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बिहार के CM नीतीश कुमार ने नौकरियों में 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण की वकालत की

sectorपटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नौकरियों में 50 प्रतिशत के आरक्षण के प्रावधान को बढाए जाने के लिए संविधान में संशोधन की वकालत की। साथ ही उन्होंने निजी क्षेत्र में भी आरक्षण दिए जाने की बात कही।

बिहार विधान परिषद सभागार में शनिवार को आयोजित एक समारोह के दौरान नीतीश ने कहा कि जिस तरह से 1915 के उत्पाद एवं मद्य निषेध कानून को सही नहीं पाए जाने पर हम लोगों ने संशोधन किया। इसी तरह आज के हालात में 50 प्रतिशत के आरक्षण के प्रावधान को संविधान में संशोधन कर बढाया जाना चाहिए। और केवल सरकारी क्षेत्र में नहीं, निजी क्षेत्र में भी आरक्षण लागू होना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘मुझे जनता ने जो दायित्व दिए हैं, मैं उसे निभाना चाहता हूं। लेकिन यह नहीं है कि देश के विकास के लिए अपने कर्तव्यों से दूर रहूंगा। जब भी कोई ज्वलंत मुद्दा आएगा तो सामने आउंगा। चाहे रोहित वेमुला की आत्महत्या का मामला हो या डॉ. अयूब द्वारा उठाए गए दलित मुसलमानों के आरक्षण का मामला, मेरे द्वारा इन मुद्दों पर अपना स्पष्ट विचार रखा गया है।’

नीतीश ने कहा कि उन्होंने लोकसभा चुनाव के समय दलित मुसलमानों को आरक्षण दिए जाने का मुद्दा उठाया था। मैंने उस वक्त लोकसभा में कहा था कि अनुसूचित जाति-जनजाति, पिछडा वर्ग के लोग किसी भी धर्म से हो सकते हैं।

नीतीश ने कहा कि आरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला मान्य है, पर आरक्षण पर चर्चा होनी चाहिए। बनाए गए कोटा को बढाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘कोई भी कानून तत्कालीन परिवेश को देखकर बनता है। बाद में इसे बदला जाता है।

उन्होंने कहा ‘बिहार पहला राज्य है जहां पुरुष एवं महिला समानता लागू किया गया। समाजवादी नेता राममनोहर लोहिया जी ने कहा था कि नर नारी एक समान। उसके अनुरूप बिहार में महिलाओं को स्थानीय निकायों में 50 प्रतिशत आरक्षण, प्राथमिक शिक्षक के पदों पर 50 प्रतिशत आरक्षण के साथ-साथ अन्य सरकारी सेवाओं में 35 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है।