Breaking News

फेसबुक ने भारत में बंद की फ्री बेसिक्स सर्विस, TRAI के फैसले का दिखा असर

facebook2नई दिल्ली। फेसबुक ने भारत में अपने विवादित फ्री बेसिक्स प्रोजेक्ट को बंद कर दिया है। फेसबुक ने टेलिकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) की तरफ से नेट न्यूट्रैलिटी के हक में फैसला देने के बाद यह कदम उठाया है। ट्राई ने अपने फैसले में भारत में अलग-अलग इंटरनेट कंटेंट के लिए अलग-अलग रेट लगाने पर रोक लगा दी है। यह फेसबुक की फ्री बेसिक्स और इस तरह के अन्य दूसरे प्लान के लिए झटका था। फेसबुक के स्पोक्सपर्सन ने एक वेबसाइट को भेजे जवाब में बताया, ‘फ्री बेसिक्स भारत में लोगों के लिए अब उपलब्ध नहीं होगी।’ भारत में बंद होने के बाद भी फ्री बेसिक्स प्रोजेक्ट दुनिया के करीब 30 देशों में जारी रहेगा।
ट्राई ने डिफरेंशियल प्राइसिंग लगा दी रोक…
– टेलिकॉम रेग्युलेटर ट्राई ने सोमवार को नेट न्यूट्रैलि‍टी के हक में फैसला देते हुए डिफरेंशियल प्राइसिंग पर रोक लगा दी थी।
– ट्राई ने नोटिफिकेशन जारी कर कहा है कि नि‍यमों को तोड़ने पर 50 लाख रुपए का मैक्सिमम जुर्माना देना होगा। टेलिकॉम ऑपरेटर्स को नि‍यमों ‍को लागू करने के लि‍ए छह माह का वक्त दि‍या गया है।
– ट्राई ने साफ कर दिया कि कंटेंट के आधार पर डेटा सर्वि‍सेज के लि‍ए कोई भी सर्वि‍स प्रोवाइडर अलग-अलग कीमत (डिफरेंशियल प्राइसिंग) का ऑफर नहीं देगा। ट्राई हर दो साल में नि‍यमों की समीक्षा करेगा।
– ट्राई ने जारी नोटि‍फि‍केशन में कहा कि‍ केवल इमरजेंसी सर्वि‍स या पब्लिक सर्वि‍स के लि‍ए डेटा टैरि‍फ में छूट दी जा सकती है।
ट्राई के फैसले के बाद से फेसबुक में बैचेनी
– नेट न्यूट्रैलिटी के पक्ष में ट्राई का फैसला आने के बाद से फेसबुक में काफी बैचेनी है। फेसबुक के बोर्ड मेंबर मार्क एंड्रीसन के ट्वीट से यह दिखाई दिया।
– मार्क एंड्रीसन ने अपने ट्वीट में नेट न्यूट्रैलिटी पर भारत को गलत करार दिया। यही नहीं, ए्ंड्रीसन ने यहां तक ट्वीट किया कि भारत, ब्रिटिश राज के अंडर ही रहता तो अच्छा होता।
– भारतीय यूजर्स के कड़े रिस्‍पांस के बाद में एंड्रीसन ने माफी मांगी ली और विवादित ट्वीट डिलीट कर दिए।
– फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग को भी एंड्रीसन के ट्वीट पर अफसोस जताया।
– भारत फेसबुक के लिए एक बड़ा मार्केट है। कैम्‍पेन के मद्देनजर जुकरबर्ग एक साल में करीब तीन बार पीएम मोदी से मिल चुके हैं।
क्या है फ्री बेसिक्स?
