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भारत ने किया पाक उच्चायुक्त को तलब, दिया कड़ा संदेश

basitनई दिल्ली। उड़ी आतंकी हमले पर पाकिस्तान के खिलाफ भारत का लगातार कड़ा रुख देखने को मिल रहा है। विदेश सचिव एस जयशंकर ने बुधवार को पाकिस्तानी उच्चायुक्त अब्दुल बासित को विदेश मंत्रालय में तलब किया और याद दिलाया कि उनके देश की सरकार ने जनवरी 2004 में वादा किया था कि वह भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों के लिए अपनी धरती का इस्तेमाल नहीं होने देगी। इस वादे को लगातार तोड़ा जा रहा है और यह सिलसिला बढ़ रहा है, जो चिंता का विषय है।

विदेश सचिव ने कहा कि उड़ी में हुआ हालिया आतंकवादी हमला यही बताता है कि पाकिस्तान में आतंकवाद का बुनियादी ढांचा कायम है। हम मांग करते हैं कि पाकिस्तान सबके बीच किए अपने वादे को निभाए और भारत के खिलाफ आतंकवाद को प्रायोजित करने या उसका साथ देने से परहेज करे।

इस साल की शुरुआत में पठानकोट एयरबेस पर अटैक के साथ हथियारबंद आतंकवादियों ने लाइन ऑफ कंट्रोल और अंतर्राष्ट्रीय सीमा को पार करने की लगातार कोशिशें की हैं, ताकि भारत में हमलों को अंजाम दिया जा सके। इस तरह की 17 कोशिशों को एलओसी पर या उसके करीब रोका गया। इस दौरान 31 आतंकवादियों का सफाया किया गया और उनके आतंकवादी मंसूबों को नाकाम किया गया।

विदेश सचिव ने याद दिलाया कि हाल की घटनाओं में हमने कई चीजों की बरामदगी की है। इनमें मारे गए आतंकवादियों से एक जीपीएस भी मिला, जो एलओसी पर घुसपैठ की जगह और समय के साथ आतंकवादी हमले की जगह तक के रूट के बारे में संकेत देता है। ग्रेनेड भी बरामद हुए हैं, जिन पर पाकिस्तान के निशान हैं। कम्यूनिकेशन इक्विपमेंट और मैट्रिक्स शीट, पाकिस्तान में बने खाद्य पदार्थ, दवाएं, कपड़े और अन्य चीजें भी मिली हैं।

विदेश सचिव ने प्रस्ताव रखा कि अगर पाकिस्तान की सरकार सीमा पार से किए इन हमलों की जांच करना चाहे तो भारत उड़ी और पुंछ की घटनाओं में मारे गए आतंकवादियों के फिंगरप्रिंट और डीएनए सैंपल उपलब्ध करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि हम इस मामले पर पाकिस्तान सरकार के जवाब का इंतजार कर रहे हैं।

आपको बता दें कि रविवार को जम्मू-कश्मीर के उड़ी में हुए आतंकी हमले में सेना के 18 जवान शहीद हो गए। इस घटना के बाद देश में पाकिस्तान को लेकर काफी गुस्सा देखा जा रहा है। शहीद के परिवारों के साथ-साथ आम लोग भी पाकिस्तान से बदला लेने की मांग कर रहे हैं।