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पेट्रोल पंपों को चिप देने वाले गैंग का सरगना दबोचा गया, उगले चौंकाने वाले राज

लखनऊ। पेट्रोल पंपों पर घटतौली के लिए इस्तेमाल होने वाली चिप डिवाइस की सप्लाई करने वाले गैंग के सरगना अजय चौरसिया को एसटीएफ ने गिरफ्तार कर लिया है। वह डिस्पेंसर यूनिट कंपनी मिडको का टेक्नीशियन है। उसने सैकड़ों पेट्रोल पंप पर चिप लगाने की बात कुबूल की है।
उसके पास पेट्रोल पंप पर लगने वाली डिस्पेंसर यूनिट, चार चिप, बाट-माप विभाग की मुहर, पल्सर कार्ड समेत कई उपकरण मिले हैं। उसने स्वीकार किया वह मुंबई से 3000 रुपये में चिप मंगाता था और यूपी में 12 से 15 हजार रुपये में बेचता था।

चिप लगाने के एवज में 15 से 40 हजार रुपये प्रति नोजल तक पेट्रोल पंप मालिकों द्वारा देने की बात उसने मानी है। पिछले 10 साल में उसने इस धंधे से  लगभग 30 लाख रुपये कमाए। अजय कटघरई, थाना रामकोला, जिला कुशीनगर का निवासी है। वह लखनऊ के पारा थानाक्षेत्र के श्रीनाथनगर में रह रहा था।

एसएसपी एसटीएफ अमित पाठक ने बताया कि मुजफ्फरनगर में पकड़े गए जौहर अब्बास ने बताया था कि उसे लखनऊ से अजय चौरसिया चिप भेजता है। इसे वह (जौहर) पल्सर यूनिट के सर्किट में फिट कर देता है। एसएसपी मुजफ्फरनगर ने इस बाबत एसटीएफ को बताया। इस बीच एसटीएफ ने सभी कंपनियों के टेक्नीशियन की डिटेल पहले ही ले ली थी।

कुछ ही देर में उगल दिए सारे राज

पेट्रोल चोरी में इस्तेमाल होने वाली डिस्पांसिंग यूनिट

जब अजय के बारे में पड़ताल की गई तो पता चला कि वह उन्नाव क्षेत्र के पेट्रोल पंपों पर मिडको कंपनी की डिस्पेंसिंग यूनिट में मेंटेनेंस का काम देखता है। एसटीएफ ने उसे पूछताछ के लिए बुलाया और कुछ ही देर में वह सारे राज उगलने लगा।

एसटीएफ के डर से नदी में फेंक दी चिप
अजय ने बताया कि जब लखनऊ के कई पेट्रोल पंप पर एसटीएफ ने कार्रवाई की तो डर के मारे उसने अपने पास रखी दर्जनों चिप सई नदी में फेंक दी।

उसने कुछ चिप घर पर होने की बात कही तो एसटीएफ ने उसके घर की तलाशी ली। वहां से एलएंडटी की एक मशीन (डिस्पेंसर यूनिट), चार चिप और बाट-माप निरीक्षकों द्वारा पंप के पुर्जों को सील करने के लिए प्रयोग में लाई जाने वाली तीन सीलें भी बरामद की गईं। पेट्रोल पंपों में लगने वाले सर्किट, पल्सर कार्ड, कंट्रोल कार्ड, डिस्प्ले कार्ड व डायफ्राम भी मिला है।

मेंटेनेंस के नाम पर जुटा रखे थे डिस्पेंसिंग यूनिट के पुर्जे

डिस्पांसिंग यूनिट व मिला अन्य सामान

अजय ने बताया कि वह मिडको कंपनी में कार्यरत है और उन्नाव क्षेत्र के पंपों के मेंटेनेंस का काम करता है। उसके पास से मिला सामान या तो डीलरों द्वारा दर्ज शिकायत के आधार पर बदला जाना है या मेंटेनेंस के दौरान निकाला गया खराब सामान है।

मिडको के क्षेत्रीय अधिकारियों से एसटीएफ के अपर पुलिस अधीक्षक डॉ. अरविंद चतुर्वेदी ने बात की तो पता चला कि कंपनी हर महीने हर टेक्नीशियन से हासिल होने वाले नए सामान और पंपों से निकाले गए पुराने सामान का मिलान अपने स्टॉक से करती है। मिडको कंपनी के स्टोर इंचार्ज क् रिकॉर्ड से मिलान कराया गया। इसमें अजय के पास से मिला सामान अतिरिक्त पाया गया।

मुंबई से बनकर आती थी चिप

 अजय ने बताया कि उसने 2000 से 2004 तक विभिन्न स्थानों पर गैस पाइप लाइन मेंटेनेंस का काम किया था। बाद में उसने डिस्पेंसिंग यूनिट मशीनों की मरम्मत का काम सीखा और एलएंडटी कंपनी के यूपी जोन 1 में गोरखपुर में तैनात रहा।

मुंबई में उसकी मुलाकात कुछ ऐसे लोगों से हुई जिन्होंने डिस्पेंसिंग यूनिट के पल्सर कार्ड में चिप लगाकर घटतौली की जानकारी दी।  2013 में उसने मिडको जॉइन कर ली।

कुछ वर्षों में उसका यूपी के कई जिलों में बड़ा नेटवर्क तैयार हो गया। उसने स्वीकार किया कि मुजफ्फरनगर के जौहर अब्बास को उसने लगभग 400 से ज्यादा चिप बेची है।