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बुलंदशहर गैंगरेप! पढ़ें : पुलिस के “फर्जी खुलासे” की “कहानी”, इस तरह “निर्दोष” बन गए “गैंगरेप के आरोपी”

bulandshara-rape-cse-fake.slideलखनऊ /बुलंदशहर। बुलंदशहर हाईवे पर मां-बेटी के गैंगरेप मामले की गूंज देश की सांसद तक सुनाई पड़ी थी. जिसके बाद सिपाही से लेकर जिले के एसएसपी समेत 19 पुलिस वाले सस्पेंड हुए. लेकिन इन सब के बीच एक चीज जो नहीं बदली थी, वह थी यूपी पुलिस की फर्जीवाड़े के सहारे वारदात का खुलासा करने की कार्यशैली.

प्रदेश पुलिस के मुखिया डीजीपी जावीद अहमद ने इस वारदात के खुलासे की पहली प्रेस कांफ्रेस में दो बदमाशों की शिनाख्त और गिरफ्तारी की पुष्टि की थी. उनके नाम थे बबलू बाबरिया और नरेश ठाकुर. लेकिन बाद में ये दोनो नाम पुलिस की स्क्रिप्ट से गायब हो गये. सवाल उठता है आखिर क्यों? जिन बदमाशों को डीजीपी ने असली बताया क्या वो नकली थे?

लेकिन आज पुलिस के फर्जीवाड़े का खुलासा एक स्टिंग ऑपरेशन की मददे से हो गया है. इस स्टिंग के बात जो बात सामने आई है उससे तो यही लगता  है कि पुलिस अधिकारीयों का यह खुलासा सफेद झूठ था. दरअसल इस वारदात में पुलिस ने बबलू बाबरिया और नरेश ठाकुर नाम के दो व्यक्तियो को फर्जी फंसाने की कोशिश की. जिनका न तो कोई क्रिमिनल बैकग्राउंड है और न ही वो पेशेवर अपराधी हैं.

बबलू की उम्र 19 साल है जबकि नरेश ठाकुर की उम्र 16 साल है. दरअसल, इन दोनों युवकों को 27 जुलाई को बुलंदशहर की ककोड़ पुलिस ने वैर गाँव से गिरफ्तार किया था. यानी ये वारदात के दो दिन पहले ही अरेस्ट किये गए थे. इनके खिलाफ न तो कोई केस दर्ज था और न ही ये किसी मामले के वांछित थे.

बताते चलें इलाके की पुलिस अक्सर बाबरिया परिवारों से इसी तरह वसूली करती है. ककोड़ थानेदार महेन्द्र सिंह और हलका दारोगा अशोक वशिष्ठ ने भी वसूली के मकसद से इन दोनों को पकड़ा था.

लेकिन जब 29 जुलाई को वारदात हो गयी तो पुलिस ने पूरा मामला बाबरिया अपराधियों पर खोलना चाहा. इसके लिए जिले के थानों में तलाश की गयी तो पता चला कि ककोड़ में पहले से ही दो बाबरिया युवकों को बिठाये रखा गया है. पूर्व एसएसपी वैभव कृष्ण ने अपनी वाहवाही के लिए इन युवकों को इस मामले में जबरन घसीट दिया और वारदात के अगले दिन बुलंदशहर आये डीजीपी को पूरी स्क्रिप्ट दे दी.

डीजीपी ने भी छाती ठोंककर प्रेसवार्ता में बेकसूर युवकों के नाम लेकर वारदात का खुलासा कर दिया. लेकिन तीन घंटे बाद जब जिले में अधिकारियों के बंपर सस्पैंशन हो गये तो प्रभारी एसएसपी पंकज पांडेय ने रातोरात इन दोनों के नाम पुलिसिया स्क्रिप्ट से निकलवा कर दूसरे बदमाशों को इसमें सेट कर दिया.

लेकिन पोल खुलने के डर से बबलू और नाबालिग नरेश ठाकुर को पुलिस ने 19 दिनो तक अवैध हिरासत में रखा. उन्हें बुलंदशहर से मेरठ ले जाया गया. जहां जोन की क्राइम ब्रांच की टीम उन्हें जेल भेजने के रास्ते तलाशती रही. बाद में जब पुलिस ने इस वारदात का नोएडा में पूरा खुलासा कर दिया तो बबलू और नरेश 15 अगस्त की शाम को ककोड़ थाने से छोड़ दिये गए.

दोनों को पुलिस ने सख्त हिदायत दी है कि न तो वह अपनी बहन के घर आएंगे और न ही इलाके में रहेंगे. इसलिए ये दोनों और उनकी बहन भी अब इस गांव में नहीं हैं.