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भारत की नींद चाहकर भी नहीं उड़ा पाते पाकिस्तान के परमाणु हथियार

nuclear-arsenalवॉशिंगटन। एक अमेरिकी थिंक टैंक के विशेषज्ञों ने कहा है कि पाकिस्तान के पास फिलहाल 120 परमाणु हथियार मौजूद हैं और उसका परमाणु हथियारों का बढ़ता जखीरा अमेरिकी हितों के लिए ‘गंभीर खतरा’ है। कार्नेगी एंडोमेंट फोर इंटरनैशनल पीस में परमाणु नीति कार्यक्रम के सह-निदेशक टोबी डाल्टन ने पाकिस्तान पर कांग्रेशनल सुनवाई के दौरान गुरुवार को सेनेट की विदेशी संबंध समिति के सदस्यों से यह बात कही।

हाल ही में पाकिस्तानी न्यूक्लियर प्रोग्राम के जनक एक्यू खान ने बेहद मनहूस बयान दिया था कि पाकिस्तान में इतनी क्षमता है कि वह कहुता से नई दिल्ली को पांच मिनट के भीतर ध्वस्त कर दे। हालांकि पाकिस्तान की इस धमकी से भारत में भगदड़ की स्थिति उत्पन्न नहीं हुई लेकिन विवाद तो खड़ा हुआ ही। भारत के ज्यादातर विशेषज्ञों ने एक्यू खान के दावों को तवज्जो नहीं दी।

डाल्टन ने कहा, ‘पाकिस्तान की बढ़ती परमाणु क्षमता और खौफ पैदा करने का उसका व्यापक होता इरादा अमेरिका के उन हितों के लिए गंभीर चुनौती है जिसके तहत अमेरिका परमाणु विस्फोट को रोकना चाहता है और परमाणु हथियारों और सामग्री की मजबूत सुरक्षा बनाए रखना चाहता है।’
डाल्टन का कहना है कि पाकिस्तान अपने शस्त्रागार में हर साल 20 परमाणु हथियार जोड़ कर इसका विस्तार करने में सक्षम है और बीते दशक में उसने परमाणु हथियारों के लिए परमाणु सामग्री के उत्पादन में विशेषतौर पर विस्तार किया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान भारत की ओर से मिलने वाली सैन्य चुनौती के बदले में परमाणु हथियारों पर जोर दे रहा है।

एक्यू खान एक प्रतिष्ठित न्यूक्लियर साइंटिस्ट हैं। मिलिटरी और न्यूक वॉर रणनीति में उनकी विशेज्ञता नहीं है। खान के बड़बोलेपन से पहले अमेरिका के दो थिंक टैंक्स ने अनुमान लगाया था कि पाकिस्तान के परमाणु हथियारों के जखीरों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इनका कहना था कि पाकिस्तान परमाणु हथियारों के जखीरे के मामले में अमेरिका और रूस के बाद तीसरा बड़ा देश बन गया है। इंडिया इस मामले में पाकिस्तान से भी पीछे है। हालांकि इंडिया ने इस रिपोर्ट पर कोई टिप्पणी नहीं की।

इंडिया-अमेरिका न्यूक्लियर डील की तरह ऑस्ट्रेलिया के साथ भी यह समझौता हुआ है। हाल ही में इंडिया ने एनएसजी में एंट्री के लिए ऐप्लिकेशन दिया है। इंडिया को एनएसजी की सदस्यता मिल जाती है तो उसे डोमेस्टिक एनर्जी की लिए यूरेनियम की आपूर्ति आसानी से हासिल होने लगेगी। इसके बाद भारत को यूरेनियम का इस्तेमाल मिलिटरी रिजर्व बढ़ाने की भी छूट मिल जाएगी।

यह तो महज भारत की परमाणु शक्ति का एक हिस्सा है। इस मामले में भारत और पाकिस्तान में एक मूल फर्क है। यदि पाकिस्तान के पास भारत के मुकाबले ज्यादा परमाणु हथियारों का जखीरा है तो इंडिया डिलिवरी और डिफेंस के मोर्चे पर बेहद अडवांस टेक्नॉलजी से लैस है। यदि किसी देश के पास स्ट्रैटिजिक बॉम्बर जेट्स, इंटरकॉन्टिनेंटल बलिस्टिक मिसाइल्स और बलिस्टिक सबमरीन्स हैं तो वह दुश्मन की जमीन पर आसमान के जरिए न्यूक्लियर अटैक कर सकता है।

इंडिया इस मामले में पूरी तरह से लैस है। भारत पास इस मामले में सक्षम हवाई वाहन- फ्रेंच डासो मिराज 2000H, रूसी-भारतीय सुखोई सु-30 MKI, रूसी मिग 29 और एंग्लो-फ्रेंच SEPECAT जगुआर्स हैं। ये सभी न्यूक्लियर अटैक करने में सक्षम हैं। इंडिया के पास पाकिस्तान के मुकाबले 10 गुना ज्यादा न्यूक्लियर वीइकल हैं जो पाकिस्तान में न्यूक्लियर हथियार दागने में सक्षम हैं।