– इस सर्विस को कोई भी यूजर अपने एंड्रॉइड स्मार्टफोन पर यूज कर सकता था। यहां उसे लिमिटेड सर्विस मिलती।
– फेसबुक ने फ्री बेसिक्स या इंटरनेट डॉट ओआरजी ऑफिशियली शुरू किया था, लेकिन कई एक्सपर्ट्स ने इसे नेट न्यूट्रैलिटी के खिलाफ बताया था। इस पर बहस शुरू हो गई थी।
– विरोध के बाद फेसबुक ने internet.org को Free Basics इंटरनेट के नाम से री-ब्रांड किया।
– पहले यह सर्विस तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गोवा, आंध्र प्रदेश, गुजरात, केरल और तेलंगाना के यूजर्स के लिए लॉन्च की गई थी।
– बाद में रिलायंस ने पूरे देश के सब्सक्राइबर्स के लिए शुरू कर दिया।
– कोई भी मोबाइल यूजर्स फेसबुक की फ्री बेसिक्स ऐप के जरिए फेसबुक, न्यूज, क्रिकेट, जॉब्स, ट्रेन, फ्लाइट्स शेडयूल, हेल्थ, एस्ट्रोलॉजी, ओएलएक्स जैसी सीमित साइट्स और ऐप्स को फ्री में एक्सेस कर सकता था। यूजर्स को इनका इंटरनेट चार्ज भी नहीं देना पड़ता।
– फेसबुक फाउंडर मार्क जुकरबर्ग ने एक पोस्ट कहा था, “कम्युनिकेशन को बढ़ाने के लिए यह कदम उठाया गया है। इससे एजुकेशन, हेल्थ और जॉब में बहुत मदद मिलेगी।”
– ट्राई के आदेश के बाद दिसंबर में रिलायंस ने फ्री बेसिक्स को होल्ड पर रख दिया था।
क्या था एयरटेल जीरो?
– इसके पहले एयरटेल ने अपने यूजर्स के लिए ‘एयरटेल ज़ीरो’ प्लान का फ्लिपकार्ट जैसी कुछ कंपनियों के साथ करार किया था। 6 अप्रैल 2015 को इसे लॉन्च किया गया था।
– बताया गया था कि यह प्लान लेने से यूजर्स कुछ ऐप्स का फ्री में इस्तेमाल कर पाएंगे।
– ऐसे ऐप्स का चार्ज यूजर से न लेकर उन कंपनियों से लिया जाएगा, जिनका एयरटेल से करार होगा।
– इसका इंटरनेट कम्युनिटी ने विरोध किया। अप्रैल में ही सोशल मीडिया पर विरोध के बाद फ्लिपकार्ट ने जीरो प्लान से हाथ खींच लिए थे।
– 51 हजार लोगों ने फ्लिपकार्ट के ऐप की रेटिंग घटाकर 1 कर दी थी। हजारों लोगों ने ऐप ही डिलीट कर दिया था।
– क्लियरट्रिप कंपनी ने भी इंटरनेट डॉट ओआरजी से खुद को अलग कर लिया था।
– इससे एक तरह से यह स्कीम खत्म हो गई। हालांकि, एयरटेल ने ऑफिशियली इससे विड्राॅ नहीं किया।
किसे होगा नुकसान ?
– रिलायंस के फ्री बेसिक्स सर्विस और एयरटेल के जीरो सर्विस को।
– इससे पहले अप्रैल 2015 में ट्राई ने डाटा सर्विस के लिए डिफरेंट प्राइसिंग के मुद्दे पर लोगों से सजेशन मांगे थे। इसके लिए अपनी वेबसाइट पर कन्सल्टेशन पेपर डाला था।
– अथॉरिटी के मुताबिक, 24 लाख लोगों ने इस पर अपने रिएक्शन दिए हैं।
क्या है नेट न्यूट्रैलिटी?
