारे कांग्रेस पूरी ताकत से आगामी विधानसभा चुनाव में उतर सके। पार्टी सूत्रों की मानें तो लंबे समय से मजबूत उम्मीदवारों की तलाश कर रहे पर्यवेक्षकों ने पार्टी हाईकमान को जो आतंरिक रिपोर्ट सौंपी है, उसमें इस बात का खुलासा किया गया है कि यूपी कांग्रेस के पास सभी विधानसभा सीटों पर लड़ने के लिए ऐसे उम्मीदवार नहीं हैं, जो दूसरे दलों के प्रत्याशियों को मजबूत टक्कर दे सकें।

वर्ष 1989 से सत्ता से बाहर चल रही कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में मजबूत वापसी की रणनीति तय करते हुए पहले गठबंधन की संभावनाओं को जांचा-परखा, जब बात नहीं बनी तो पार्टी ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला लिया। कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में बसपा की तर्ज पर विधानसभा प्रत्याशियों का चयन चुनाव से महीनों पहले करने की रणनीति तैयार की।

बीते वर्ष 2015 में प्रत्याशी चयन के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षकों की टीम को उत्तर प्रदेश भेजा गया। लगभग ढाई दर्जन पर्यवेक्षकों की टीम को यह जिम्मेदारी सौंपी गई कि वे यूपी में ऐसे प्रत्याशी चयनित करें, जो विपक्षियों को मजबूत टक्कर देते हुए कांग्रेस को अपनी सीट जीतकर दे सके। पर्यवेक्षकों को एक से लेकर तीन जिलों में प्रत्याशियों के चयन की जिम्मेदारी सौंपी गई। पार्टी हाईकमान ने यह निर्णय इसलिए लिया क्योंकि अब तक ऐन चुनाव के वक्त प्रत्याशियों के नामों की घोषणा की जाती थी, जिसके चलते उन्हें प्रचार-प्रसार करने का मौका नहीं मिल पाता था और पार्टी को नुकसान उठाना पड़ता था। पार्टी ने यह भी तय किया था कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अपने निष्ठावान, समर्पित और साफ-सुथरी छवि रखने वाले कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता देगी।

पर्यवेक्षकों की टीम ने प्रदेश की सभी 403 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं से उम्मीदवारी के आवेदन मांगे। प्रदेश की सभी विधानसभा सीटों पर अच्छी-खासी संख्या में प्रत्याशियों ने आवेदन डाले। कई जिलों में तो एक ही उम्मीदवार ने तीन-तीन विधानसभा सीटों पर आवेदन कर दिए।

आवेदन की भारी संख्या में पर्यवेक्षकों का उत्साह तो बढ़ गया, लेकिन असली दिक्कत तब शुरू हुई जब उम्मीदवारों का जनाधार और जमीनी पकड़ की जांच होने लगी। पर्यवेक्षकों की विभिन्न माध्यमों से जुटाई गई जानकारी के बाद यह सामने आया कि कई आवेदकों की तो अपने क्षेत्र में ही कोई पहचान नहीं है। प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया अपने आखिरी दौर में पहुंच चुकी है।

अगर पार्टी सूत्रों की माने तो यूपी में कांग्रेस के पास मात्र पांच दर्जन ही ऐसी सीटें हैं, जहां उसकी स्थिति अच्छी है या उम्मीदवार अच्छे हैं। शेष सीटों पर परिस्थितियां अत्यंत मुश्किल है। बीते विधानसभा चुनाव के आंकड़े पर गौर करें तो रालोद के साथ मिलकर 355 सीटों पर लड़ने वाली कांग्रेस के सबसे ज्यादा 240 प्रत्याशियों की जमानत तक जब्त हो गई थी। केवल 28 कांग्रेसी प्रत्याशी विधायक बन पाए थे। अगर पिछले चार विधानसभा चुनावों के परिणामों पर गौर करें तो कांग्रेस 20 से लेकर 30 के बीच ही सिमटी हुई है।