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बिना एक भी चुनाव लड़े जयललिता की छाया से सीएम की कुर्सी तक यूं पहुंचीं शशिकला

चेन्नै। एक विडियो कसेट सप्लायर से सीएम की कुर्सी तक सफर तय करने वाली AIADMK महासचिव वी.के. शशिकला का सफर काफी रोचक और मुसीबतों से भरा रहा है। पूर्व सीएम जे जयललिता के निधन के बाद सत्ता के गलियारे में मजबूती से पकड़ बनाने वाली शशिकला ने अपने शुरुआती दिनों में काफी मुश्किल वक्त का सामना किया था। शशिकला ने जितनी मुसीबतें झेलीं, उससे ज्यादा तेजी के साथ उनका राजनीतिक उदय हुआ है। ‘चिन्नमा’ के नाम से मशहूर शशिकला ने आजतक एक भी चुनाव नहीं लड़ा है, लेकिन पार्टी में उनकी पकड़ काफी मजबूत है और अब वह राज्य के शीर्ष पद पर काबिज होने वाली हैं।

शशिकला को हाई स्कूल की पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ गई थी। शशिकला ने तमिलनाडु सरकार में सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी रहे एम नटराजन से शादी की थी। उनके पति ने ही दिवंगत जयललिता से उनकी मुलाकात करवाई थी।

इस मुलाकात के कुछ वर्षों बाद शशिकला और जयललिता की दोस्ती प्रगाढ़ हो गई और शशिकला पोस गार्डन स्थित जयललिता के आवास में ही रहने लगी थीं। जयललिता के बीमार पड़ने से लेकर उनके अंतिम समय तक शशिकला उनके साथ ही रहीं। शशिकला के पास भले ही करिश्माई नेतृत्व नहीं था, लेकिन जयललिता के शासन के दौरान भी ज्यादातर पार्टी के नेता उनसे ही संपर्क साधते थे।

2012 में शशिकला तथा जयललिता में कुछ अनबन हुई थी और शशिकला को पोस गार्डन छोड़कर जाना पड़ा था। शशिकला पर आरोप था कि वह अपने संबंधियों के साथ मिलकर जयललिता के खिलाफ षडयंत्र रच रही हैं। हालांकि 100 दिन बाद ही शशिकला ने जयललिता से बिना शर्त माफी मांग पोस गार्डन के बंगले में प्रवेश पा लिया था। इसके बाद जया के निधन तक शशिकला पूर्व सीएम की छाया बनकर रहीं।

शशिकला अब राज्य की सीएम बनने वाली हैं। 5 फरवरी को AIADMK विधायक दल ने उन्हें सर्वसम्मति से विधायक दल का नेता चुन उनके सीएम बनने का रास्ता साफ कर दिया है।

आइए नजर डालते हैं शशिकला के राजनीतिक सफर पर…

-1957 में चेन्नै से 300 किलोमीटर दूर मन्नारगुड़ी के नजदीक तिरतुरईपुंडी में जन्म हुआ था।
-1974 में तमिलनाडु सरकार में अधिकारी एम नटराजन से शादी।
-शशिकला के परिवार का झुकाव DMK की तरफ था।
-1983 में शशिकला के पति ने जयललिता से उनका परिचय कराया था।
-1987 में एमजीआर के निधन के बाद जब जयललिता का विरोध हुआ तो शशिकला जया के साथ खड़ी रहीं और उसके बाद से ही वह जया की छाया बनकर रहीं।
-1991 में जयललिता राज्य की सीएम बनीं और शशिकला उनकी करीबी सहयोगी।
-1995 में जयललिता ने शशिकला के भतीजे सुधारकरन को दत्तक पुत्र के रूप में स्वीकार कर लिया।
-1996 में जया ने सुधाकरन से नाता तोड़ लिया। आय से अधिक संपत्ति मामले में जयललिता के साथ शशिकला को सह-आरोपी बनाया गया।
-2001-2011 में AIADMK सत्ता में आई और शशिकला जयललिता की निकटतम सहयोगी बनी रहीं।
-2012 में जयललिता के खिलाफ साजिश के आरोप में शशकिला को पोस गार्डन बंगले से निकाल दिया गया। हालांकि 100 दिन बाद ही शशिकला की बिना शर्त माफी मांगने के बाद फिर से उनकी वापसी हो गई।
-सितंबर 2016 में शशिकला ने बीमार जयललिता को अस्तपाल में भर्ती कराया।
-जयललिता के निधन के एक महीने के भीतर ही उन्हें AIADMK का महासचिव बनाया गया।
-5 फरवरी 2017 को AIADMK विधायक दल ने सर्वसम्मति से उन्हें अपना नेता चुन लिया।