Breaking News

मच गयी “पंचम तल” पर “खलबली”, ‘गुटों में बंटकर “IAS-IPS” लगा रहे है “डीजीपी और मुख्य सचिव” बनने का जोर

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सत्ता परिवर्तन का असर ब्यूरोक्रैसी में भी दिखाई देने लगा है. एक तरफ मुख्य सचिव और अपर मुख्य सचिव की तरफ से निर्देश जारी किया जा रहा है कि 20 मार्च से सभी कार्यालयों में अफसर और कर्मचारी समय पर आना शुरू कर दें क्योंकि प्रदेश में नई सरकार का गठन हो रहा है.

वहीं दूसरी तरफ प्रदेश के नए डीजीपी और मुख्य सचिव पद के लिए भी दावेदारी तेज होती दिख रही है.  माना जा रहा है कि नए सीएम योगी आदित्यनाथ प्रदेश के मुख्य सचिव और डीजीपी सहित प्रदेश की ब्यूरोक्रैसी में भारी बदलाव की तैयारी कर रहे हैं.

इनमें कई जिलों के डीएम, कप्तान सहित प्रमुख सचिव स्तर के अफसरों की जिम्मेदारी में भी बदलाव किया जा सकता है. हालांकि पुलिस विभाग को छोड़कर आईएएस अफसरों में जल्द बदलाव होने के संकेत नहीं है क्योंकि वित्तीय वर्ष समाप्त हो रहा है.

आईपीएस अफसरों की बात करें तो सबसे बड़ा फेरबदल डीजीपी को लेकर माना जा रहा है. चुनाव के दौरान भाजपा की तरफ से चुनाव आयोग में डीजीपी जावीद अहमद के खिलाफ तमाम शिकायतें दर्ज कराई गई थीं. कानून व्यवस्था को लेकर पार्टी ने उन पर कई गंभीर आरोप लगाए थे.

वहीं डीजीपी हटने की सुगबुगाहट के बीच कई अफसरों ने खेमेबंदी शुरू कर दी है. अभी तक 1980 बैच के सुलखान सिंह का नाम सबसे ऊपर आ रहा है. सुलखान सिंह इसी साल 30 सितम्बर को रिटायर हो रहे हैं.

इनके अलावा 1982 बैच के डीजी पुलिस भर्ती बोर्ड सूर्य कुमार शुक्ला, डीजी फायर सर्विस की जिम्मेदारी संभाल रहे प्रवीन सिंह के अलावा 1983 बैच के राजीव राय भटनागर के नाम भी दावेदारों में शामिल हैं. राजीव भटनागर इस समय केंद्र में डीजी एनसीबी पद की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.

इसके अलावा प्रदेश में नए मुख्य सचिव को लेकर भी वरिष्ठ आईएएस अफसर खेमेबंदी शुरू कर चुके हैं. अभी तक जिनके नाम सामने आए हैं, उनमें प्रदेश के कृषि उत्पादन आयुक्त प्रवीर कुमार, प्रमुख सचिव ऊर्जा संजय अग्रवाल, अपर मुख्य सचिव, आवास एवं शहरी​ नियोजन सदाकांत, प्रमुख सचिव वित्त अनूप चंद्र पांडेय के नाम प्रमुख हैं.

जब मुख्य सचिव ने कहा, 20 मार्च के बाद सभी समय पर कार्यालय पहुंचें

वैसे मुख्य सचिव राहुल भटनागर अपनी कुर्सी बचाने का एक अनूठा प्रयास कर चुके हैं. 17 मार्च को राहुल भटनागर की तरफ से अति​ आवश्यक निर्देश जारी किया गया.

इसमें कृषि उत्पादन आयुक्त, सभी अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिवों, सचिवों के साथ ही सभी विभागाध्यक्षों को निर्देश दिया गया कि प्रदेश में नई सरकार का गठन शीघ्र होने जा रहा है. सरकार की नीतियों एवं संकल्प सूत्रों का अनुपालन, क्रियान्वयन समयबद्ध रूप से किया जाना है.

अत: आपसे अपेक्षा है कि अपने अधीनस्थ्ज्ञ सभी अधिकारीगण और कार्मिकों को निर्देश दें कि वह 20 मार्च से हर कार्यालय दिवस में नियमित रूप से उपस्थित रहें.

यही नहीं सरकार बदलते ही अपर मुख्य सचिव, आवास एवं शहरी​ नियोजन सदाकांत की तरफ से 16 मार्च को पत्र जारी किया गया, जिसमें लिखा गया कि नई सरकार के गठन की प्रक्रिया चल रही है. यह एक संक्रमण अवधि है. मार्च का महीना होने के कारण वित्तीय वर्ष की समाप्ति का भी समय है.

अत: इस समय पुराने टेंडर आदि के आधार पर टेंडर का अनुमोदन न किया जाए. जो टेंडर आदि की प्रक्रिया प्रचलित है, उसे स्थगित रखा जाए. नए कार्य और नई स्वीकृतियां आदि भी अभी न की जाएं.

इसके अलावा सदाकांत ने लखनऊ विकास प्राधिकरण को विशेष रूप से निर्देश दिया गया कि वह पुरानी कार्यशैली त्याग दें और विशेष सावधनी बरतें. यदि कोई मार्गदर्शन की आवश्यकता हो तो राज्य सरकार को तत्काल प्रकरण को संदर्भित करें ताकि सक्षम स्तर से निर्णय लिया जा सके.