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बिहार में ये क्या लालू, बालू और एक नया घोटाला, जानें क्या है माजरा

पटना। बिहार के वित्तमंत्री सुशील मोदी ने आरोप लगाया है कि राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू यादव और उनकी पत्नी और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी का राज्य के बालू माफिया से संबंध है. सुशील मोदी ने अपने इस आरोप के समर्थन में एक अपार्टमेंट के तीन फ्लैटों के कागजात मीडियावालों को दिए जिससे उनके आरोपों की पुष्टि होती है. इनका नाम लालू यादव की मां के नाम और निर्माण भी उनके निर्देशन में हुआ है.

सुशील मोदी ने दिए सबूत
जून महीने में राबड़ी देवी ने 1 करोड़ 72 लाख के भुगतान के बाद तीन फ्लैट उन तीन कंपनियों के नाम किए, जिसके निदेशक सुभाष यादव हैं. सुशील ने अपने संवाददाता सम्मेलन में बालू के ठेके से जुड़े कागजात भी जारी किए जिससे इस बात की पुष्टि होती है कि राज्य के पटना, भोजपुर, छपरा और अरवल जिले में जिन तीन अलग-अलग कंपनियों को बालू की ठेकेदारी का काम मिला, उन तीनों कंपनियों में सुभाष यादव निदेशक हैं. सुभाष यादव ने फ्लैट की रजिस्ट्री उस समय कराई जब यह साफ हो गया था कि उन्हें इसके लिए सीबीआई और आयकर विभाग के पास देर-सबेर सफाई देनी होगी.

सत्ता के गलियारों तक पहुंच
सवाल यह है कि जिस व्यक्ति की कंपनी के पास राज्य सरकार के द्वारा आधिकारिक रूप से दिया गया बालू के कारोबार का पटा हो वह माफिया कैसे हो गया? इसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि जब आप आवश्यक अनुमति जैसे पर्यावरण विभाग की अनुमति के बिना सालों से माइनिंग कर रहे हों तब साफ़ है कि सत्ता के गलियारे में आपकी इतनी ताकत है कि आपका कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता.

तो इसलिए संबंध हुए खत्म
यह सब जानते हैं कि 2014 से जब नीतीश और लालू करीब आए बालू का यह कारोबार ख़ासकर अवैध माइनिंग का खेल जोर पकड़ता गया और जब 2014 नवंबर में सरकार बन गई और लालू यादव के पास विभागों के बंटवारे में खान विभाग आ गया तब यह खेल चरम पर जा पहुंचा, लेकिन बात नीतीश कुमार से छिपी नहीं और लालू यादव के साथ राजनीतिक संबंध खत्म करने के पीछे कई करणों में यह एक मुख्य कारण बना, हालांकि कुछ महीने पूर्व पटना हाई कोर्ट के निर्देश पर इस धंधे की जांच में तब पटना के डीआईजी शालीन ने तीन दिन की जांच पर एक रिपोर्ट लिखी.

धंधे में शामिल थे कई लोग
इस रिपोर्ट में पाया गया था कि बिना किसी अनुमति के माइनिंग हो रही है, लेकिन इस धंधे में न केवल सुभाष यादव बल्कि राजद के विधान पार्षद राधा चरण सेठ और विधायक अरुण यादव का नाम भी शामिल है. रिपोर्ट में यह भी माना गया कि अधिकारियों की मिलीभगत के बिना ये धंधा संभव नहीं, हालांकि कई पुलिस अधिकारियों ने दबी ज़ुबान में स्वीकार किया कि अवैध बालू की ढुलाई को पकड़ने पर पटना से लेकर दिल्ली तक केंद्रीय जांच एजेंसी के वरिष्ठ अधिकारियों के फ़ोन उनके पास आते थे और नीतीश ने भाजपा के साथ एक बार फिर सत्ता में आने के बाद जब धंधेबाजों पर नकेल कसनी शुरू कि तो सबसे ज्यादा विरोध राजद के लोगों की तरफ से हो रहा है.

लालू यादव क्या करेंगे
इन सबके बीच सोचने वाली बात यह है कि लालू यादव जिन्होंने दो वर्ष पूर्व अपने एक करीबी विधायक की बालू खनन में काम आने वाली मशीन ज़ब्त होने पर विधानसभा में अपने विधायकों से जमकर हंगामा करवाया था. वह क्या बालू के चक्कर में अपनी राजनीतिक साख दांव पर लगाएंगे या सरकार की बालू माफ़िया के खिलाफ कार्रवाई का समर्थन करेंगे.