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बिहार में लालू के बाद अब यूपी में मायावती और अखिलेश की बारी, दोनों पर कसेगा सीबीआई का शिकंजा

लखनऊ। साल दो हजार उन्नीस में प्रस्तावित लोकसभा चुनाव को लेकर अगर यूपी में विपक्षी दल एकजुट होकर बीजेपी को शिकस्त देने की तैयारी में हैं तो महागठबंधन बनने से पहले बिहार की तरह यूपी की राजनीति में भूचाल आ सकता है. दरअसल बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर सीबीआई का शिकंजा कस सकता है.

इसकी खास वजह ये है कि यूपी में घोटालों की लंबी फेहरिस्त है. इस फेहरिस्त में बसपा सुप्रीमो मायावती हों या फिर अखिलेश यादव हर घोटाले की जांच की आंच इन नेताओं तक पहुंच रही है. केंद्र और यूपी सरकार इन जांचों का इस्तेमाल संभावित महागठबंधन की कड़ियों को कमजोर करने के लिए कर सकती हैं. आपको बता दें कि मायावती सरकार के कार्यकाल में हुए हजारों करोड़ के एनआरएचएम घोटाले में सीबीआई पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमो मायावती तक से पूछताछ कर चुकी है, और तो और सरकार के पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा और आईएएस प्रदीप शुक्ला समेत कई बड़ों को जेल जाना पड़ चुका है.

इसी तरह नोएडा के तत्कालीन चीफ इंजीनियर यादव सिंह के घोटाले के मामले में सपा और बसपा दोनों के बड़े नेताओं की गर्दन फंस रही है. पूर्व सीएम मायावती के भाई आनंद और उनकी पत्नी सीबीआई के निशाने पर हैं. सपा के कद्दावर नेता प्रोफेसर राम गोपाल यादव के बेटे और बहू पर भी सीबीआई जांच का शिकंजा कभी भी कस सकती है. यही नहीं अखिलेश सरकार के कार्यकाल में हुए हजारों करोड़ के अवैध खनन घोटाले में सीबीआई ने मुकदमे दर्ज करने शुरू कर दिए हैं. इस मामले में विवादित मंत्री गायत्री प्रजापति सीबीआई के निशाने पर हैं. इस मामले की जांच सीबीआई से बचाने के लिए सपा सरकार सुप्रीम कोर्ट तक जा चुकी है.

इतना ही नहीं सपा सरकार के कार्यकाल में हुए रिवर फ्रंट घोटाले की हाल ही में योगी सरकार ने सीबीआई से जांच कराये जाने की सिफारिश केंद्र को भेजी है. इसमें भी कई बड़ों की गर्दन पर सीबीआई की तलवार लटक रही है. न्यायिक समिति की रिपोर्ट में कई ऐसे बिंदु हैं जो तत्कालीन सिचाई मंत्री शिवपाल समेत कई बड़ों की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं. इसी तरह यूपीपीएससी भर्ती घोटाले की भी सीबीआई जांच के लिए सरकार ने कैबिनेट के जरिए मंजूरी दी है. बहरहाल जल्द ही इसकी सिफारिश भी केंद्र सरकार को भेजी जाएगी. उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग में सपा सरकार के दौरान हुई लगभग सारी भर्तियां विवादों के घेरे में हैं. इस मामले की जांच भी सपा सरकार के कई बड़ों की मुश्किलें बढ़ा सकती है.