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बदलेगा जॉब का आंकड़ा! स्वरोजगार में लगे लोगों को शामिल करने की तैयारी

नई दिल्ली। नौकरियों के सृजन में लक्ष्य से काफी पीछे रहने पर आलोचना का सामना कर रही मोदी सरकार अब स्वरोजगार को भी नौकरी के आंकड़ों में शामिल करने की तैयारी कर रही है. श्रम मंत्रालय के प्रस्ताव को अगर स्वीकार किया गया तो देश में नौकरियों के आंकड़ों में काफी तेज बढ़त होगी. 2019 के चुनाव से पहले सरकार इस मोर्चे पर आंकड़े गुलाबी कर युवा मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश कर सकती है.

इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के अनुसार, श्रम मंत्रालय प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) के तहत रोजगार हासिल करने वाले लोगों को भी नौकरी हासिल करने वाले लोगों के रिकॉर्ड में शामिल करने की तैयारी कर रहा है. रोजगार के मोर्चे पर आलोचना का शिकार हो रहे सरकार के वरिष्ठ मंत्री लगातार यह कहते रहे हैं कि PMMY के तहत बड़ी संख्या में युवाओं को लोन और रोजगार मिला है, तो उसे भला जॉब के आंकड़ों में क्यों न शामिल किया जाए. खुद पीएम मोदी एक टीवी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में पकौड़े बेचने वाले के उदाहरण के साथ अनौपचारिक क्षेत्र में मिलने वाले रोजगार का उल्लेख कर चुके हैं.

हाल में जारी एक सरकारी आंकड़े में बताया गया था कि इस वित्त वर्ष में 55 लाख लोग ईपीएफओ के नेटवर्क से जुड़ेंगे, जिससे यह साबित होता है कि नौकरियों में अच्छी बढ़त हो रही है. लेकिन आलोचकों का कहना है कि ईपीएफओ नामांकन बढ़ने का मतलब यह नहीं है कि नौकरियां भी बढ़ रही हैं.

इसके अलावा सरकार के प्रतिनिधि‍यों का कहना है कि प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत जो करोड़ों की संख्या में लोन दिए गए हैं, उनसे भी बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार मिला है. इन स्वरोजगार में लगे लोगों को भी नौकरियों के आंकड़ों से जोड़ना होगा. भारत में करीब 50 करोड़ से ज्यादा का वर्कफोर्स है और इसमें अगर PMMY से जुड़े लोगों को जोड़ लिया जाए तो 5 करोड़ लोगों की संख्या और बढ़ जाएगी. इस वर्कफोर्स का करीब 10 फीसदी हिस्सा ही औपचारिक क्षेत्र में है. श्रम मंत्रालय के तहत आने वाला लेबर ब्यूरो जल्दी ही PMMY के लाभार्थ‍ियों के आंकड़ों को विश्लेषित करेगा. इस तरह का लोन स्वरोजगार के लिए युवाओं या छोटे उद्यमियों को दिया जाता है.

गौरतलब है कि पीएम मोदी ने साल 2014 में सत्ता में आने के बाद हर साल 1 करोड़ नौकरियों के सृजन का लक्ष्य रखा था. लेकिन पिछले चार साल में वास्तव में रोजगार का सृजन महज कुछ लाख का ही हो सका. लेबर ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2017 में महज 4.16 लाख नौकरियों का सृजन हो पाया. PMMY की शुरुआत अप्रैल 2015 में हुई थी. इसके तहत अब तक सरकार ने करीब 10.5 करोड़ लोगों को 4.13 लाख करोड़ रुपये का लोन बांटा है.