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पिता के 25 साल बाद बेटे ने दोहराया कारनामा

pita-putraनई दिल्ली। भारत का अमरनाथ परिवार, इंग्लैंड का बेडसर परिवार, दक्षिण अफ्रीका का पोलाक परिवार और ऑस्ट्रेलिया का मार्श परिवार। ये क्रिकेट में मशहूर पारिवारिक परंपराओं के उन दर्जनों उदाहरण में से कुछ हैं, जिसमें पिता के बाद बेटे ने भी अपने देश के लिए खेलने का सौभाग्य हासिल किया।

लेकिन गुरुवार को एडिलेड में ऑस्ट्रेलियाई टीम के खिलाफ सीरीज के तीसरे व एकमात्र डे-नाइट टेस्ट मैच में दक्षिण अफ्रीका के लिए सलामी बल्लेबाज के तौर पर मैच में पिंक बॉल से फेंकी गई पहली गेंद का सामना करते ही स्टीफन कुक ने वो रिकॉर्ड बना दिया, जो किसी अन्य परिवार के नाम पर न तो दर्ज है और ना ही आने वाले समय में दर्ज हो पाएगा। यह कारनामा है स्टीफन कुक और उनके पिता का अपने देश के लिए नए स्टाइल की क्रिकेट में सबसे पहली गेंद खेलने का। स्टीफन कुक ने अपने पिता के दक्षिण अफ्रीका के लिए पहली बार सफेद गेंद खेलने के पूरे 25 साल बाद इस कारनामे को दोहराया है।

पुरानी पीढ़ी के भारतीय क्रिकेट प्रेमियों को जिमी कुक का नाम अवश्य याद होगा। 22 साल के लंबे अरसे तक नस्लभेद के चलते अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से बाहर रहने के बाद 1991 में दक्षिण अफ्रीका की वापसी भारतीय जमीन पर खेली गई वनडे सीरीज के जरिए ही हुई थी।

इस दौरे पर आई दक्षिण अफ्रीकी टीम में ‘मर्व ह्यूज’ और ‘डेविड बून’ टाइप की अनोखी मूंछे रखने वाले सलामी बल्लेबाज जिमी कुक के नाम अपने देश के लिए वापसी के बाद पहली बार इंटरनेशनल मैच में रेड बॉल का सामना करने का रिकॉर्ड दर्ज है। कुक ही वह बल्लेबाज थे, जिसने इस सीरीज के दिल्ली में 14 नवंबर को खेले गए तीसरे और आखिरी वनडे मैच में अपने देश के लिए पहली बार सफेद गेंद खेली थी। दिल्ली का यह मैच इस सीरीज का एकमात्र और दक्षिण अफ्रीका का पहला अंतरराष्ट्रीय डे-नाइट मैच था।

जिमी कुक ने 1991 में जब भारतीय दौरे पर पहली बार अंतरराष्ट्रीय मैच में सफेद गेंद खेली थी तो नवंबर का ही महीना था और अजब संयोग है कि इसके 25 साल बाद जब उनके बेटे स्टीफन कुक ने देश के लिए पहली अंतरराष्ट्रीय पिंक बॉल का सामना किया तब भी नवंबर का ही महीना चल रहा है।

इस संयोग में एक और अनोखी बात यह है कि जिमी कुक ने अपने टेस्ट करियर की शुरुआत भी नवंबर महीने में ही 1992 में भारत के ही खिलाफ की थी, जो दक्षिण अफ्रीका के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी के बाद पहला टेस्ट मैच था यानि वापसी के बाद पहली टेस्ट बॉल खेलने का श्रेय भी जिमी कुक के खाते में ही दर्ज है।

दक्षिण अफ्रीका के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी करने के समय जिमी कुक 39 साल के थे, जिसका मतलब है कि उनका करियर खत्म हो चुका था और वह अपनी श्रेष्ठ फॉर्म में नहीं थे। इसका नजारा भी उनके पहले ही टेस्ट मैच में दिखा था, जब वह कपिल देव की मैच की पहली ही गेंद पर 0 रन पर आउट हो गए थे। जिमी कुक टेस्ट क्रिकेट में अपनी पहली ही गेंद पर आउट हो जाने वाले पहले टेस्ट क्रिकेटर भी बने थे।

लेकिन उम्मीद की जा रही है कि स्टीफन कुक का करियर उनसे ज्यादा सफल रहेगा। स्टीफन ने अपनी पहली टेस्ट पारी में भले ही 99 गेंद में सिर्फ 40 रन बनाए, लेकिन उन्होंने जबरदस्त स्विंग करा रहे ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों के सामने 3 विकेट खो चुकी दक्षिण अफ्रीकी टीम को कप्तान फाफ डू प्लेसिस के साथ 55 रन की साझेदारी से वो सहारा दिया, जिससे टीम संभल पाई। एेसे में उनका करियर पिता से ज्यादा लंबा होने की उम्मीद सभी विशेषज्ञ जता रहे हैं।