लखनऊ। कासगंज हिंसा पर राजनैतिक बयानबाजी जारी है। इस बीच आरोप लगाया जा रहा है कि कासगंज हिंसा के पीछे पाकिस्तान और यहां पर मौजूद पाकिस्तान समर्थित लोगों का हाथ है। ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि क्या वाकई कासगंज हिंसा को पाकिस्तान के इशारे पर भड़काया गया। क्या वाकई कासगंज में पाकिस्तान समर्थित लोग मौजूद हैं। एसआईटी कासगंज हिंसा की जांच कर रही है। जांच में असली तस्वीर सामने आ जाएगी। लेकिन, राजनैतिक गलियारों में कासगंज हिंसा के पीछे पाकिस्तान के हाथ होने की खबर से खलबली मच गई है। राजनैतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरु हो गया है। विपक्ष इस मामले में उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार और बीजेपी पर निशाना साध रहा है। जबकि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कासगंज हिंसा पर चुप्पी साध रखी है।
दरसअल, भारतीय जनता पार्टी के फायर ब्रांड नेता और सांसद विनय कटियार ने आरोप लगाया है कि कासगंज हिंसा के पीछे पाकिस्तान का हाथ है। उनका कहना है कि पाकिस्तान के कुछ समर्थक कासगंज में हैं। जो सिर्फ पाकिस्तानी झंडे को ही सलाम करते हैं। पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाते हैं। विनय कटियार का कहना है कि इसी तरह के लोगों ने हमारे एक समर्थक को मार दिया। उनका कहना है कि ऐसे लोगों से कडाई से निपटने की जरुरत है। जहां एक ओर विनय कटियार के इस बयान के बाद राजनीति गरमा गई है। वहीं दूसरी ओर केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी की दूसरी फायर ब्रांड नेता साध्वी निरंजन ज्योति ने भी विनय कटियार की ही तरह कासगंज हिंसा पर कुछ इसी तरह का बयान दिया है। साध्वी निरंजन ज्योति का कहना है कि इस रह की घटनाएं दर्शाती हैं कि एंटी नेशनल एलीमेंट तिरंगा यात्रा को बर्दास्त नहीं कर पा रहे हैं।
विनय कटियार की ही तरह निरंजन ज्योति ने भी यूपी सरकार से मांग की है कि कासगंज हिंसा में वो कड़ी कार्रवाई करें। खासतौर पर इस केस में दोषी लोगों को बख्शा ना जाए। निरंजन ज्योति का कहना है कि इस तरह की घटनाओं को कतई बर्दास्त नहीं किया जा सकता है। उनका कहना है कि कासगंज हिंसा का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए। इससे पहले उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर से भारतीय जनता पार्टी के विधायक कपिलदेव अग्रवाल ने कहा था कि पाकिस्तान के नारे लगाने वालों को वो ट्रेन में बिठाकर पाकिस्तान भेज देंगे। कुल मिलाकर कासगंज हिंसा पर राजनीति अपने चरम पर है। बीजेपी और दूसरे दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। पुलिस प्रशासन यहां शांति स्थापित करने में जुटा हुआ है। शायद यही वजह है कि यूपी पुलिस के डीजीपी ओपी सिंह ने कासगंज में किसी भी तरह के राजनैतिक दौरों पर पाबंदी लगा रखी है।
पुलिस का मानना है कि अगर यहां पर नेताओं का आना जाना शुरु हो गया तो कासगंज के हालात फिर से बिगड़ सकते हैं। यहां पर लोगों की जिदंगी दोबारा से पटरी पर आ रही है। हाल-फिलहाल में कोई अप्रिय घटना नहीं हुई है। हालांकि सोमवार की शाम को कुछ उपद्रवियों ने माल गोदाम रोड पर कॉस्मेटिक की एक दुकान में आग लगा दी थी। लेकिन, पुलिस और फायर डिपार्टमेंट की मुस्तैदी के चलते जल्द ही आग पर काबू पा लिया गया। कासगंज के नए एसपी पीयूष श्रीवास्तव का कहना है कि इस मामले में किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। उनका कहना है कि जिले के हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं। कासगंज हिंसा गणतंत्र दिवस के दिन उस वक्त भड़की थी जब तिरंगा यात्रा के दौरान दो समुदाय के लोग आमने-सामने आ गए थे। दोनों समुदाय के बीच पहले पथराव हुआ और बाद में फायरिंग, इसी घटना में चंदन गुप्ता नाम के युवक की मौत हो गई थी। जिसके बाद हिंसा और भी भड़क गई थी।