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फरवरी 2017 में हो सकते हैं यूपी विधानसभा चुनाव

election-commissionलखनऊ। सरकार का कार्यकाल भले ही अभी एक साल से अधिक बचा है पर प्रदेश चुनावी मोड में आ गया है। राजनीतिक दलों ने जहां लड़ाई के लिए व्यूह रचना शुरू कर दी है, वहीं प्रशासनिक अमला भी इसके लिए तैयार हो रहा है। सूत्रों के अनुसार जो हालात बन रहे हैं, उसमें विधानसभा चुनाव जनवरी के आखिर में शुरू होकर फरवरी तक होने के आसार हैं।

प्रदेश की अखिलेश सरकार ने 15 मार्च 2012 को शपथ ली थी। ऐसे में व्यवहारिक रूप से सरकार का कार्यकाल 14 मार्च 2017 का है। हालांकि विधानसभा की पहली बैठक 28 मई 2012 मई को हुई थी। इसलिए 28 मई 2017 तक नई विधानसभा गठित होनी चाहिए। ऐसे में चुनाव के दो विकल्प हैं या तो जनवरी-फरवरी में चुनाव हों या अप्रैल-मई में चुनाव करा लिए जाएं।

फरवरी के ‘फायदे’
2016 में पांच राज्यों के चुनाव होने हैं। इसमें असम, पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु और पांडिचेरी शामिल हैं। वहीं अगले साल यूपी सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसमें यूपी के साथ उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा शामिल हैं। इसमें यूपी को छोड़कर बाकी राज्यों की विधानसभा का कार्यकाल मार्च में पूरा हो रहा हैं। आम तौर पर चुनाव आयोग एक साथ ही राज्यों के चुनाव करने को बेहतर मानता है, जिससे शेड्यूल ठीक रहे।

2018 और 2019 में भी पांच से लेकर 11 राज्यों तक के विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। 2017 की अगर बात करें तो चार राज्यों के चुनाव आयोग को मार्च तक खत्म करने ही होंगे। इसमें अगर मणिपुर को छोड़ दिया जाए तो सुरक्षा की दृष्टि से कोई दूसरा राज्य अधिक संवेदनशील नहीं है। पंजाब एक बड़ा राज्य जरूर है। इसलिए सुरक्षा और फोर्स जैसे सवाल आयोग के सामने बहुत अधिक नहीं होंगे। इसलिए बाकी राज्यों के साथ ही यूपी के चुनाव की भी संभावनाएं मजबूत हैं।

तार्कि बोर्ड परीक्षा न टकराए
मार्च में बोर्ड की परीक्षाएं शुरू हो जाएंगी, इसलिए उस महीने में आयोग चुनाव नहीं कराना चाहेगा। 2012 में भी दिसंबर में कार्यक्रम घोषित किए गए थे, जबकि पहले चरण की अधिसूचना 12 जनवरी को जारी हुई थी। चुनाव सात चरणों में 6 मार्च तक हुए थे, जबकि 8 मार्च को नतीजे आए थे। हालांकि चुनाव आयोग के अधिकारियों का कहना है कि कार्यक्रम तय करने में विभिन्न फैक्टर देखे जाते है, उसके बाद ही इसकी घोषणा होती है।