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बीआरडी में मरीजों के परिजन मांगते रहे जिंदगी की मन्नत

लखनऊ/गोरखपुर। बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज में लिक्विड ऑक्सीजन की आपूर्ति बंद होने से मौत का सिलसिला जो शुरू हुआ वह शुक्रवार की शाम को भले ही थम गया, लेकिन जिनके अपने चले गए उनके आंखों से आंसू नहीं थम रहे हैं। मौत होने के बाद शवों को अंतिम-संस्कार के लिए परिजनों को सौंप दिया गया, वहीं, मेडिकल कॉलेज में भर्ती मरीजों के परिजनों का बुरा हाल है। पूर्वांचल के मासूमों को निगल रहे जापानी बुखार के शिकार बच्चों को गोद में लेकर जिंदगी की आस में रोते-बिलखते परिजनों के आने का क्रम शुक्रवार रात भी जारी रहा।

जब हमारे संवाददाता ने शुक्रवार रात मेडिकल कॉलेज के जापानी बुखार वार्ड का दौरा किया जहां लिक्विड ऑक्सीजन के खत्म होने के बाद चार मासूमों की सबसे पहले मौत हुई। इस वार्ड में मातमी सन्नाटे के बीच मन्नत का दौर चलता दिखा। मेडिकल कॉलेज के 100 नंबर वार्ड में गंभीर मरीजों को देखते हुए आक्सीजन सिलिंडर लगाने का काम जारी था । वार्ड में एक साथ 16 ऑक्सीजन सिलिंडर लगे जो चंद घंटों में ही खत्म हो गए। एक बार फिर डॉक्टर और स्टाफ सिलिंडर के जुगाड़ में इधर-उधर दौड़ लगाना शुरू कर दिए। यह सब देखकर जापानी बुखार वार्ड के बाहर भर्ती मरीजों के परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल हो गया था। उन्हें यह डर सता रहा था कि कहीं मौत उनके बच्चे को भी न डस ले।

गुलरिहा इलाके नरकटवां गांव के निवासी चुनमुन ने बताया कि दो दिन पहले उनके 3 वर्षीय बेटे सुजीत की तबीयत अचानक खराब हो गई। पहले वह उसे पीपीगंज इलाज के लिए ले गए। जहां पर आराम न मिलने पर बच्चे को भटहट स्वास्थ्य केंद्र लेकर गए। डाक्टरों ने उसे बीआरडी रेफर कर दिया। यहां के जापानी बुखार वार्ड में भर्ती कराया गया। शुक्रवार को जब यह पता चला कि लिक्विड ऑक्सीजन खत्म हो गया है तो परिजन बच्चे की चिंता में रोने लगे।

ऐसा ही हाल सिरसिया कुशीनगर से आए मनोज गौड़ का भी था। एक साल की बेटी आर्या को लेकर आए मनोज और उनकी पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल था। कुशीनगर जिले के कप्तानगंज निवासी बृजेश भी 3 साल की बेटी सरोज को लेकर 8 दिन पहले मेडिकल कॉलेज में हैं। अभी तक उसके तबीयत में कोई सुधार नहीं हुआ है। वह लगातार ऑक्सीजन के भरोसे जिंदा है। शुक्रवार को पता चला कि यहां पर ऑक्सीजन की सप्लाई बंद हो जाने की वजह से कई मौते हुई हैं। तभी से पूरा परिवार सरोज की जिंदगी सलामती के के लिए रो रहा है।