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भारत की न्यायिक व्यवस्था में क्रांति का दिन !

डा. सूर्यप्रताप सिंह 
न्यायपालिका में भ्रष्टाचार/प्रशासनिक अनियमितताओँ के विरुद्ध अंदर से उठी आवाज़-सुप्रीम कोर्ट के 4 अत्यंत ईमानदार छवि के वरिष्ठ जजों ने आज एक अभूतपूर्व/क्रांतिकारी क़दम उठाते हुए, न्यायपालिका में क्या चल रहा है, के विषय में जाता दिया कि लोकतंत्र में लोगों को यह सब जानने का हक़ है। लोकतंत्र में संविधान सर्वोच्च है और संविधान के आरम्भ में ही PREAMBLE में लिखा है.. WE THE PROPLE OF INDIA …. SOLEMNLY RESOLVED शब्दों से पता चलता है कि संविधान में भी समस्त शक्ति ‘लोगों’ में ही निहित है।

कार्यपालिका/नौकरशाही व विधायिका/नेता/मंत्रीयों के भ्रष्टाचार की बात तो एक आम है लेकिन एक सर्वे के अनुसार भारत के 45% लोग यह मानते है कि न्यायपालिका में भी व्यापक भ्रष्टाचार है। 2014 में सर्वोच्च न्यायालय के एक पूर्व जज ने कहा था कि सर्वोच्च न्यायालय के 3 पूर्व मुख्य न्यायाधीश भ्रष्ट थे। 2010 में एक पूर्व क़ानून मंत्री ने कहा था कि सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व 16 मुख्य न्यायाधीशों में से 8 मुख्य न्यायाधीश ‘भ्रष्ट’ थे।

2007 के एक सर्वे के अनुसार 59% पक्षकारों ने वक़ील के माध्यम से , 5% लोगों ने सीधे तथा 30% कोर्ट के बाबुओं के माध्यम से अपने पक्ष में निर्णय कराने के लिए रिश्वत दी। CBI ने एक भ्रष्ट न्यायाधीश को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ़्तारी तक हो चुकी है। इस देश में भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने वाले न्यायाधीश Justice CS Karnan को दुर्भाग्यवश जेल जाना पड़ा था।

इस देश में highcourt व supreme court के जजों की नियुक्ति में भाई भतीजावाद का बोलबाला रहा है। इलाहाबाद में जाकर देखो कि कितने जजों के बेटे जज बने हैं। देश में भ्रष्टाचार के विरुद्ध आज क्रांति का समय आ गया है। लोग मानते है कि आज देश में कोई भी राजनीतिक दल ईमानदार नहीं है, सब भ्रष्टाचार के चंदे से चलते हैं…. सभी सत्ताधीश/मंत्री बनकर देश को लूटते हैं। आज 4 न्यायाधीशों की प्रेस कॉन्फ़्रेन्स ने इस क्रांति का आग़ाज़ कर दिया है… यह अभूतपूर्व घटना है।

यह समय है कि जब सुप्रीम कोर्ट/हाईकोर्ट/लोअर कोर्ट्स के सभी भ्रष्ट जजों का सफ़ाया किया जाए…. यह लोकतंत्र के लिए अति आवश्यक है। न्यायपालिका ही लोकतंत्र का ऐसा सर्वोच्च ज़िम्मेदार स्तम्भ है कि जो दोनो विधायिका व कार्यपालिका के भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा सकती है। यदि न्यायपालिका ही भ्रष्ट होगी तो यह कार्य कैसे सम्भव हो पाएगा।

आज भ्रष्टाचार के विरुद्ध आग़ाज़ का दिन है जिसका सबको स्वागत करना चाहिए। हम आप लोग व मीडिया ‘अवमानना’ के डर से न्यायपालिका के भ्रष्टाचार को उजागर नहीं कर पाते हैं। आज न्यायपालिका के अंदर से स्वमँ उसके अपने अंदर व्याप्त अनियमितताओं/भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज़ उठी है, इसका स्वागत किया जाना चाहिए।

इस चारों ईमानदार ‘जजों’ की आवाज़ का समर्थन किया जाना चाहिए और भ्रष्ट जजों के विरुद्ध ‘IMPEACHMENT’ की कार्यवाही कर सारी दुनिया में संदेश देना चाहिए कि भारत की न्यायिक व्यवस्था (Judicial System) ‘Transparent’ है और लोकतंत्र की रक्षा करने में समर्थ है।
क्या मेरा यह लेख ‘Contempt of Court’ की श्रेणी में आता है ? यदि हाँ, तो मैं जेल जाने को तैयार हूँ।
जय हिंद-जय भारत !!

(वरिष्ठ आइएस अधिकारी डा. सूर्यप्रताप सिंह के फेसबुक वॉल से साभार,यह लेख पूर्णतया इनके  निजी विचार हैं)