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बड़े बदलाव की ओर बसपा, नसीमुद्दीन सिद्दीकी बसपा महासचिव पद से हटाए गए

लखनऊ। बसपा ने पार्टी के मिशनरी और युवा कार्यकर्ताओं को लुभाने के लिए युवा संगठन बनाने पर गंभीरता से विचार शुरू कर दिया है। जिसमें दलित और पिछड़ा समाज के युवाओं को वरीयता दी जाएगी। बसपा सुप्रीमो मायावती इस युवा संगठन की जिम्मेदारी अपने भाई आनंद कुमार को सौंपे जाने चर्चा है। जिससे पार्टी में आनंद कुमार को लेकर कोई विरोध न हो और स्वीकार्यता बढ़ जाए। बसपा में इस बात की भी काफी चर्चा है कि कद्दावर नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी को सभी प्रमुख पदों से हटा कर साइड लाइन कर दिया गया है।

पार्टी पदाधिकारियों की समीक्षा में कई जोनल कोआर्डिनेटरों अपना दर्द रखते हुए बताया कि बसपा की इस हार के लिए काफी हद तक नसीमुद्दीन सिद्दीकी जिम्मेदार है। जिन्होंने शीर्ष नेतृत्व को गुमराह करके धन्ना सेठों को पैसों के लिए टिकट दिलवाया था। इस बात की पुष्टिï बाबा साहब डा. भीमराव अम्बेडकर की जयंती के अवसर पर 14 अप्रैल को पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवाल के उस जवाब से होती है कि जिसमें बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा था कि उस समय गन्ना मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी थे। चीनी मिलों को बेचने के मामले की जांच योगी सरकार ने शुरू कर दी है। इस बात की संभावना है कि नसीमुद्दीन सिद्दीकी चीनी मिलों की जांच में फंस जाएंगे।

बसपा सूत्रों का कहना है कि मायावती ने नसीमुद्दीन सिद्दीकी से दूरी बनाते हुए अधिकतर पदों से हटा दिया है। बसपा की अधिकृत वेबसाइट डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू.बीएसपीइंडिया.ओआरजी पर नसीमुद्दीन सिद्दीकी का विवरण हटा दिया गया है। लेकिन बसपा की प्राथमिक सदस्यता बरकरार रखी गई है। विधान परिषद में नेता दल की जिम्मेदारी भी किसी अन्य नेता को दिए जाने की तैयारी है। हालांकि इस संबंध में बसपा ने अभी कोई पुष्टिï नहीं की है। इस संबंद में नसीमुद्दीन सिद्दीकी से संपर्क किये जाने पर प्रतिकिर्या नहीं मिल पाई।