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भड़काऊ खबरों पर नायडू सो रहे तो टीम जुकरबर्ग एक्शन में, हटा दी बुरहान को हीरो बताने वाली स्टोरी

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में मीडिया का एक धड़ा पूरी तरह अलगाववादियों के कब्जे में है। अखबारों और पत्रिकाओं में आतंकियों का इस कदर महिमामंडन किया जाता है, मानो वह घाटी के हीरो हों। वहीं भारत को लेकर ऐसी बातें लिखी जाती हैं कि जैसे जम्मू-कश्मीर देश का हिस्सा ही न हो।

हिजबुल मुजाहिद्दीन कमांडर बुरहान की मौत की बरसी पर ग्रेटर कश्मीर मीडिया ग्रुप की साप्ताहिक पत्रिका ने उसकी लाल बैकग्राउंड में पोर्ट्रेट बनाकर कवर स्टोरी की। हेडलाइऩ लगाई- कश्मीर, ए इयर ऑफ्टर बुरहान्स डेथ। इसमें बुरहान वानी का खूब महिमामंडन किया गया। यह स्टोरी आठ जुलाई को प्रकाशित हुई। ठीक एक साल पहले इसी दिन भारतीय सेना ने घाटी में दहशत का पर्याय बने वानी को मौत की नींद सुला दिया था

जब खबर वायरल हुई तो अलगाववादी जहां गदगद हो गए, वहीं देश से दिलोजान से जुड़े हर भारतीय के मन में पीड़ा हुई। फेसबुक पर इतने रिएक्शन हुए कि फेसबुक ने सक्रियता दिखाते हुए तत्काल न केवल बुरहान की कवर स्टोरी को डिलीट कर  दिया, बल्कि पत्रिका का पेज भी 24 घंटे के लिए ब्लॉक कर दिया।

और नायडू सो रहे तो महकमा भी है बेखबर

मोदी सरकार में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की कमान वेंकैया नायडू के पास है। बेशक मीडिया के पास अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। मगर इसका मतलब यह तो नहीं कि किसी अखबार को आतंकियों का महिमामंडन करने की भी छूट मिल जाए। सवाल यह है कि कश्मीर इंक पत्रिका की कवर स्टोरी को लेकर वेंकैया नायडू के मंत्रालय से कोई एक्शन नहीं लिया गया। यहां तक कि जवाब-तलब करने की भी जरूरत नहीं समझी गई। वहीं फेसबुक ने आम भारतीयों की जनभावनाओं का ख्याल करते हुए बुरहान वानी को हीरो बनाने वाली कवर स्टोरी को अपने सोशल नेटवर्किंग पर वायरल होने से रोक दी।

क्या कहा पत्रिका के एडिटर ने

कश्मीर इंक के एक्जीक्यूटिव एडिटर माजिद मकबूल कहते हैं कि बुरहान वानी पर कवर स्टोरी को ब्लॉक करने का फेसबुक का निर्णय पूरी तरह अनुचित रहा।  उन्होंने पेज बहाली की मांग की। घटना के बारे में उनका कहना है कि जब

मैग्जीन ने फेसबुक पर कवर पोस्ट किया तो इसे फेसबुक ने हटा दिया। इतना ही नहीं पत्रिका के फेसबुक पेज को भी एक दिन के लिए ब्लॉक कर दिया गया। फेसबुक पेज की ओर से मैसेज भी भेजा गया।

“You’re temporarily blocked from posting. This temporary block will last for 24 hours, and you won’t be able to post on Facebook until it’s finished. We removed the post below because it doesn’t follow the Facebook Community Standards.”

मकबूल कहते हैं कि कवर स्टोरी छापने का मकसद था घाटी में पिछले एक साल की स्थिति का विश्लेषण करना। इसमें उपद्रव के कारणों, राजनीतिक बयानबाजी और गठबंधन दलों के एजेंडे  के स्टेटस पर समग्र रिपोर्ट पेश की गई थी। न कि हमारा मकसद किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का था।  पत्रिका के एडिटोरियल कार्टूनिस्ट सुहैल ने लाल बैकग्राउंड में वानी की पोर्ट्रेट डिजाइन की थी। एक हेडलाइन के साथ बुरहान की पोट्रेट पेश की गई थी। यहां तक कि इस तस्वीर में हथियारों का प्रदर्शन भी नहीं किया गया था।

जम्मू-कश्मीर के सभी अखबारों ने बुरहान की बरसी पर रिपोर्ट पेश की थी।  जो हमने किया, उसमें कुछ भी असामान्य नहीं था। मगर, कश्मीर इंक का पूरा स्टाफ हैरान हैं कि उनके पेज को क्यों ब्लॉक किया गया।