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पूर्वांचल में प्रियंका गांधी का सीधा मुकाबला मोदी और योगी से

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2019 से ऐन पहले कांग्रेस ने अपना ट्रंप कार्ड चल दिया है. यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी की बेटी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की बहन प्रियंका गांधी वाड्रा ने सियासत में कदम रख दिया है. पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बनाते हुए पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया है. अब प्रियंका गांधी वाड्रा का सीधा मुकाबला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से माना जा रहा है, क्योंकि बीजेपी के ये दोनों दिग्गज नेता पूर्वांचल का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.

2019 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को मात देने के लिए सपा-बसपा ने कांग्रेस को अलग रखकर गठबंधन किया था. ऐसे में कांग्रेस ने अपने सबसे बड़े कार्ड को सूबे में ही चल दिया है. उन्हें पूर्वांचल की जिम्मेदारी सौंपने के पीछे कांग्रेस की सोची समझी रणनीति है.

केंद्र की सत्ता पर काबिज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्वांचल की वाराणसी लोकसभा सीट से सांसद हैं. इसके अलावा यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी पूर्वांचल से आते हैं. वे गोरखपुर की संसदीय सीट से लंबे समय तक सांसद रहे हैं और फिलहाल सूबे की सत्ता पर काबिज हैं.

बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को वाराणसी संसदीय सीट से उतारकर पूर्वांचल में सभी दलों का सफाया कर दिया था. महज आजमगढ़ सीट थी जहां सपा जीत सकी थी. इसी तरह से 2017 के विधानसभा चुनाव में भी नरेंद्र मोदी ने तीन दिनों तक पूर्वांचल में डेरा जमाकर सपा-कांग्रेस गठबंधन को भी धूल चटा दी थी.

हालांकि, पूर्वांचल ब्राह्मणों का मजबूत गढ़ माना जाता है. पूर्वांचल की अधिकतर सीटों पर ब्राह्मण मतदाताओं की खासी भूमिका रहती है. एक दौर में ब्राह्मण पारंपरिक तौर पर कांग्रेस के समर्थक थे, लेकिन मंडल आंदोलन के बाद उनका झुकाव बीजेपी की ओर हो गया. बाद में ब्राह्मण मतदाताओं के एक बडे़ हिस्से का झुकाव मायावती की बसपा की तरफ भी हुआ और 2014 के लोकसभा चुनाव में इस तबके का झुकाव फिर बीजेपी की ओर हो गया.

माना जा रहा है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में इन्हीं ब्राह्मणों को एकजुट करने और अपनी तरफ लाने की रणनीति के तहत प्रियंका गांधी को पूर्वांचल की जिम्मेदारी सौंपी गई है. हालांकि, पूर्वांचल एक दौर में कांग्रेस का मजबूत दुर्ग हुआ करता था. पूर्वांचल के प्रयागराज, वाराणसी, बलरामपुर, बहराइच, भदोही, फूलपुर, कुशीनगर, देवरिया, मिर्जापुर, जौनपुर, सुल्तानपुर, फैजाबाद, गोंडा, बस्ती, सिद्धार्थनगर जैसे तमाम इलाके एक दौर में कांग्रेस का गढ़ माने जाते थे. माना जा रहा है कि इसी किले को फिर से दुरुस्त करने के लिए कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को कमान दी है.