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बाबा और मौलवियों से इस देश को बचाओ : योगेन्द्र यादव

Yogendra-Yadav (2)नई दिल्ली। ‘भारत माता की जय’ बोलने का विवाद शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। एक तरफ, दारूल उलूम ने बीते दिनों इस पर एक फतवा जारी कर दिया था। फतवे में कहा गया था कि इस्लाम में केवल खुदा की इबादत करने का नियम है। ऐसे में मुस्लिम भारत माता की जय का नारा नहीं लगा सकते। वहीं, योग गुरु बाबा रामदेव के बयान ने राजनीती फिर गर्मा दी है।

जब इस मुद्दे पर स्वराज अभियान के नेता प्रो. डॉ. योगेन्द्र यादव ने एक ट्वीट किया। तब ‘स्पेशल कवरेज न्यूज़’ की टीम ने योगेन्द्र यादव से ट्वीट के बारे में पूछा कि इस बारे में आपकी राय क्या है, क्या ये सारी बातें देश हित में हो रहीं हैं।

योगेन्द्र यादव ने कहा कि इस देश में हो क्या रहा है। एक साधु सन्यासी हैं जो धमकी की भाषा में बात करते हैं। योग वाले हैं जो जोड़ने की बात करते हैं नाम धर्म का लेते हैं मर्यादा का लेश मात्र उसमें अंश नहीं है।

दूसरी तरफ मौलवी हैं फ़तवा देते हैं जिसका इस्लाम की परंपरा से कोई लेना देना नहीं हैं। जिसका संबिधान से कोइ लेना देना नहीं है। इसलिए मेरा मानना है कि क्यों न हम ऐसे मौलवियों ऐसे बाबाओं सब से कहें कि आप की इस देश में जरूरत नहीं है। हिन्दू और इस्लाम दोनों को ऐसे बाबाओं और मौलवियों से मुक्ति चाहिए।

‘भारत माता की जय’ कोई हिन्दू नारा नहीं
योगेन्द्र यादव ने आगे कहा कि ‘भारत माता की जय’ कोई हिन्दू नारा नहीं है। ये इस देश की स्वतंत्रता आंदोलन का नारा है। इस नारे से न हिन्दुओं को गुरेज था न मुस्लिमों को गुरेज था।

योगेन्द यादव ने बताया, भारत माता मन्दिर उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरियों में से एक वाराणसी के राजघाट पर स्थित अपने ढंग का अनोखा मंन्दिर है। जिसका उदघाटन सन 1936 में गांधीजी द्वारा किया गया। इस मन्दिर में किसी देवी-देवता का कोई चित्र या प्रतिमा नहीं है सिर्फ भारत का मानचित्र रखा था। एक वो समझदारी थी। अब भारत माता की जय कहना कोई हिंदूवादी नहीं है लेकिन किसी को लाठी दिखाकर कहना कि अब ये बोलो तो ये तो सरासर गुंडा गर्दी है। कोई ‘जय हिन्द’ बोलता है, कोई ‘भारत जिंदाबाद’ बोलता है, कोई ‘मां तुझे सलाम’ बोलता है, इसमें क्या दिक्कत है। ये कहना कि भारत कि इज्जत करो और उसी शब्दों में करो जो मैं तुम्हें कह रहा हूँ ये तो गुंडा गर्दी है। ये किसी देश को बढ़ाने का तरीका नहीं है ये देश को तोड़ने के तरीके हैं।

योगेन्द्र यादव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सन 2005 में कहा कि इस तरह के फतवों से बचना चाहिए इस तरह के फतवों का कोई कानूनी आधार नहीं है, इस तरह के फतवे नहीं दिए जाने चाहिए।

सच्चा राष्ट्रवाद क्या है ?
योगेन्द्र यादव ने आगे बताया जब आप विश्व स्तर पर जाते हो, जब आप विश्व के 20 नेताओं के बीच में बैठते हो, जब आप WTO की निगोसीऐसन करते हो तब क्या आप की हिम्मत है कि अमरीका के खिलाफ खड़े होकर हिन्दुस्तान के किसान को बचाने की बहस करो। ये बीजेपी बाले जो ऊँची-ऊँची बातें करते हैं डेठ महीना पहले अमरीका के सामने घुटने टेक के आए हैं WTO के अंदर वो राष्ट्रवाद की परिभाषा है।

राष्ट्रवाद की परीक्षा उस दिन होती है जब इस देश के लोगों का 9000 करोड़ रु. कर्ज जेब में डालकर विजय माल्या विदेश में चला जाता है। आपको पता है कि वह भागेगा और आप उसको रोक नहीं पाए। उस दिन राष्ट्रवाद की परीक्षा होती है।

राष्ट्रवाद की परीक्षा उस दिन होती है जब पंजाब और हरियाणा को भड़काने की कोशिश हो रही है तब पंजाब की कांग्रेस एक भाषा में बोलती है हरियाणा की कांग्रेस उल्टी भाषा में बोलती है। पंजाब की बीजेपी प्रस्ताव पेश करती है हरियाणा की बीजेपी उसे असंबैधानिक बताती है। दिल्ली में बैठे इन पार्टियों के बड़े-बड़े नेता मौन साध लेते हैं। तब बोलने की हिम्मत नहीं होती कि इस देश के दो राज्यों को लड़ाओ मत जोड़ेंगे। राष्ट्रवाद की परीक्षा तब होती है।

राष्ट्रवाद इतनी सच्ची चीज नहीं है कि एक डॉयलॉग बोल दिया एक झंडा 207 मी. लगा दिया एक टी-शर्ट पहन ली एक नारा लगा दिया दूसरे के मुहं को चुप करा दिया। राष्ट्रवाद खून पसीने से बनता है। राष्ट्रवाद की कीमत होती है इस देश के लाखों लोगों ने कीमत अदा की है। ये जो बड़ी-बड़ी गद्दियों पर बैठे हैं ये भी कीमत अदा करना शुरू करें और ये सस्ती बयानबाजी बंद करें।