– Net Neutrality यानी अगर आपके पास इंटरनेट प्लान है, तो आप हर वेबसाइट पर हर तरह के कंटेंट को एक जैसी स्पीड के साथ एक्सेस कर सकें।
– Neutrality के मायने ये भी हैं कि चाहे आपका टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइडर कोई भी हो, अाप एक जैसी ही स्पीड पर हर तरह का डाटा एक्सेस कर सकें।
– कुल मिलाकर, इंटरनेट पर ऐसी आजादी जिसमें स्पीड या एक्सेस को लेकर किसी तरह की कोई रुकावट न हो।
– Net Neutrality टर्मिनोलॉजी का इस्तेमाल सबसे पहले 2003 में हुआ। तब काेलंबिया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर टिम वू ने कहा था कि इंटरनेट पर जब सरकारें और टेलिकॉम कंपनियां डाटा एक्सेस को लेकर कोई भेदभाव नहीं करेंगी, तब वह Net Neutrality कहलाएगी।
– नेट कम्युनिटी का दावा है कि अगर कंपनियों फ्री बेसिक्स जैसा मॉडल अपनातीं तो यूजर्स को हर एक्स्ट्रा साइट या ऐप के लिए अलग चार्ज देना पड़ता या उन्हें नेट की स्पीड काफी कम मिलती।
क्यों शुरू हुआ विवाद?
– इंटरनेट यूजर्स के एक बड़े ग्रुप का कहना था कि फेसबुक की फ्री बेसिक्स और एयरटेल जीरो जैसी सर्विस इंटरनेट की आजादी पर खतरा है। यह कदम नेट न्यूट्रैलिटी के सिद्धांतों के खिलाफ है। दो तरह के इंटरनेट को मंजूर कैसे किया जा सकता है? इनमे एक फ्री और दूसरा पेड हो।
ट्राई के फैसले पर क्या बोले थे जुकरबर्ग…
– सोमवार को आए ट्राई के फैसले पर जुकरबर्ग ने कहा, ‘मैं दुनिया के सभी लोगों को इंटरनेट एक्सेस देने के लिए आगे भी कोशिश करता रहूंगा। मैं दुनिया और भारत में कनेक्टिविटी की बाधा तोड़ने के लिए कमिटेड हूं।’
टेलिकॉम कंपनियां क्या चाहती हैं?
-सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने ट्राई को यह दलील दी है कि भारत में कोई भी कंपनी तभी इंटरनेट टेलीफोनी सर्विस मुहैया करा सकती है, जब उसे इंडियन टेलीग्राफ एक्ट 1885 के सेक्शन-4 के तहत स्पेशल लाइसेंस मिला हो।
– लिहाजा स्काइप, फेसबुक, वॉट्सऐप जैसी कंपनियां तकनीकी तौर पर बिना लाइसेंस के सर्विसेस दे रही हैं।
– टेलिकॉम कंपनियों की यह भी दलील है कि वे डाटा यूजेस से पैसा कमाती हैं, लेकिन बैंडविड्थ का उन्हें कोई पैसा नहीं मिलता। सोशल साइट्स और ई-कॉमर्स कंपनियां टेलिकॉम कंपनियों के इन्फ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल करती हैं, लेकिन अपने रेवेन्यू में उन्हें कोई शेयर नहीं देतीं।
– हालांकि, दावा यह भी है कि बड़ी टेलिकॉम कंपनियां का डाटा सर्विसेस से रेवेन्यू पिछले साल के हर क्वार्टर में बढ़ा है। इसकी वजह यह भी है कि अगले 5 साल में 3जी और 4जी मोबाइल हैंडसेट की बिक्री बढ़ने के साथ ही डाटा यूजेस के सेगमेंट में भी जबरदस्त उछाल आने वाला है।
पार्लियामेंट कमेटी भी कर रही है विचार
-टेलिकॉम अथॉरिटी के अलावा, पार्लियामेंट कमेटी भी नेट न्यूट्रैलिटी की सिफारिशों को अंतिम रूप दे रही है।
– उधर, टेलिकॉम मिनिस्ट्री की हाई लेवल कमेटी ने भी internet.org जैसे प्लैटफॉर्म का विरोध किया था।